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एक चुनावी दौर तब था जब नेता क्षेत्र में घूम-घूमकर प्रचार करने को ही अपनी जीत का आधार मानते थे. नेताओं का जमीन पर संपर्क ही उनके लिए अहम था. अब यह चुनावी लड़ाई जितनी जमीन पर लड़ी जा रही है, उतनी ही सोशल मीडिया पर. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने मोबाइल ऐप्लिकेशन पर भरोसा दिखा रहे हैं. बीजेपी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नमो ऐप’ के माध्यम से जनता में पैठ बना रही है तो कांग्रेस का भरोसा ‘शक्ति ऐप’ पर है. इनके अलावा भी कुछ अन्य ऐप भी इन राजनीतिक दलों ने लॉन्च किए हैं, जिनके माध्यम से लोगों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है. इनसे राजनीतिक पार्टियों को मतदाताओं की राय भी मिल रही है.

जमीन पर संगठन की घटती ताकत और कार्यकर्ताओं से बढ़ती दूरी को देखते हुए कांग्रेस ने शक्ति ऐप लॉन्च किया था. इस पर आने वाली राय और सुझावों को लेकर पार्टी ने अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है. इसके बाद शक्ति ऐप से जुड़े लोगों से दोतरफा संपर्क के लिए कांग्रेस ने ‘आईएनस आवाज ऐप’ लांच किया. इसमें बूथ, विधानसभा और लोकसभा स्तर के अलग-अलग ग्रुप तैयार किए गए हैं. इस ऐप को वही लोग इंस्टॉल कर सकते हैं जो पहले से शक्ति ऐप पर रजिस्टर हों. वहीं भाजपा ने सबसे ज्यादा भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही ऐप पर दिखाया है. उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग को इस्तेमाल करते हुए पार्टी ने तमाम सुझावों को माना और इसे अपनी रणनीति में इस्तेमाल किया है. इसके अलावा पार्टी का अपना भी आधिकारिक ऐप है. यह भी समर्थकों और कार्यकर्ताओं से जुड़ने के साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

कैंपेन के लिए भी लॉन्च किए ऐप्स
जब कांग्रेस ने अपना चुनावी अभियान घर-घर कांग्रेस लॉन्च किया था तो पूरे अभियान की सफलता और समर्थकों व कार्यकर्ताओं से दो तरफा संवाद के लिए ‘घर-घर कांग्रेस ऐप’ लॉन्च किया. इसी प्रकार, जब भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार अभियान’ की शुरुआत की तो प्ले स्टोर पर चौकीदार नरेंद्र मोदी 2019 ऐप दिखाई देने लगा. प्ले स्टोर पर अखिलेश यादव का भी एक ऐप मौजूद है.

सेल्फी वालों को भी लुभा रहे
युवाओं में सेल्फी लेने का चलन खासा है. सभी चाहते हैं कि अपने पसंदीदा नेताओं के साथ वे सेल्फी लें लेकिन यह इतना आसान नहीं होता. ऐसे में उनकी हसरत पूरी करने के लिए तमाम तरह के सेल्फी और फोटो फ्रेम्स वाले ऐप्लीकेशंस प्ले स्टोर पर मौजूद हैं. इन ऐप्स पर राजनीतिक दलों के विज्ञापन भी दिखते हैं. डीपी और फोटो फ्रेम्स भी यूजर्स को काफी लुभाते हैं.

तमाम ऐप्स पर विज्ञापन, आसान कर रहे पहुंच
तमाम चर्चित ऐप्लीकेशंस पर भी राजनीतिक दलों की निगाहें हैं. जिन ऐप्लीकेशंस को लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनका इस्तेमाल राजनीतिक दल अपने प्रचार के लिए करते हैं. कुछ समय के बाद विज्ञापन फ्लैश होते हैं और इससे पार्टी अपनी बात कह पाने में सफल होती है. एक निश्चित अंतराल के बाद युवाओं तक लोगों तक अपनी पहुंच इनके लिए बेहतर होती है.

700 से 1000 विज्ञापन हमेशा रहते हैं तैयार
टेक एक्पर्ट्स की मानें तो तमाम विज्ञापन एजेंसियां 700 से 1000 विज्ञापन हमेशा ही तैयार रखती हैं. राजनीतिक दलों की डिमांड पर इन्हें थोड़ा मोडीफाई करके इस्तेमाल किया जाता है. ऐप्स पर इस्तेमाल होने वाले विज्ञापन खासे छोटे और फाइल साइज में छोटे रखे जाते हैं ताकि लोगों का मोबाइल न हैंग हो और छोटे होने पर उन्हें वे देखें न कि स्किप करें.

  • इसलिए ऐप्स पर प्रचार
  • एक बार में लाखों युवाओं तक पहुंच
  • विज्ञापन के दूसरे माध्यमों के बजाए सस्ता
  • इसपर प्रचार के लिए कोई समय सीमा नहीं
  • किसी क्षेत्र विशेष के सीमा की भी कोई बाध्यता नहीं
  • प्रचार के लिए ये ऐप्स ज्यादा होते हैं इस्तेमाल
  • न्यूज ऐप्स
  • ट्रैवेल ऐप्स
  • ज्योतिष से जुड़े ऐप्स
  • सोशल मीडिया ऐप्स
  • गानों के ऐप्स
  • क्रिकेट ऐप्स
  • विडियो गेमिंग ऐप्स
  • चैटिंग ऐप्स

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