चिराग ने पशुपति पारस सहित पांचों सांसदों को पार्टी से निकाला, चाचा को लिखे पत्र किए सार्वजनिक

चिराग पासवान ने एलजेपी के अध्यक्ष पद पर भी अपना दावा पेश किया, उससे पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया, अगले दो-तीन दिनों में पशुपति पारस को एलजेपी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है

चिराग पासवान
चिराग पासवान

Politalks.News/BiharPolitics. देश के कई राज्यों के साथ बिहार की राजनीति में भी सियासी उथल-पुथल बहुत तेजी से मची हुई है. रामविलास पासवान के जाने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी में अंदर ही अंदर ही अंदर पावर और पद के लिए मची खींचतान और तेज हो गई है. मंगलावर को चिराग पासवान ने लोजपा कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक ली. इस दौरान बड़ा फैसला लेते हुए चिराग पासवान ने बगावत करने वाले अपने चाचा पशुपति पारस समेत सभी 5 सांसदों को पार्टी से निकाल दिया है. इसके बाद ही चिराग ने पार्टी के अध्यक्ष पद पर भी अपना दावा पेश किया है.

उससे पहले लोकजनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया. अब अगले कुछ दिन के भीतर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. फिलहाल, सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में बैठक होगी. एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है. इस तरह संसदीय दल के नेता के बाद अब चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटाया दिया गया है और सूरज भान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. अगले दो-तीन दिनों में पटना में मीटिंग कर पशुपति पारस को एलजेपी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इधर, लोजपा के भीतर मचे घमासान के बीच चिराग खेमा पार्टी और पावर बचाने की जद्दोजहद में जुट गया है. चिराग पासवान के दिल्ली स्थित आवास पर सोमवार की देर रात तक बैठकों का दौर जारी रहा जो मंगलवार को भी चल रहा है.

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इस सारे सियासी घमासान बीच पहली बार चिराग पासवान ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. चिराग ने एक ट्वीट कर पशुपति पारस को लिखे कुछ पुराने पत्र साझा किए. इसके साथ ही चिराग ने लिखा कि पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किए लेकिन असफल रहा. पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है. चिराग ने लिखा कि पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं.

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अपने ट्वीट के साथ ही साझा किए गए पत्र वे हैं जो चिराग ने पशुपति पारस को 29 मार्च को लिखे थे. इन पत्रों में चिराग ने पारस को लिखा है कि रामचंद्र पासवान के निधन के बाद से ही आप में बदलाव देखने को मिला. पापा की तेरहवीं में भी 25 लाख रुपये मां को देने पड़े इससे मैं दुखी था. चिराग ने एक पत्र में लिखा है कि मैंने हमेशा भाइयों को साथ लेकर चलने की कोशिश की. पापा के जाने के बाद आपने बात करना बंद कर दिया. चिराग ने एक पत्र में आरोप लगाया है कि पापा के रहते हुए भी आपने पार्टी तोड़ने का प्रयास‌ किया. वहीं प्रिंस राज पर रेप के मामले का जिक्र करते हुए चिराग ने कहा कि प्रिंस पर आरोप के दौरान भी मैं परिवार के साथ खड़ा रहा.

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