महाराष्ट्र में फडणवीस ने संघ प्रमुख भागवत से की मध्यस्थता की गुजारिश, एनसीपी ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें

शिवसेना को यह एलान करना होगा कि उसका बीजेपी और राजग से अब कोई नाता नहीं है. इसके बाद विकल्प मुहैया कराया जा सकता है- एनसीपी

Fadnavis and Bhagwat on Maharashtra CM
Fadnavis and Bhagwat on Maharashtra CM

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बीजेपी-शिवसेना के बीच खींचतान अपने चरम पर है. इस बीच मंगलवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. कयास लगाए जा रहे हैं कि फडणवीस ने मोहन भागवत से सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच मध्यस्थता करने की गुजारिश की है. इससे पहले सोमवार को देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, महाराष्ट्र प्रभारी भूपेंद्र यादव और नितिन गडकरी से उन्होंने मुलाकात की थी. तब सूत्रों ने पॉलिटॉक्स की खबर पर भरोसा जताया था कि आखिर में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा जबकि शिवसेना को मिलेगा उपमुख्यमंत्री का पद.

महाराष्ट्र में चल रही रस्साकशी और दबाव की इस राजनीति के बीच शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने प्रदेश भाजपा पर यह कहते हुए दबाव बढ़ा दिया है कि अगर शिवसेना यह घोषणा कर दे कि उसने बीजेपी के साथ पूर्णतया अपना संबंध तोड़ दिया है तो महाराष्ट्र (Maharashtra) में एक राजनीतिक विकल्प बनाया जा सकता है. यहां सूत्रों ने बताया कि एनसीपी यह चाहती है कि केंद्र की भाजपा सरकार में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत भी इस्तीफा दे दें, ताकि शिवसेना का बीजेपी से सम्बन्ध पूरी तरह से खत्म हो जाए.

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शरद पवार की पार्टी एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि, ‘‘इससे बढ़िया कुछ नहीं हो सकता अगर बीजेपी शिवसेना को मुख्यमंत्री पद दे देती है लेकिन अगर बीजेपी इनकार कर रही है तो एक विकल्प दिया जा सकता है. लेकिन शिवसेना को यह एलान करना होगा कि उसका बीजेपी और राजग से अब कोई नाता नहीं है. इसके बाद विकल्प मुहैया कराया जा सकता है.’’

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में फिलहाल शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी हुई है, हालांकि सूत्रों की मानें तो शिवसेना ज्यादा से ज्यादा मलाईदार मंत्रालयों को हासिल करने के लिए दबाव की राजनीति के तहत मुख्यमंत्री पद मांग रही है. इसी गतिरोध को दूर करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं. बता दें, इससे पहले शिवसेना नेता किशोर तिवारी की ओर से संघ प्रमुख भागवत को खत लिखकर नितिन गडकरी का नाम मध्यस्थता करने के लिए सुझाया था, लेकिन नितिन गडकरी ने इस पूरे मामले से अपने आप को दूर ही रख रखा है.

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है. ऐसे में महाराष्ट्र में 8 नवम्बर की शाम तक सरकार बन जानी चाहिए अन्यथा उसके बाद विधानसभा को निलंबन की स्थिति में रखना पड़ेगा और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा. ऐसे में आखिरी इन 3 दिनों में दबाव की राजनीति और भी तेज हो सकती है. ऐसी सूरत में जो भी दल पहले झुकेगा उसको राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, 50-50 का जो फॉर्मूला बीजेपी और शिवसेना के बीच तय हुआ था उससे मुख्यमंत्री का पद बाहर था. सिर्फ सत्ता के बंटवारे पर ही 50-50 का फॉर्मूला लागू होना है. इसके वाबजूद शिवसेना लगातार अपनी मांग पर अड़ी हुई है. अगले 3 दिनों में राजनीति और भी ज्यादा रोमांचक हो सकती है. बता दें, इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ एक बैठक की थी. इस बैठक में शामिल होने के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) के वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुनंगंटीवार ने कहा, ‘‘किसी भी समय सरकार गठन को लेकर एक अच्छी खबर आ सकती है.’’

उधर शिवसेना के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने एक बार फिर कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना से ही होगा. राउत ने कहा अगर बीजेपी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिये साझा करने के बारे में सोच रही है तो यह समझदारी वाली बात है.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली हैं. बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है.

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