प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने-विकसित करने के साथ इस्टर्न कैनाल को लेकर सांसद बेनीवाल ने फिर उठाई मांग

आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोक सभा मे शून्य काल मे उठाया मुद्दा, नियम 377 के तहत यमुना नदी के बोर्ड के निर्णय के अनुसार राजस्थान के हिस्से का पानी जल्द देने की भी उठाई मांग, इस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय परियोजना और सिद्धमुख नहर परियोजना के विस्तार की फिर उठाई मांग

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Politalks.News/Rajasthan/Delhi. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को लोकसभा के शून्य काल में राजस्थान में सिंचित क्षेत्र विकसित करने की मांग उठाई. राजस्थान में सिंचित क्षेत्र विकसित करने व नहरी पानी की नवीन परियोजनाओ के माध्यम से सिंचाई हेतु जल उपलब्ध करवाने तथा वर्तमान मे विध्यमान सिंचाई परियोजनाओ के विस्तार की मांग के क्रम मे बोलते हुए सांसद बेनीवाल ने कहा की योजनाबद्ध विकास के 70 वर्षो से भी अधिक समय के बाद भी राजस्थान आधारभूत संरचना की दृष्टि से अन्य राज्यों की तुलना मे पिछड़ा हुआ है.

सांसद हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा क्योंकि राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है और लोगों का जीवन स्तर के लिए कृषि पर निर्भर है परन्तु भौगालिक दृष्टि पर नज़र डालें तो राजस्थान की ज्यादातर खेती मानसून पर निर्भर है और कुल सिंचित क्षेत्र में से 64 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र कुओं और नलकूप पर निर्भर है, जबकि मात्र 33 प्रतिशत ही नहर से सिंचित होता है. जिसमे जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर व हनुमानगढ़ तथा अल्प हिस्सा बाड़मेर, जालोर व कोटा जिले का है.

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इस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय परियोजना और सिद्धमुख नहर परियोजना के विस्तार की फिर उठाई मांग
सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार से एक बार फिर मांग करते हुए कहा की भारत सरकार यदि इस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करती है तो पूर्वी राजस्थान के झालावाड़, बारा, कोटा, बूँदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करोली, अलवर, भरतपुर व धौलपुर आदि 13 जिलो मे 26 बड़ी व मध्यम सिंचाई परियोजनाओ के साथ 2 लाख हेक्टेयर नया सिंचित क्षेत्र विकसित किया जा सकता है.

बेनीवाल ने आगे कहा कि राजस्थान मे सतत प्रवाही नदियो के अभाव मे नहरो द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है परन्तु भारत सरकार को नवीन योजनाए बनाकर राजस्थान के किसानो के भले के लिए सिंचाई हेतु जल उपलब्ध करवाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि राजस्थान मे कुल सिंचित क्षेत्र का सबसे अधिक भाग श्री गंगानगर मे जबकि सबसे कम राजसमन्द मे है वही कुल कृषि क्षेत्र के सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर मे जबकि सबसे कम चुरु जिले मे होती है, इसलिए इंदिरा गाँधी वृहद नहर परियोजना के अंतर्गत सिद्धमुख नोहर परियोजना का विस्तार किया जाए तो चूरू जिले के तारानगर व सहवा के साथ सूजानगढ़ क्षेत्र मे भी सिंचित क्षेत्र विकसित किया जा सकता है. इसके साथ ही बाढ़ के पानी को रोककर व पंजाब सहित अन्य राज्यो से पानी का जो हिस्सा बहकर पाकिस्तान जा रहा है उसको रोककर व आईजीएनपी का विस्तार करके नागौर, जोधपुर, सहित पश्चिमी राजस्थान मे सिंचाई हेतु जल उपलब्ध हो सकता है. वहीं नर्मदा परियोजना का विस्तार करके बाड़मेर, जालोर मे सिंचित क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है.

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सांसद हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा कि पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों से विभिन्न जल समझोते जैसे रावी व्यास जल समझोता सहित अन्य का पूरा पानी राजस्थान को मिले तो उससे भी सिंचित क्षेत्र विकसित करने की पूर्ण संभावनाएँ बनती है इसलिए राजस्थान की नहर परियोजनाओ के विकास के लिए केंद्र को बजट जारी करने की ज़रूरत है.

बेनीवाल ने नियम 377 के तहत रखा मामला बेनीवाल ने नियम 377 के तहत यमुना बोर्ड के निर्णय अनुसार केंद्रीय जल आयोग द्वारा राजस्थान के हिस्से के यमुना के जल उपयोग हेतु ताजेवाला व ओखला हेड वर्क्स से अनुमोदित परियोजनाओ के क्रियानवयन के लिए हरियाणा सरकार को राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गये एमओयू पर सहमत करने के लिए जल शक्ति मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखित में कहा की 1994 मे राजस्थान को यमुना बेसिन राज्यों से हुए समझोते के अनुसार 1.119 बीसीए यमुना जल आवंटित हुआ था, जीससे चुरु व झूँझनू जिले की जनता को लाभ मिलता परन्तु हरियाणा सरकार अनावश्यक आपत्ति कर रही है. यही नहीं बेनीवाल ने बताया जबकि 15.2.20218 को यमूना रिव्यू कमेटी की बैठक मे हरियाणा सरकार की आपति खारिज भी की जा चुकी है और उक्त सम्बन्ध मे डीपीआर भारत सरकार के समक्ष भी भेजी जा चुकी है इसलिए इस महत्पूर्ण मामले मे भारत सरकार द्वारा हरियाणा सरकार को निर्देश जारी करना अपेक्षित है ताकि चूरू व झुंझनु जिले में इस जल का लाभ लोगो को मिल सके.

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