पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. इस समय पूरे देश की निगाहें मध्यप्रदेश की राजनीति पर टिकी हुई हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चले जाने और अपने साथ 22 विधायकों के इस्तीफे करवा देने के बाद से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी की राज्य इकाई के नेता दावा करने लगे कि मौजूदा राज्य सरकार अल्पमत में है, लिहाजा बहुमत परीक्षण कराया जाए. वहीं प्रदेश के राज्यपाल लालजी टण्डन में भी मान लिया है कि कमलनाथ सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और सरकार अल्पमत में है. इस सम्बंध में राज्यपाल ने देर रात सीएम कमलनाथ को पत्र लिखते हुए सोमवार को बहुमत साबित करने को कहा है.
राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम लिखी चिठ्ठी में बहुमत परीक्षण के सम्बंध में निर्देश देते हुए लिखा कि: –
प्रिय कमलनाथ जी, मुझे सूचना प्राप्त हुई है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के 22 विधायकों द्वारा अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित किया है. इन विधायकों ने अपने पद त्याग करने की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों माध्यमों से भी दी है. मैंने इस बाबत मीडिया कवरेज को ध्यान से देखा है.
मुझे भी इन 22 विधायकों ने अपने प्रथक-प्रथक पत्र दिनांक 10 मार्च 2020 द्वारा त्यागपत्र भेजे हैं और इन्हीं विधायकों द्वारा अपने प्रथक प्रथक पत्र दिनांक 13 मार्च 2020 द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत होने के दौरान सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है 22 में से 6 विधायक जो आपकी सरकार में मंत्री थे, जिन्हें आप की अनुशंसा पर मंत्री पद से हटाया गया था उनका विधानसभा अध्यक्ष द्वारा त्यागपत्र भी आज स्वीकार कर लिया गया है.
आपने भी स्वयं अपने पत्र दिनांक 13 मार्च 2020 द्वारा विश्वास मत हासिल करने की सहमति दी है एवं मुझे विधानसभा के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी से भी एक ज्ञापन प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने उक्त परिस्थितियों का उल्लेख किया है. उन्होंने यह भी बताया है कि राज्य सरकार द्वारा त्यागपत्र देने वाले एवं अन्य सदस्यों पर अवांछित दबाव बनाया जा रहा है.
उपरोक्त से मुझे प्रथम दृष्टया विश्वास हो गया है कि आप की सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और आपकी सरकार अल्पमत में है. यह स्थिति अत्यंत गंभीर है, इसलिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य एवं प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक हो गया है कि दिनांक 16 मार्च 2020 को मेरे अभिभाषण के तत्काल पश्चात आप विधानसभा में विश्वास मत हासिल करें.
इस संबंध में संविधान के अनुच्छेद 170 से अपठित 175 दो एवं मुझ में निहित अन्य संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं निम्नलिखित निर्देश देता हूं: –
- मध्यप्रदेश का विधानसभा का सत्र दिनांक 16 मार्च 2020 को प्रातः 11:00 बजे प्रारंभ होगा और मेरे अभिभाषण के तत्काल बाद एकमात्र कार्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा.
- विश्वास मत विभाजन के आधार पर बटन दबाकर ही होगा और अन्य किसी तरीके से नहीं किया जाएगा.
- विश्वास मत की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी विधानसभा द्वारा स्वतंत्र व्यक्तियों से कराई जाएगी.
- उपरोक्त कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च 2020 को प्रारंभ होगी और स्थगित विलंबित या निलंबित नहीं की जावेगी.
बता दें, मध्यप्रदेश के 22 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु में हैं. दूसरी ओर CM कमलनाथ ने राज्यपाल को एक पत्र देकर बीजेपी पर आरोप लगाया है कि बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है. साथ ही मांग की थी कि इसी बजट सत्र में उनकी सरकार का शक्ति परीक्षण किया जाए. वहीं राज्य सरकार ने बेंगलुरु गए 6 मंत्रियों को बर्खास्त करने की राज्यपाल से सिफारिश भी की थी.
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गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करने वाले 6 पूर्व मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं. इन मंत्रियों ने 10 मार्च को इस्तीफे दिए थे. अध्यक्ष ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं.