3 घंटे में शादी की दुविधा तो सरकार ने दूर कर दी लेकिन अब बारात कैसे लेकर जाएं, टेंट की दुकानें भी हैं बंद

दूल्हा और दुल्हन के परिजन रीति रिवाज के मुताबिक पूरा समय लेकर शादी कर सकेंगे, लेकिन निजी वाहन से बारात दूसरे जिले में जाने पर लगी पाबंदी, अब बारात पहुंचेगी ही नहीं तो शादी कैसे होगी?, टेंट व अन्य जरूरी सामानों की दुकानें बंद रहेंगी तो सामान कैसे आएगा, शव को श्मशान या कब्रिस्तान ले जाने के लिए निःशुल्क वाहन सुविधा होगी उपलब्ध

corona marr 1 6535247 835x547 m
corona marr 1 6535247 835x547 m

Politalks.News/Rajasthan. गृह विभाग की ओर से एक दिन पहले जारी हुई गाइडलाइन ने शादी करने वाले लोगों का चैन छीन लिया है. शादी के लिए महज तीन घंटे मिलने की वजह से लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर वह चाहे जितना जल्दी करेंगे, लेकिन तीन घंटे में पूरी शादी निपटाना कैसे संभव हो पाएगा. इस समस्या को दूर करते हुए गृह विभाग के प्रमुख सचिव अभय कुमार ने बताया कि शादी में तीन घंटे 50 मेहमानों के सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार आने और भोजन करने के लिये दिये गए हैं. इसके अलावा दूल्हा और दुल्हन के परिजन रीति रिवाज के मुताबिक शादी कर सकेंगे. वहीं शादी के समय को लेकर चल रही दुविधा तो चलो सरकार ने दूर कर दी, लेकिन बारात को ले जाने और टेंट व अन्य जरूरी सामानों की दुकानें बंद होने से बहुत समस्या खड़ी हो गई है.

दरअसल, राज्य सरकार ने शुक्रवार को कोरोना संक्रमण कंट्रोल के लिए जन अनुशासन पखवाड़ा की नई गाइडलाइन जारी की थी. इस गाइडलाइन में शादी समारोह के लिए नये नियम निर्धारित किए गए थे, जिसके अनुसार अब किसी भी परिवार को, जो शादी-समारोह करना चाहता है उसे 3 घंटे के अंदर सभी कार्यक्रम निपटाने होंगे. यानी इन तीन घंटे के अंदर उसे 50 लोगों काे भोजन करवाने, बारात का स्वागत, वरमाला, फेरे सहित अन्य तमाम रस्में निभानी होंगी. जबकि वास्तविकता में हिंदू रीति-रिवाज में 2 से 2:30 घंटे फेरे और एक घंटे का सिंवारा और वरमाला जैसी रस्मों में ही पूरा जो जाता है. फोटोग्राफी और खाना आदि कार्यक्रम में समय लगे वो अलग है. ऐसे में अब लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं, आखिर तीन घंटे में शादी कैसे होती?

यह भी पढ़ें: रेमडेसिविर कोरोना की अवधि को कम करता है, पर यह जीवन रक्षक दवाई नहीं- जानिए विशेषज्ञों की राय

निजी वाहन से बारात दूसरे जिले में जाने पर लगी पाबंदी, बारात पहुंचेगी ही नहीं तो शादी कैसे होगी
गृह विभाग की संशोधित गाइडलाइन के अनुसार, शादी समारोह की सरकारी कर्मचारी और अधिकारी निगरानी रखेंगे. संबंधित व्यक्ति को शादी करने से पूर्व एसडीएम से अनुमति लेनी होगी. ईमेल के माध्यम से अनुमति ली जा सकती है. समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए वीडियोग्राफी करवाई जाएगी. हालांकि गृह विभाग ने जो गाइडलाइन जारी की है उसके मुताबिक निजी वाहनों से दूसरे जिले में जाने पर पाबंदी रहेगी. अब शादी समारोह करने वाले संबंधित व्यक्ति की चिंताएं और बढ़ गई हैं. 26 अप्रैल से जब एक जिले से दूसरे जिले में आवाजाही बंद हो जाएगी तो बारात में लोग कैसे जाएंगे, और जब बारात ही नहीं पहुंचेगी तो शादी कैसे होगी. वहीं लोगों ने गाड़ियां बुक करवा रखी हैं बारातियों के लिए, सो अलग.

टेंट व अन्य जरूरी सामानों की दुकानें बंद रहेंगी तो सामान कैसे आएगा
इधर टेंट, कैटरिंग, विवाह स्थल से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि 3 घंटे के अंदर शादी-समारोह का आयोजन हो ही नहीं सकता था, वहीं एक तरफ सरकार ने शादी-समारोह की अनुमति दे रखी है, वहीं दूसरी तरफ टेंट की दुकानें बंद कर रखी है. ऐसे में हम सरकार से मांग करते हैं कि एक मई से सरकार शादियों पर पूरी तरह बैन लगा दें. इससे पहले शादियों की सामान्य अनुमति रहने दे, ताकि जिन लोगों ने शादी-समारोह के कार्ड बांट दिए और रस्में शुरू कर दी, वे अपनी कार्यक्रम कर दें.

3 हजार होमगार्डस करवाएंगे 2 गज दूरी की पालना
कोरोना की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों के तहत सामाजिक दूरी की पालना करवाने, मास्क लगवाने के साथ ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन एवं संयुक्त दल बनाने के लिए 25 अप्रेल से 30 अप्रैल तक के लिए गृह विभाग ने पुलिस के सहयोग के लिए तीन हजार होम गार्ड जवानों को नियोजित करने की सशर्त स्वीकृति दी है. इनका खर्च एसडीआरएफ मद में से वहन किया जाएगा. गृह विभाग के ग्रुप सात के संयुक्त शासन सचिव देवेन्द्र कुमार ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं. बता दें पिछले साल भी कोरोना के दौरान होमगार्ड ने अपनी जिम्मेदारी का ना केवल पूरी तरह से पालन किया था बल्कि कोविड गाइड लाइन की पालना करवाने से लेकर गरीब लोगों को खाना खिलाने तक अपनी अहम भू्मिका निभाई थी.

श्मशान या कब्रिस्तान ले जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस या वाहन की सुविधा मिलेगी
हाल ही में जोधपुर उत्तर नगर निगम की ओर से यह व्यवस्था शुरू की है. जिसे अब मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश की नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिकाओं में लागू करने का फैसला किया है, यह व्यवस्था तुरंत प्रभाव से लागू होगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी शहरी निकायों, कलेक्टरों, अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि पूरे प्रदेश में पार्थिव देह का अस्पताल से श्मशान, कब्रिस्तान तक सम्मानपूर्वक परिवहन सुनिश्चित किया जाए. अस्पताल से पार्थिव देह ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिले तो ऐसी हालत में जिला परिवहन अधिकारी के जरिए वाहनों का अधिग्रहण करवाकर व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. पार्थिव देह के नि:शुल्क परिवहन की जानकारी के लिए हर शहरी निकाय के कंट्रोल रूम के नंबर जारी कर इनका प्रचार प्रसार करने को कहा है.

Leave a Reply