कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए राजस्थान की सभी 25 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. भाजपा ने भी 19 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं. शेष चेहरों की घोषणा भी जल्दी कर दी जाएगी. प्रदेश की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे ताराचंद भगोरा पर भरोसा जताते हुए टिकट थमाया है और चौथी बार मैदान में उतारा है. बीजेपी ने पूर्व सांसद व मंत्री रहे कनकमल कटारा को भाजपा चेहरा बनाया है.
यहां से एक और उम्मीदवार का नाम चुनावी दंगल में खड़ा है जो इस सीट पर त्रिगुट समीकरण बिठा रहा है. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने युवा चेहरे कांतिलाल रोत को बांसवाड़ा सीट से टिकट दिया है. वैसे तो यह सीट परम्परागत तौर पर कांग्रेस की मानी जाती है लेकिन इस बार रोत दोनों ही पार्टियों को चोट पहुंचा सकते हैं.
वैसे बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर हुए हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा हमेशा ही भारी पड़ा है लेकिन पिछले साल मोदी लहर में यह सीट भी बीजेपी पाले में आ गिरी. 2014 से पहले 2004 में भी बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमा चुकी है. इससे पहले तक कांग्रेस पार्टी का यहां एकछत्र राज रहा है. बीते कुछ समय में जिस तरह बीटीपी ने अपनी पहचान बनाई है, उसे देखते हुए यह मुकाबला आसान नहीं कहा जा सकता.
विधानसभा चुनावों पर एक नजर डाले तो बीटीपी ने प्रदेश की 200 में से 2 सीटों पर कब्जा जमाया था. डूंगरपुर की सागवाड़ा सीट से बीटीपी के रामप्रकाश ने जीत दर्ज की थी. वहीं बांसवाड़ा की चौसारी सीट से राजकुमार जीते. बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट मे कुल आठ विधानसभाए शामिल है, जिसमें तीन विधानसभा डूंगरपुर जिले की और पांच बांसवाड़ा जिले की शामिल है.
डूंगरपुर और बांसवाड़ा क्षेत्र ‘वागड़’ कहलाता है. वागड़ एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है. ऐसे में बीटीपी का कांतिलाल रोत पर दाव किसी भी तरह से कमतर नहीं आंका जा सकता. टिकट बंटवारे को लेकर चल रही दोनों ही पार्टियों में खिंचतान भी रोत का पलड़ा इस सीट से भारी करती दिख रही है. कांग्रेस-भाजपा के कुछ दावेदारों की अपनी ही पार्टियों से नाराजगी चल रही है. ऐसे में रोत दोनों प्रमुख पार्टियों को चोट पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार नजर आ रहे हैं.