Politalks.News/WestBengalPolitics. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच शुरू हुआ सियासी संग्राम अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. अब राज्य में पिछले कई दिनों से भाजपा खेमे में जबरदस्त ‘हलचल‘ है, जहां नेता लगातार पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं. बता दें कि ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले जो खेल भाजपा तृणमूल कांग्रेस के साथ खेल रही थी, असल में वो सिर्फ एक खेल था, अब ममता बनर्जी भाजपा को खेला सीखा रही हैं. चुनाव से पहले भाजपा हाईकमान टीएमसी को ‘साफ‘ करने में जुटा हुआ था और लगातार तृणमूल कांग्रेस के नेता भाजपा में लाए जा रहे थे. लेकिन ‘बंगाल चुनाव के एक तरफा नतीजों में टीएमसी की जबरदस्त जीत के बाद दीदी ने राज्य से भाजपा को खत्म करने के लिए अभियान चलाया हुआ है.
टीएमसी से भाजपा में गए नेता अब दोबारा घर वापसी के लिए ‘बेकरार‘ हैं. पिछले दिनों मुकुल रॉय की टीएमसी में वापसी के बाद अब भाजपा के जीते हुए विधायक भी ममता बनर्जी की ‘शरण‘ में आना चाहते हैं. यहां आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल में 75 सीटें जीती थी. इस हिसाब से विधानसभा में दीदी को घेरने के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को मजबूत विपक्ष नजर आने लगा था. लेकिन ममता अब बंगाल विधानसभा में भाजपा की ‘ताकत‘ और कम करना चाहती हैं. राजधानी कोलकाता में सोमवार को जो ‘दृश्य‘ दिखाई दिया वह भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है.
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दरअसल, शुभेंदु अधिकारी की राज्यपाल के साथ मुलाकात के दौरान बीजेपी विधायकों का एक वर्ग मौजूद नहीं रहा. विपक्ष के नेता शुभेंदु के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार शाम को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से राजभवन में मुलाकात की थी. भाजपा विधायकों का राज्यपाल से मुलाकात का उद्देश्य बंगाल में हो रही अनुचित घटनाओं से अवगत कराना था. बंगाल में प्रतिपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के 50 विधायकों के साथ राज्यपाल से मिले. लेकिन 25 विधायक शुभेंदु अधिकारी के इस ‘शक्ति प्रदर्शन‘ में शामिल नहीं रहे. इसके बाद एक बार फिर से सियासी अटकलें तेज हो गेन.
भाजपा विधायकों को पसंद नहीं शुभेंदु अधिकारी का नेतृत्व
मुकुल रॉय की भाजपा से टीएमसी में हुई वापसी की एक वजह शुभेंदु अधिकारी माना गया था. अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी के कई विधायकों को शुभेंदु अधिकारी का ‘नेतृत्व‘ पसंद नहीं आ रहा है? जो विधायक शुभेंदु के साथ राज्यपाल से मिलने नहीं पहुंचे उनमें से ज्यादातर उत्तर बंगाल से आते हैं. यहीं पर सवाल उठने लगा कि क्या यह विधायक टीएमसी में शामिल होने जा रहे हैं, क्योंकि पिछले कई दिनों से और खासतौर पर मुकुल रॉय के टीएमसी में शामिल होने के बाद से अटकलें बढ़ गई हैं कि बीजेपी के कई विधायक टीएमसी में शामिल हो सकते हैं. पिछले हफ्ते मुकुल रॉय तृणमूल में लौट आए. माना जा रहा है कि राजीव बनर्जी, दीपेंदु विश्वास और सुभ्रांशु रॉय सहित कई अन्य नेता भी रॉय के पीछे-पीछे घर वापसी कर सकते हैं.
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बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि पार्टी उन लोगों के मामले पर विचार करेगी, जिन्होंने मुकुल के साथ तृणमूल छोड़ी थी और वापस आना चाहते हैं. 30 से ज्यादा विधायक उनके संपर्क में हैं. रॉय से पहले सोनाली गुहा और दीपेंदु बिस्वास जैसे नेताओं ने खुलकर कहा था कि वे पार्टी में वापस लौटना चाहते हैं.
गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी पिछले साल दिसंबर में भाजपा में शामिल हुए थे और उनके बाद तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था. उसके बाद विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम में ममता बनर्जी को हराया तो बीजेपी में उनका ‘कद‘ काफी बढ़ गया है. भाजपा हाईकमान ने पिछले दिनों अधिकारी को विपक्ष का नेता बनाया है. लेकिन अब मुकुल रॉय की घर वापसी के बाद कई भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी से ‘नाराज‘ बताए जा रहे हैं. बंगाल में भाजपा विधायकों और नेताओं की भगदड़ ऐसे ही जारी रही तो ममता बनर्जी की ताकत और बढ़ेगी. वैसे भी ममता राज्य में भाजपा का सफाई अभियान चलाने में लगी हुई हैं.