विपक्ष को हंगामे-शोरगुल में लगाकर मोदी सरकार ने मानसून सत्र में पारित कराए कई महत्वपूर्ण विधेयक

18 दिन चलने वाले मानसून सत्र का 10 दिन में हुआ समापन, विपक्ष की सभी सियासी उम्मीदों को रौंदते हुए केंद्र सरकार ने अपना काम निकाल लिया, विपक्षी नेताओं के सदन के बहिष्कार का भाजपा सरकार ने उठाया पूरा फायदा, संसद में केंद्र सरकार महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए नहीं थी गंभीर

मोदी सरकार ने मानसून सत्र में पारित कराए कई महत्वपूर्ण विधेयक
मोदी सरकार ने मानसून सत्र में पारित कराए कई महत्वपूर्ण विधेयक

Politalks.News/Bharat. नाम है भारतीय जनता पार्टी, इस पार्टी के मौजूदा समय में मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हैं. ‘मोदी और अमित शाह को बहुत अच्छे से मालूम है कि देश की सियासत में कब, कहां और कैसे अपने मोहरे फिट करने हैं‘. मानसून सत्र में भी कुछ इसी प्रकार के सियासी हथकंडे का इस्तेमाल मोदी सरकार ने किया. पहले यह सत्र केंद्र सरकार की ओर से 18 दिन का बताया जा रहा था, लेकिन 10 दिन के अंदर ही समापन करा दिया गया. बुधवार को संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए समापन हो गया. आइए आज ‘मानसून सत्र में भाजपा सरकार और विपक्ष को क्या नफा-नुकसान हुआ आकलन कर लिया जाए’.

आपको बताना चाहेंगे कि दस दिन चले संसद सत्र में ‘विपक्ष की सभी सियासी उम्मीदों को रौंदते हुए केंद्र सरकार ने अपना काम निकाल लिया.’ 14 सितंबर को मानसून सत्र के पहले ही दिन भाजपा सरकार ने हरिवंश नारायण सिंह को राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव जिता कर कांग्रेस समेत विपक्ष की आधी शक्ति छीन ली थी. कोरोना महामारी के बावजूद भाजपा सरकार मानसून सत्र चलाने के लिए इतनी उतावली क्यों थी ? इस सत्र में लंबित पड़े कई महत्वपूर्ण बिल मोदी सरकार को दोनों सदनों (लोकसभा-राज्यसभा) से पारित कराने थे.

संसद में विपक्षी सांसदों की घेराबंदी करने के लिए भाजपा सरकार के दिग्गज नेताओं ने बहुत ही सटीक दांव आजमाया, जिसको विपक्ष समझ न पाया.’ संसद में विपक्षी सांसदों को केंद्र सरकार ने हंगामा करने में ही लगाए रखा और दूसरी तरफ अपने महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराते चले गए. यही नहीं शोर मचाने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी. यानी ‘पूरे सत्र में भाजपा सरकार ने देश की जनता को संदेश भी दे दिया कि हम सही थे विपक्षी सांसदों ने संसद की गरिमा को फिर शर्मसार कर दिया.’ सभापति वेंकैया नायडू ने इस घटना पर नाराजगी भी जताई. इस तरह मानसून सत्र के दौरान मोदी सरकार ने विपक्षी सांसदों को पनपने का मौका ही नहीं दिया और संसद के दोनों सदनों में अपनी हुकूमत बनाए रखी.

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विपक्षी नेताओं के सदन के बहिष्कार का भाजपा सरकार ने उठाया पूरा फायदा-

कोरोना काल के बीच शुरू हुआ मानसून सत्र तय समय से पहले बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद से ही विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और बीते पूरे दिन राज्यसभा में विपक्ष के सांसद मौजूद नहीं रहे. इसी दौरान केंद्र सरकार ने ऊपरी सदन में सात बिलों को पास करवा लिया, जिनका आने वाले वक्त में काफी महत्व है. राज्यसभा में विपक्ष के मौजूद न होने से सरकार को बिलों को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं आई और सिर्फ साढ़े तीन घंटे के वक्त में ही सात बिलों को ध्वनि मत से आसानी से पास करवा दिया गया. सत्ता दल के सांसदों ने ही अपनी बात कही और बिल ध्वनि मत से पास हो गया. आपको बता दें कि इस दौरान विपक्षी पार्टियां जैसे एआईएडीएमके, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस समेत कुछ छोटे अन्य दल भी सदन में मौजूद रहे. यह सभी ऐसी पार्टियां हैं जो भाजपा की सहयोगी न होते हुए भी मोदी सरकार का साथ देतीं रहीं हैं.

मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में 25 बिल पास हुए हैं. इसमें कृषि से संबंधित तीन और श्रम सुधार से जुड़े तीन बिल शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर विधेयकों को केंद्र सरकार आसानी से पास कराने में सफल रही. सबसे ज्यादा विवाद कृषि से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर रहा. इन तीन बिलों को लेकर राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा किया. लोकसभा में जहां नारेबाजी की गई तो वहीं राज्यसभा में विपक्ष ने सारी हदें पार कर दीं. कांग्रेस, टीएमसी समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने उपसभापति पर आपत्तिजनक टिप्पणी तक की. इस पूरी घटना को लेकर खूब विवाद हुआ. सभापति वेंकैया नायडू ने टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत आठ सांसदों को बचे हुए सत्र के लिए निलंबित कर दिया. ये सांसद अपना निलंबन वापस कराने पर अड़ गए थे, बाद में निलंबित सांसदों ने रातभर संसद में धरना भी दिया. इन सांसदों की मांग थी कि सरकार कृषि संबंधित बिल को वापस ले, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी एक न सुनी.

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संसद में केंद्र सरकार महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए नहीं थी गंभीर-

यहां हम आपको बता दें कि दस दिनों के मानसून सत्र में भाजपा सरकार महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने से दूर भागती रही है. सत्र के दौरान सिर्फ सरकारी कामकाज हुआ. खानापूर्ति के लिए कुछ मसलों पर चर्चा हुई. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर संसद में चर्चा तक नहीं की गई. देश की अर्थव्यवस्था पर भी संसद में कोई चर्चा नहीं हुई. लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई महीनों से चले आ रहे गतिरोध और राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की संप्रभुता से जुड़े इस अहम मसले पर संसद में रस्म अदायगी की गई. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों सदनों में चीन के मुद्दे पर बयान तो दिया लेकिन सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्षी सांसदों को इस मामले में सवाल पूछने का मौका तक नहीं दिया.

केंद्र सरकार ने यह बिल राज्यसभा से पास करा लिए-

बता दें कि केंद्र सरकार ने राज्यसभा से जो बिल पारित कर लिए, वह इस प्रकार हैं- राष्ट्रीय न्यायालिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक, बैंककारी विनियमन विधेयक, आवश्यक वस्तु विधेयक, प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां विधेयक, राष्ट्रीय रक्षा विवि विधेयक, कराधान व अन्य विधि विधेयक, जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक, विनियोग विधेयक, विधेयक, उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक, विदेशी अभिदाय (विनियमन) संशोधन विधेयक, कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक ऐसे रहे रहे जो भाजपा सरकार ने सदन से बड़ी आसानी से पारित करा लिए.

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