पिछले साल की घटना से नहीं लिया सबक, कोटा के जेके लोन अस्पताल में 9 शिशुओं की मौत पर उठे सवाल

10 दिसंबर को तड़के तीन बजे से लेकर सुबह साढ़े 10 बजे के बीच एक के बाद एक हुई 9 शिशुओं की मौ, रघु शर्मा की झूठी सफाई- लापरवाही से नहीं हुई मौतें, जबकि 20% से ज्यादा जान बचाने वाले उपकरण हैं खराब, पिछले साल भी दिसंबर में जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में हुई थी 107 बच्चों की मौत, मंत्री रघु शर्मा और प्रताप सिंह खाचरियावास को कोटा जाकर करनी पड़ी थी लीपापोती, तब सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था- जिम्मेदारी तय हो

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Politalks.News/Rajasthan/Kota JK Lone. महज 8 घण्टे के अंतराल में 9 नवजात शिशुओं की मौत के बाद कोटा का जेके लोन अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. कोटा के इस सरकारी अस्पताल में 10 दिसंबर को तड़के तीन बजे से लेकर सुबह साढ़े 10 बजे के बीच एक के बाद एक 9 शिशुओं की मौत हो गई. इसी जेके लॉन अस्पताल में पिछले साल भी नवंबर-दिसंबर में 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत ने गहलोत सरकार को हिलाकर रख दिया था. अब कल हुए इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर सिस्टम की बदइंतजामी उजागर हुई है.

अस्पताल के डॉक्टरों या स्टॉफ की लापरवाही की वजह से नहीं हुईं बच्चों की मौत

बच्चों की मौत पर गर्माई सियासत के बाद चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने गुरुवार को कहा कि कोटा जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत की खबर मुझे मिली तब मैंने कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. सरदाना और जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक से बातचीत कर रिपोर्ट मांगी है. मंत्री ने कहा कि फिलहाल अस्पताल के डॉक्टरों या स्टॉफ की लापरवाही की वजह से बच्चों की मौत होना सामने नहीं आया है.

9 नवजात शिशुओं की मौत के मंत्री रघु शर्मा ने ये बताए कारण

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि अस्पताल में जिन 9 नवजात शिशुओं की मौत हुई है उनमें से 3 बच्चे मृत अवस्था में जेके लोन अस्पताल लाए गए थे. इसके अलावा अस्पताल में जन्मे 3 नवजात शिशुओं की जन्मजात बीमारी की वजह से होना बताया है. वहीं, 3 अन्य बच्चों की मौत सीओटी (बच्चे के जन्म के बाद घुटन की स्थिति, दूध पिलाते वक्त मां से गलती होने व अन्य कारणों) की वजह से हुई है. मंत्री शर्मा ने बताया कि उन्होंने अस्पताल अधीक्षक व मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल को निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में चिकित्सकों की लापरवाही से एक भी बच्चे की जान नहीं जानी चाहिए, इसके लिए आपको आश्वस्त करना पड़ेगा. किसी भी सूरत में इलाज की व्यवस्था इतनी चाकचौबंद होनी चाहिए, ताकि किसी भी बच्चे की जान मेडिकल संसाधनों की कमी या किसी स्टाफ की लापरवाही से न हो. वहीं दूसरी तरफ कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

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20% जरूरी मेडिकल उपकरण जिनमें 11 वॉर्मर भी, पड़े हैं खराब

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि यहां ठंड में बच्चों की जान बचाने के लिए जरूरी मेडिकल उपकरणों में 20% खराब पड़े हैं. इनमें नेबुलाइजर, वॉर्मर, इन्फ्यूजन पंप शामिल हैं. ऐसे में जब अभी रात का तापमान 12 डिग्री के आसपास पहुंच गया है और यहां 98 नवजात भर्ती हैं जबकि वॉर्मर 71 ही हैं. ऐसे में लगभग हर बच्चे को वॉर्मर की जरूरत है लेकिन उपलब्धता के बावजूद 11 वॉर्मर खराब पड़े हैं. 10 दिसंबर की सभी मौतें तड़के तेज सर्दी के समय ही हुई हैं. मृत नवजातों में 7 बच्चों का जन्म इसी अस्पताल में हुआ था जबकि 2 बच्चे बूंदी से रेफर होकर आए थे. ये सभी बच्चे 1 से 7 दिन के थे.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साधा निशाना

घटना की निंदा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि, ‘कोटा के जेके लोन अस्पताल में पिछले 24 घण्टे में 9 शिशुओं की मौत से आहत हूं. मेरा राज्य सरकार से आग्रह है कि माओं की उजड़ती कोख को हल्के में ना लेकर मामले की त्वरित जांच कराएं तथा उचित कार्रवाई करें. ईश्वर पीड़ित परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.’ मैडम राजे में आगे कहा कि, ‘जेके लोन अस्पताल कोटा में प्रशासन की लापरवाही के चलते पिछले वर्ष भी केवल एक माह में ही सैंकड़ों बच्चों की मौत हुई थी, लेकिन सरकार ने अपनी किरकिरी से बचने के लिए उस समय भी दोषियों को बचाने का काम किया था. ऐसे में वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौर में प्रशासन को पहले ही अलर्ट हो जाना चाहिए.’

बता दें, यहां पिछले साल भी नवंबर-दिसंबर में 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत ने गहलोत सरकार को हिलाकर रख दिया था. तब भी नवजातों की मौत के बाद मामला गरमा गया था और जेके लोन अस्पताल में पुलिस बल तैनात करना पड़ा था. यही नहीं तब खुद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को कोटा जाना पड़ा था. चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने तब जेके लोन अस्पताल के जनरल वार्ड में 90 बैड की तीन यूनिट, NICCU की 36 वार्ड की 3 यूनिट और PICU की 30 वार्ड की 3 यूनिट का प्रस्ताव 7 दिन में भेजने के निर्देश दिए थे.

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सचिन पायलट के बयानों ने बढ़ा दी थी सरकार की मुश्किलें

पिछले साल इसी सरकारी अस्पताल में 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत के मामले में गहलोत सरकार और चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा की मुसीबत तब बढ़ गई थी जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कोटा पहुंचकर जेके लोन अस्पताल का जायजा लिया था. पायलट ने वहां मीडिया से बातचीत में कहा था कि बच्चों की मौत का मामला गंभीर है. यह घटना दहलाने वाली है. पूरे मामले में किसी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. पायलट ने कहा था कि सरकार, प्रशासन या मेडिकल विभाग कोई ना कोई तो जिम्मेदारी ले. पायलट ने कहा था कि मैं यहां आया हूं, मेरे साथ कोई नारे लगाने वाला नहीं आया है और न ही मैंने नारे लगाने दिए हैं. मैंने यहां जवाबदेही और जिम्मेदारी की बात की है. पायलट ने यह भी कहा था कि 13 महीने सरकार में रहने के बाद भी अव्यवस्थाओं के लिए पहले की वसुंधरा राजे सरकार पर निशाना साधने से कोई हल नहीं निकलेगा. जनता ने हमें चुना है, हमें जिम्मेदारी का सामना करना पड़ेगा.

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