Loksabha Election: बीजेपी के अभेद्य किले के रूप में जाने जानी वाली गुलाबी नगर की जयपुर शहर लोकसभा सीट पर जीत के लिए कांग्रेस ने प्रतापसिंह खाचरियावास को मैदान में उतारा है. प्रतापसिंह पार्टी के ‘बेबाक’ नेता की पहचान रखते हैं. कांग्रेस इस सीट पर बीते 10 साल से जीत का सूखा झेल रही है. अंतिम बार 2009 में कांग्रेस के महेश शर्मा ने यहां से जीत दर्ज की थी. पिछले दो लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ हार के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि खाचरियावास इस सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन सुधारेंगे. हालांकि बीजेपी की जीत की हैट्रिक रोकने के लिए कांग्रेस के पास किसी पुख्ता योजना का फिलहाल अभाव नजर आ रहा है. यहां कांग्रेस तो ‘श्याम बाबा’ के सहारे ही मैदान में उतर रही है.
गौरतलब है कि प्रतापसिंह खाचरियावास को तीन महीने पहले प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी. सिविल लाइंस विस सीट से उन्हें बीजेपी के गोपाल शर्मा ने हराया. वैसे भी खाचरियावास का राजनीतिक इतिहास साक्षी है कि जब जब कांग्रेस की सरकार प्रदेश की सत्ता से बेदखल हुई तो भी प्रताप सिंह चुनाव भी हार गए. जब भी कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की है, खाचरियावास जीत दर्ज कर सदन में पहुंचे हैं. वे दो बार जयपुर शहर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. 2008 में गहलोत सरकार के बहुमत में आने से प्रतापसिंह पहली बार विधायक चुने गए. 2013 में बीजेपी लहर में वे हार गए. उस समय कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमटकर रह गई थी. उसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और खाचरियावास दोनों की सत्ता में वापसी हुई. 2023 में कांग्रेस और खाचरियावास को एक बार फिर हार का कड़वा घूट पीना पड़ा.
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विधानसभा की 8 में से 6 बीजेपी के कब्जे में
जयपुर शहर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. वर्तमान में कांग्रेस इनमें से सिर्फ किशनपोल और आदर्श नगर में ही काबिज है. हवामहल सीट पर कांग्रेस के आरआर तिवारी महज 900 वोटों के अंतर से हारे थे. शेष 5 सीटों पर कांग्रेस को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में कांग्रेस के सामने महज तीन महीने पहले हुई हार से हुए नुकसान की भरपाई करना चुनौतीपूर्ण होगा. कांग्रेस ने इस सीट पर पहले सुनील शर्मा को उतारा था. बाद में उनके टिकट लौटा देने पर पार्टी ने अपने दिग्गज और दो बार के सिविल लाइंस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास को मैदान में उतारा है.
पहले भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं खाचरियावास
प्रताप सिंह खाचरियावास बीस साल पहले 2004 में जयपुर लोकसभा चुनाव का लड़ चुके हैं. यहां उन्हें बीजेपी के दिग्गज गिरधारी लाल भार्गव के हाथों हार मिली. हालांकि उनके हार जीत का अंतर करीब एक लाख वोट से रहा. जयपुर सीट को परंपरागत रूप से भाजपा की सीट माना जाता है. 1952 से अब तक जयपुर लोकसभा सीट पर 17 बार चुनाव हुए हैं. लेकिन यहां कांग्रेस सिर्फ तीन बार जीत सकी है.
कांग्रेस ने जयपुर से पहला चुनाव 1952 में जीता. उसके 32 साल बाद 1984 में कांग्रेस के नवल किशोर शर्मा यहां से सांसद बने थे. तीसरा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को फिर 25 साल लगे. तब 2009 में महेश जोशी यहां से चुनाव जीते थे. इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. उसने 17 में से 8 बार यहां जीत का परचम लहराया है. भारतीय जनता पार्टी के गिरधारी लाल भार्गव यहां से लगातार 6 बार सांसद चुने गए. पिछले दो बार से रामचरण बोहरा यहां से रिकॉर्ड मत से जीत दर्ज कर रहे हैं. पिछले बार ज्योति खंडेलवाल यहां से कांग्रेस की उम्मीदवार थी लेकिन उन्हें साढ़े चार लाख वोटों के भारी अंतर से करारी शिख्स्त का सामना करना पड़ा.
मंजू शर्मा लगाएंगी हैट्रिक या प्रताप लगाएंगे पार
जयपुर संसदीय क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों की बात करें तो यहां लोगों के अपने अपने निजी मुद्दे हैं. कहीं सड़क, कहीं पानी, कहीं सीवर और पूरे शहर में यातायात व्यवस्था बड़ा मुद्दा है. इस सीट पर 22 लाख से ज्यादा मतदाता हैं.
जयपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही पार्टी कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मण तथा वैश्य चेहरों पर दांव खेलती रही हैं. 17 में से 10 बार यहां से ब्राह्मण और तीन बार वैश्य सांसद बने हैं. राजपूत, वैश्य और ब्राह्मण जातियों की आबादी करीब-करीब बराबर है. करीब 14 प्रतिशत मुस्लिम वोटर भी हैं, जो हार जीत में काफी अहम किरदार अदा करते हैं.
एससी-एसटी की भी बड़ी तादात यहां मौजूद है जिसे कांग्रेस अपने पक्ष में बता रही है. वैश्य समाज की ओर से उम्मीदवार न उतारे जाने से यह वोट बैंक भी कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है.
खाचरियावास के सहारे राजपूत वोटर्स के वोट में भी बिखराव होना तय है. हालांकि इस सीट पर 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं लेकिन सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस में ही है. यहां से कांग्रेस की ओर से प्रतापसिंह खाचरियावास बनाम बीजेपी की ओर से मंजू शर्मा पर दांव खेला गया है. मंजू शर्मा को महिला वोटर्स का साथ मिलना भी तय है. ऐसे में देखना रोचक होगा कि बीजेपी की जीत की हैट्रिक को मंजू शर्मा पूरा कर पाती हैं या फिर ‘हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा’ का जयकारा लगातार प्रताप सिंह खाचरियावास कांग्रेस की नैया पार लगाते हैं.