Politalks.News/Keral. केरल में भाजपा को बड़ा झटका लगा है. केरल (Keral) में भाजपा के सीएम का चेहरा रहे मेट्रो मैन (Metro Men) ई श्रीधरन (E Shreedhran) ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. श्रीधरन ने कहा कि, ‘विधानसभा चुनाव में हार ने उन्हें समझदार बना दिया है. 90 साल के श्रीधरन ने ये जानकारी गुरुवार को मलप्पुरम जिले के अपने पैतृक शहर पोन्नानी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी. इधर, सक्रिय राजनीति से उनके संन्यास की घोषणा से भाजपा (BJP) की राज्य इकाई नाखुश है. इस्तीफे के समय श्रीधरन ने ये भी कहा कि, ‘वो कभी नेता नहीं थे’. साथ ही भाजपा को सलाह देते हुए बोले कि, ‘पार्टी को केरल में पैर जमाने में अभी और समय लगेगा’.
‘विधानसभा चुनाव में हार ने मुझे समझदार बना दिया’
केरल के मलप्पुरम में अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने कहा कि, ‘केरल विधानसभा चुनाव में हार ने मुझे समझदार बना दिया है. जब मैं हार गया तो इसने मुझे बहुत दुखी किया, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं जीत भी जाता तो कुछ नहीं किया जा सकता था. मैं कभी राजनेता नहीं था, मैं कुछ समय के लिए नौकरशाही राजनेता बना रहा.’ श्रीधरन ने कहा कि, ‘राजनीति में उनका प्रवेश देर से हुआ और इससे बाहर निकलने में भी इतनी देर नहीं हुई’. श्रीधरन ने ये भी कहा कि, ‘मैं अब 90 वर्ष का हूं और एक नौजवान की तरह इधर-उधर नहीं भाग सकता. मैं तीन अलग-अलग ट्रस्टों से जुड़ा हूं और अब मैं अपना बाकी समय उनके साथ बिताऊंगा’.
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‘भाजपा को केरल में पैर जमाने में लगेगा समय’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह हार के पछतावे के साथ राजनीति मैदान छोड़ रहे हैं, इस पर श्रीधरन ने कहा कि, ‘जब वह मार्च 2021 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए तो पार्टी के लिए पर्याप्त संभावनाएं थीं लेकिन अब स्थिति अलग है’. भाजपा को नसीहत देते हुए श्रीधरन ने कहा कि, ‘पार्टी को राज्य में पैर जमाने के लिए काफी कुछ करना होगा. चुनावी हार के बाद मैंने पार्टी अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था. मैं अभी उन चीजों पर चर्चा नहीं करना चाहता’.
केरल में भाजपा का सीएम चेहरा थे श्रीधरन
केरल विधानसभा चुनाव में मेट्रो मैन ई श्रीधरन भाजपा के लिए सीएम कैंडिटेंट के तौर पर उतरे थे. लेकिन भाजपा ने नेमोम में अकेली सीट भी गंवा दी थी. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने श्रीधरन से हार की रिपोर्ट मांगी थी. श्रीधरन पलक्कड़ सीट में विधानसभा चुनाव हार गए थे. त्रिकोणीय मुकाबले में वह मौजूदा कांग्रेस विधायक शफी परमभील से 3000 से अधिक मतों से हार गए थे. श्रीधरन ने कहा कि, ‘राजनीति में मेरा छोटा कार्यकाल रहा, मैं न तो घृणा से राजनीति छोड़ रहा हूं और न ही संघर्ष कर रहा हूं. आप देर से प्रवेश और जल्दी निकास कह सकते हैं. मैं आगे की जिंदगी भी लोगों की सेवा अपने तीन ट्रस्टों के माध्यम से करूंगा, जिनसे मैं जुड़ा हूं’.
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श्रीधरन के फैसले से भाजपा हैरान-परेशान
भाजपा की राज्य इकाई ने ई श्रीधरन के अचानक राजनीति से संन्यास लेने के फैसले पर हैरानी जताई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्रन ने कहा कि, ‘हमने इस बारे में केवल मीडिया के माध्यम से सुना. हालांकि वह अभी भी हमारे शुभचिंतक ही रहेंगे और हम प्रमुख मुद्दों पर उनका मार्गदर्शन और सलाह लेते रहेंगे’
जानें ‘मेट्रो मैन’ का सफर
श्रीधरन भारत के प्रख्यात सिविल इंजीनियरों में से एक हैं. वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे. उन्हें भारत के ‘मेट्रो मैन’ के रूप में भी जाना जाता है. भारत सरकार द्वारा उन्हें 2001 में पद्म श्री तथा 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. ‘मेट्रोमैन’ उपनाम हासिल करने वाले श्रीधरन केरल में विधानसभा चुनाव से पहले फरवरी में भाजपा में शामिल हुए थे. केरल भाजपा इकाई के एक वर्ग ने श्रीधरन को पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया और पलक्कड़ से चुनाव लड़ा. वह युवा कांग्रेस विधायक शफी परम्बिल से 3,859 मतों के अंतर से हार गए.