कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी गुरुवार 18 जुलाई को सुबह 11 बजे विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव पेश करेंगे. कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की बगावत के मद्देनजर कुमारस्वामी के लिए विधानसभा में विश्वासमत हासिल करना जरूरी है. विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने गुरुवार को विश्वासमत प्रस्ताव लाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही माना जा रहा है कि कुमारस्वामी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. हालांकि कुमारस्वामी को पूरा भरोसा है कि वह विश्वासमत हासिल कर लेंगे.

कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व में 23 जुलाई, 2018 को जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने पदभार संभाला था. उसके बाद से यह दूसरा मौका है, जब कुमारस्वामी को फिर से विश्वासमत हासिल करने की जरूरत पड़ रही है. इस बार आशंका है कि कांग्रेस-जेडीएस सत्तारूढ़ गठबंधन के 18 विधायक सरकार का दामन छोड़ रहे हैं. इनमें कांग्रेस, जेडीएस के अलावा दो निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं.

कुमारस्वामी ने शुक्रवार को ही घोषणा कर दी थी कि बगैर विश्वासमत हासिल किए उनकी सरकार में बने रहने की इच्छा नहीं है. बीजेपी ने सोमवार को ही विश्वासमत प्रस्ताव लाने की मांग की थी, लेकिन कुमारस्वामी ने इससे इनकार कर दिया.

के आर रमेश का कहना है कि इस्तीफा मंजूर करने से पहले वह विधायकों को सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई करेंगे. बागी विधायकों की याचिका और रमेश कुमार का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.

सोमवार को सदन की कार्य सलाहकार परिषद की बैठक में बीजेपी ने मांग की थी कि कुमारस्वामी को सोमवार को ही विश्वासमत हासिल करना चाहिए, लेकिन रमेश कुमार ने गुरुवार की तारीख तय की. कार्य सलाहकार परिषद की बैठक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने बुलाई थी. बैठक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, नेता विपक्ष बीएस येदियुरप्पा सहित सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल थे.

स्पीकर रमेश कुमार ने बीजेपी की यह मांग मंजूर कर ली है कि विश्वासमत प्रस्ताव पर फैसला होने तक विधानसभा में कोई कार्य नहीं होगा. उन्होंने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित कर दी है. इस बीच मुंबई में एक होटल में ठहरे 14 बागी विधायकों का कहना है कि वे कुमारस्वामी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जब तक कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, तब तक वे मुंबई से नहीं जाएंगे.

इन विधायकों ने सत्तारूढ़ गठबंधन के किसी भी व्यक्ति से मिलने से इनकार कर दिया है. गौरतलब है कि सिद्धारमैया और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इन बागी विधायकों से मिलने का प्रयास किया था. इसके बाद विधायकों ने मुंबई पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा है कि उन्हें कांग्रेस नेताओं से सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. ये बागी विधायक होटल की सबसे ऊपरी मंजिल में चले गए हैं और उनके आसपास सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है.

कांग्रेस के दो असंतुष्ट विधायक रामलिंगा रेड्डी और रोशन बेग फिलहाल बेंगलुरु में ही हैं. हालांकि आर रोशन बेग कांग्रेस के निलंबित विधायक हैं. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं. सोमवार रात ही बेंगलुरु से मुम्बई जाते वक्त कर्नाटक पुलिस ने रोशन बेग को हिरासत में लिया है और एसआईटी उनसे पूछताछ की कर रही है. रामलिंगा रेड्डी कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक है और कांग्रेस को उम्मीद है कि वह बगावत पर उतारू नहीं रहेंगे और अन्य बागी विधायकों को भी पार्टी में बने रहने के लिए समझाएंगे.

बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 79 से घटकर 66 और जनता दल-एस के विधायकों की संख्या 37 से घटकर 34 रह जाएगी. इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल रहे हैं. जेडीएस-कांग्रेस सरकार को बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक एन महेश का समर्थन बरकरार है.

बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर होने के बाद सदन में सत्तारूढ़ जेडीएस-कांग्रेस के पास 101 विधायकों का समर्थन रहेगा, जबकि बीजेपी के पाले में दो निर्दलीयों सहित 107 विधायक रहेंगे. इसी संख्याबल के आधार पर बीजेपी कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है.

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