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आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक ओर बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से राजद और कांग्रेस की टेंशन बढ़ गयी है. वहीं अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने बिहार की 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चिंता बढ़ा दी है. ओवैसी की पार्टी जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, वहां मतों का ध्रुवीकरण होगा जिसका लाभ बीजेपी को मिलेगा और गठबंधन को उसका उतना ही नुकसान उठाना पड़ेगा.

एआईएमआईएम बिहार की जिन 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी उसमें किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, बक्सर, गया, मुजफ्फपुर, उजियारपुर, काराकाट और भागलपुर शामिल हैं. किशनगंज से पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष एवं अमौर विधायक अख्तरुल ईमान साहब उम्मीदवार होंगे. वहीं कटिहार से पार्टी प्रवक्ता आदिल हसन साहब को उम्मीदवार बनाया गया है. अन्य नाम भी जल्द घोषित किए जाएंगे. बीते बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में ओवैसी का खासा प्रभाव देखने को मिला है. विधानसभा में उनकी पार्टी के पास 5 सीटें भी हैं. ऐसे में औवेसी ने अति उत्साह में आते हुए गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया है लेकिन इसका फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है.

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मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके की चार लोकसभा सीटों में से फिलहाल जदयू के पास 2, कांग्रेस के पास 1 और बीजेपी के पास 1 सीट है. अररिया सीट से फिलहाल बीजेपी के प्रदीप सिंह सांसद हैं तो पूर्णिया से जदयू के संतोष कुशवाहा, कटिहार से जदयू के दुलालचंद गोस्वामी और किशनगंज से कांग्रेस के मोहम्मद जावेद सांसद हैं. इस बार जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव ने पूर्णिया से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. हालांकि उनकी कोशिश कांग्रेस से या फिर गठबंधन में पूर्णिया का टिकट पाने की है.

वैसे सभी दल बिहार में अपना पूरा दमखम लगाए हुए हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान सीमांचल में कांग्रेसियों में जोश भर चुके हैं. एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पिछले दिनों किशनगंज और पूर्णिया में रैली कर चुके हैं. पप्पू यादव की पार्टी भी पूरा जोर लगाए हुए है. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता मुख्तार अब्बास नकवी मिशन सीमांचल को लेकर किशनगंज, पूर्णिया और अररिया का दौरा कर चुके हैं.

हालांकि एनडीए और महागठबंधन में अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. फिर भी क्षेत्र में पार्टी के कार्यकर्ता दावा जरूर कर रहे हैं. सबकी नजर पार्टी नेतृत्व पर लगी है लेकिन औवेसी के चुनावी मैदान में उतरने के ऐलान के साथ ही राजद और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है.

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