Politalks.News/Rajasthan. फोन टैपिंग मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच के नोटिस के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी के बीच पनपी सियासी तल्खी बरकरार है. महेश जोशी ने पीएम मोदी से फौन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बर्खास्त करने की मांग की है. जोशी ने कहा कि फोन टैपिंग मामले में एसओजी गजेंद्र सिंह का वायस सैंपल लेना चाहती है लेकिन वे वायस सैंपल देने से बच रहे हैं, ऐसे में शेखावत को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. मुख्य सचेतक महेश जोशी ने जयपुर से भाजपा सांसद रामचरण बोहरा को केन्द्र में मंत्री बनाए जाने की मांग उठाई है.
रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्य सचेतक जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री को जयपुर के जनप्रतिनिधि को भी न्याय देना चाहिए. जोशी ने कहा कि पिछले 11वीं लोकसभा चुनाव में से 9 लोकसभा चुनाव में जयपुर की जनता ने भाजपा प्रत्याशी की जिताकर भेजा है, केवल दो चुनाव कांग्रेस ने जीते. पंडित नवल किशोर शर्मा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर केन्द्रीय मंत्री और और मैं भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता तो मुझे संसदीय दल का कन्वीनर बनाया गया. लेकिन 9 बार चुनाव जीतने के बावजूद जयपुर शहर सीट से भाजपा ने किसी को मंत्री नहीं बनाया, जयपुर को उसका हक मिलना चाहिए. महेश जोशी ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को बर्खास्त किया जाना चाहिए और जयपुर सांसद रामचरण बोहरा को मंत्री बनाया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें: संविदा कार्मिकों को लॉकडाउन की अवधि का भुगतान करने सहित मुख्यमंत्री गहलोत के तीन बड़े फैसले
वहीं बीवीजी कम्पनी से जुड़े मामले में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम का नाम सामने आने के मामले पर महेश जोशी ने कहा कि भाजपा अब अपने बयानों के जरिए उनके कृत्य को जस्टिफाई करने की कोशिश में जुटी है, जबकि गलती होने पर कार्यवाही होनी चाहिए. जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने ऐसी गलतियां होने पर मंत्रियों तक को हटाया था. लाल बहादुर शास्त्री ने रेल दुर्घटना हो जाने तक पर इस्तीफा दे दिया था. जोशी ने कहा कि भाजपा नेता शास्त्री से ना सही कम से कम लालकृष्ण आडवाणी से ही सबक ले लें. जोशी ने बताया कि जैन डायरी कांड में नाम आने पर आडवाणी ने पद छोड़ दिया था. जोशी ने यह भी कहा कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को गिराने की कोशिश की लेकिन उन पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई.
यह भी पढ़ें: राजभवन के नाम से VCs को जबरन किताबें-बिल थमाने के साथ बीजेपी के प्रचार को लेकर उठे सवाल
इसके साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र की पुस्तक पर उपजे विवाद पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक और सम्मान का पद है जिसकी गरिमा बनी रहनी चाहिए. जोशी ने कहा कि मुझे मामले की पूरी जानकारी नहीं है लेकिन यदि कंट्रोवर्सी पैदा हुई है तो राज्यपाल इसे लेकर स्थिति स्पष्ट करेंगे ऐसे मुझे विश्वास है. आपको बता दें, पिछले दिनों सीएम गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की मौजूदगी में राज्यपाल की पुस्तक- निमित्त मात्र हूं मैं… का लोकार्पण हुआ था. अब इन पुस्तकों को जहां विश्वविद्यालयों को जबरन बेचे जाने के आरोप लगे हैं वहीं पुस्तक में भाजपा से जुड़ने के आह्वान का भी मामला सामने आया है जिस पर बवाल मचा है.