Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के छठे सत्र के तीसरे चरण की कार्यवाही के दौरान 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले नगरीय विकास विभाग के सबसे बड़े अभियान ‘प्रशासन शहरों के संग’ को लेकर काफी हंगामा मचा है. इसी बीच निवर्तमान वसुंधरा राजे सरकार के समय बनी धारा 69A को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि मैं आज भी यह बात दोहराता हूं कि 69A जादुई धारा है, लेकिन बीजेपी राज में इसका उपयोग नहीं कर पाए, लेकिन अब ‘जादूगर‘ करेगा. हाल ही अलवर दौरे के दौरान भी मंत्री धारीवाल ने धारा 69A की तारीफ करते हुए राजे सरकार की सराहना की थी. वहीं सदन में दो दिन से महंगी बिजली के मुद्दे पर जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला ने उत्तरप्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि हम कोलकाता का ब्रिज लखनऊ का नहीं दिखाते. कल्ला ने कहा कि महंगी बिजली के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
गहलोत सरकार में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को उत्तरप्रदेश की योगी सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. बीड़ी कल्ला ने योगी सरकार और तंज कसते हुए कहा कि, ‘हम कोलकाता का ब्रिज लखनऊ का नहीं दिखाते. हम ट्विटर और पोस्टर से सरकार नहीं चलाते, हम ग्राउंड पर रहकर काम करते हैं.’ आपको बता दें, पिछले दिनों योगी सरकार के एक विज्ञापन में लखनऊ का बताकर कोलकाता के ब्रिज का फोटो लगा दिया गया था. उसी विज्ञापन में विदेश की फैक्ट्री के फोटो को यूपी का बताया गया था. योगी सरकार की उपलब्धियों से जुड़े इस पोस्टर पर खूब सियासी विवाद भी हुआ था. मंत्री बीड़ी कल्ला ने उसी पर तंज कसते हुए बीजेपी पर निशाना साधा.
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केंद्र ने किया राजस्थान के साथ भेदभाव, गलत नीतियों की वजह से हुआ कोयला महंगा
ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला ने आगे कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना में केंद्र सरकार ने राजस्थान के साथ भेदभाव किया. केंद्र से बार-बार आग्रह करने के बावजूद राजस्थान की बिजली उत्पादन निगम सहित किसी उपक्रम को इस योजना में शामिल करके कर्ज नहीं दिया. कल्ला ने कहा कि केंद्र की गलत नीतियों की वजह से कोयला महंगा हो गया. कोयले की कीमतों में यूपीए राज की तुलना में 1100 रुपए प्रति टन की बढ़ोतरी हो गई. 400 रुपए प्रति टन के हिसाब से एक राज्य से दूसरे राज्य में कोयला ले जाने पर केंद्र ने सेस लगाया है. कोयले की कीमत 2600 रुपए प्रति टन से बढ़कर 3700 रुपए प्रति टन हो गई है.
बीजेपी ने नहीं किया जादूगर करेगा 69A का उपयोग
वहीं इससे पहले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर उठाए गए मुद्दों पर जवाब देते हुए कहा कि मैं आज भी यह बात दोहराता हूं कि 69A जादुई धारा है, लेकिन बीजेपी राज में इसका उपयोग नहीं कर पाए. बीजेपी इस पर काम नहीं कर पाई, लेकिन अब ‘जादूगर‘ (यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत) करेगा. बीजेपी राज में तो एक ही पट्टा भारी मिल गया, सब उसी में उलझ कर रह गए. अक्टूबर से शुरू हो रहे प्रशासन शहरों के संग अभियान में 10 लाख पट्टे दिए जाएंगे. इसके लिए विधियां संशोधन बिल विधानसभा में पारित हो चुका है.
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अगर चेयरमैन ने 15 दिन में पट्टे पर साइन नहीं किए तो ईओ के दस्तखत से जारी पट्टा होगा मान्य
नगरीय विकास विभाग मंत्री शांति धारीवाल ने अपना जवाब देते हुए कहा कि प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले नगर मित्र लगाने के लिए विज्ञापन निकाला है, उनकी योग्यता तय की है. कांग्रेस कार्यकर्ता तो पहले से नगर मित्र हैं, ग्रामीण मित्र भी हैं. बीजेपी के लोग तो पुजारियों में ही उलझे हुए हैं. अभियान में पट्टा देने के लिए प्रक्रिया तय की है. अगर चेयरमैन ने 15 दिन में पट्टे पर साइन नहीं किए तो 15 दिन में शहरी निकाय के ईओ के दस्तखत से जारी पट्टा मान्य होगा. चेयरमैन के दस्तखत की जरूरत नहीं रहेगी. धारीवाल ने कहा कि कई बार राजनीतिक रंजिश के चलते निकायों के अध्यक्ष पट्टे पर साइन नहीं करते. अभियान में हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक ही पट्टे दिए जाएंगे. नदी, नाले, इकॉलोजिकल जोन सहित प्रतिबंधित किसी क्षेत्र में पट्टे नहीं दिए जाएंगे.
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शहरी क्षेत्रों में पुरानी आबादी और गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज लोगों को मिलेगा फ्री होल्ड पट्टा
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में बताया कि प्रदेश में ऐसे कई लोग हैं, जो शहरी क्षेत्रों में पुरानी आबादी और गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज है, लेकिन उनके पास पट्टा नहीं है. ऐसे लोगों को अपने अधिकार सरेंडर करने पर फ्री होल्ड पट्टा दिया जाएगा. यदि किसी व्यक्ति के पास अन्य कानून के अधीन जारी कोई पट्टा या आदेश है, जिसमें जमीन आवंटित हुई है. ऐसे में उसे अपने अधिकार समर्पित करने के बाद फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान किया गया है. इसके कारण वह लैंड होल्डर उन लाभों का उपयोग कर पाएगा जो एक फ्री लैंड होल्डर के होते हैं. इसे देखते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और नगर पालिका एक्ट में संशोधन किए हैं. इन संशोधनों के बाद अफोर्डेबल हाउसेज की कमी पूरी हो सकेगी.