पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में बुधवार को हुई एनसीपी प्रमुख शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अब पिक्चर पूरी तरह से साफ हो गयी है. अब महाराष्ट्र के सियासी दंगल में या तो पॉलिटॉक्स की खबर (PoliTalks news) पर मुहर लगेगी या फिर लगेगा राष्ट्रपति शासन. पॉलिटॉक्स ने 2 नवंबर को ही ”महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर पड़े नरम, फडणवीस बनेंगे 5 साल के लिए CM, तो भी फायदे में शिवसेना” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. खबर में पॉलिटॉक्स ने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि महाराष्ट्र में किसी और की नहीं बल्कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनेगी और फडणवीस पांच साल के मुख्यमंत्री बनेंगे. बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना अंतिम फैसला बता दिया है कि बीजेपी और शिवसेना राज्य में सरकार बनाएं, हमें जनता ने विपक्ष में बैठने के लिए चुना है और हम विपक्ष में ही बैठेंगे.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रेसवार्ता में कहा कि, “अभी मेरे पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है. महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी और शिवसेना को बहुमत दिया है, इसलिए उन्हें जल्द से जल्द सरकार बनानी चाहिए. हमारे लिए जनादेश विपक्ष की भूमिका निभाना है.’’ पवार ने कहा, ‘’एनसीपी-शिवसेना का सरकार बनाने का सवाल कहां है? बीजेपी-शिवसेना 25 साल से साथ हैं. वह आज या कल फिर से एक साथ मिलकर सरकार बनाएंगे. मैं चार बार मुख्यमंत्री रह चुका हूं, अब फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए मुझे ज्यादा बेसब्री नहीं है.” बता दें शरद पवार का ये बयान शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत की बुधवार सुबह पवार से हुई मुलाकात के बाद आया है.
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शिवसेना सांसद संजय राउत से हुई मुलाकात और राउत के 170 के आंकड़े पर शरद पवार ने कहा, “संजय राउत हमेशा मिलने आते रहते हैं, शिवसेना ने 170 का आंकड़ा एक बार बोला था, हम भी पता कर रहे हैं कि वो आंकड़ा कहां से आया? महाराष्ट्र की जनता ने सरकार बनाने के लिए हमें कोई भूमिका नहीं दी. हमारे पास पर्याप्त संख्या नहीं है, वरना हम सरकार बना लेते. एनसीपी और कांग्रेस जो करेंगे वो एक मत से करेंगे, हमने और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा इसलिए जो भी होगा साथ में रहकर करेंगे. ऐसे में विकल्प एक ही है कि भाजपा-शिवसेना मिलकर सरकार बनाएं.”
इससे पहले शरद पवार से मुलाकात के बाद शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कहा, ‘पवार साहब से मेरी आज मुलाकात हुई. पवार साहब देश के बड़े नेता हैं, मार्गदर्शक हैं सबके. उन्हें भी चिंता है कि राज्य में सरकार क्यूं नहीं बन रही. अभी राज्य में अस्थिरता है, उन्होंने भी बातचीत में चिंता जताई. हमने थोड़ी बहुत बातचीत की. आगे की बात आगे सोचेंगे”.
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अब महाराष्ट्र में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि यहां या तो पॉलिटॉक्स की खबर पर मुहर लगेगी या फिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील करेंगे. शरद पवार के बयान ने साफ कर दिया है कि वे भाजपा या फिर शिवसेना से किसी भी सूरत में हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में शरद पवार के हटने से अब शिवसेना किसी भी तरह से सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. वहीं भाजपा भी निर्दलीय विधायकों के दम पर अकेले सरकार बनाने में असमर्थ है. अब फैसला पूरी तरह से शिवसेना और भाजपा के पास ही आ गया है. ऐसे में यह स्पष्ट हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना मिलकर सरकार बनाने जा रही है और अगर ऐसा नहीं होता है तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगना तय है.


















