अपने देश में मान्यता है कि अगर कोई संन्यासी किसी को श्राप दे दे तो वह लगता जरूर है. चिदंबरम के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. वह बहुत बड़े वकील हैं. करोड़ों रुपए हर साल कमाते हैं. देश के वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस के समर्पित सिपाही माने जाते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वस्त लोगों में से एक हैं. जब वह सत्ता चलाने में मगरूर थे, मनमोहन सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों में मदद कर रहे थे, तब उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिनका फल तो उन्होंने भुगतना ही था. चिदंबरम ने अमित शाह को गिरफ्तार करवा दिया था और दिल्ली में बाबा रामदेव के सत्याग्रहियों से जंतर मंतर खाली करवाने के लिए आधी रात को पुलिस का हमला करवा दिया था. उनकी गिरफ्तारी कैसे टल सकती थी?

आखरिकार कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 27 घंटे के बाद सीबीआई ने पहले हिरासत में लिया बाद में गिरफ्तार कर ही लिया. गुरुवार को उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा. पी चिदंबरम को उनके दिल्ली के जोरबाग स्थित घर से हिरासत में लिया गया. इससे पहले बुधवार रात 8 बजकर 10 मिनट पर पी चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे आईएनएक्स मीडिया केस में निर्दोष हैं.

जिस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह आईएनएक्स मीडिया से जुड़ा मामला है. जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे, उस समय आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए का निवेश विदेश से जुटाने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की तरफ से मंजूरी देने में धांधली हुई थी. यह 2007 का मामला है. जब जांच एजेंसियों ने आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी से पूछताछ की, तब चिदंबरम की भूमिका सामने आई. इस संबंध में सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज की थी. इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि विदेशी निवेश दिलाने के बदले चिदंबरम ने अपने पुत्र कार्ति चिदंबरम की मदद करने के लिए कहा था.

फरवरी 2018 में चेन्नई एयरपोर्ट से कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई थी, बाद में वह अदालत से जमानत पर रिहा हो गए थे. उन पर आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ जांच रुकवाने के लिए उन्होंने 10 लाख डॉलर मांगे थे. यह सौदा दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में हुआ था. उस समय इंद्राणी मुखर्जी आईएनएस मीडिया की निदेशक थी. फिलहाल वह अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में है. आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम से करीब पचास घंटे पूछताछ हो चुकी है. इसी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम को प्रमुख अभियुक्त माना है और उनकी जमानत अर्जी रद्द कर दी गई, जिसके आधार पर सीबीआई और आईडी जैसी एजेंसियां उन्हें गिरफ्तार करने के लिए खोज रही थी.

यह भी पढ़ें: – आखिरकार, 27 घन्टे बाद चिदम्बरम गिरफ्तार, गुरुवार को CBI कोर्ट होंगे पेश

चिदंबरम के खिलाफ और भी मामले हैं

एयरसेल-मैक्सिस के 3500 करोड़ रु. के सौदे में भी चिदंबरम की भूमिका की जांच हो रही है. यह मामला 2006 का है. तब मलेशिया की कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. वित्त मंत्री 600 करोड़ रुपए तक के विदेशी निवेश की मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन इस सौदे में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के बगैर 3500 करोड़ रु. के एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी मिल गई. यह मामला 2-जी स्पेक्ट्रम से जुड़ा हुआ है. इसमें चिदंबरम और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ हवाला मामले में रिपोर्ट दर्ज है.

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया गया था. गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने कई हैरतअंगेज कार्य किए. उन्होंने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा. हिंदू आतंकवाद की जांच के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) का गठन किया. पद का उपयोग करते हुए उन्हें भाजपा नेताओं को कानूनी शिकंजे में घेरने की भरसक कोशिशें की. उस समय अमित शाह के खिलाफ सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने कार्रवाई की. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. शाह तीन माह जेल में रहे. 29 अक्टूबर 2010 को उन्हें गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा दिया. बाद में उन्हें दो साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया.

अमित शाह 2012 तक गुजरात से बाहर रहे. 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें गुजरात जाने की अनुमति मिली. सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर मुंबई में करने के आदेश दिए. लंबी सुनवाई के बाद 2015 में विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया. अब अमित शाह गृह मंत्री हैं और चिदंबरम के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस चुका है. अमित शाह की गिरफ्तारी के समय भाजपा ने चिदंबरम पर सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए थे. बिलकुल वैसे ही आरोप अब कांग्रेस अमित शाह पर लगा रही है.

पी. चिदंबरम ने काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे बाबा रामदेव के सत्याग्रह को कुचलने के लिए जून 2011 के पहले हफ्ते में आधी रात को पुलिस भेजी थी. तब रामदेव को महिलाओं के बीच छिपकर रात गुजारनी पड़ी थी और भोर होने पर एक महिला की सलवार कुर्ती पहनकर वह पुलिस से बचकर निकल पाए थे. लोग कहते हैं कि अगर उस रात रामदेव पुलिस के हाथ लग जाते तो पुलिस उन्हें योगाभ्यास करने लायक नहीं छोड़ती. उस समय गुस्से में भरे बाबा रामदेव ने कहा था कि कांग्रेस सरकार का नाश हो जाएगा.

चिदंबरम के खिलाफ गृह मंत्री रहते हुए कोई मामला नहीं है. लेकिन बददुआएं बहुत हैं. एक तो उन्होंने हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उछालकर कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति को नए आयाम दिए, वहीं बाबा रामदेव के निहत्थे सत्याग्रहियों पर पुलिस कार्रवाई करवाकर जनरल डायर का खिताब हासिल किया. हालांकि उस घटना के बाद रामदेव ने आंदोलनों से किनारा कर लिया और स्वदेशी का परचम लहराते हुए पतंजलि ब्रांड को स्थापित करने में लग गए. अब वह काले धन और भ्रष्टाचार की बात नहीं करते हैं.

चिदंबरम उन प्रतिभाशाली वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं, जो पूरी ताकत से कांग्रेस को रसातल में पहुंचाने में लगे हुए हैं. अगर मनमोहन सरकार के दौरान इतना भ्रष्टाचार हुआ, जिसकी वजह से लोगों ने कांग्रेस की सरकार को बुरी तरह नकार दिया तो उसमें चिदंबरम का प्रमुख योगदान इसलिए है कि वह वित्त मंत्री थे. सारा आर्थिक भ्रष्टाचार उनकी नाक के नीचे हो रहा था और आईएनएक्स, एयरसेल-मैक्सिस जैसे मामलों में उनकी खुद की भूमिका भी स्पष्ट हो चुकी है. इसीलिए कानून के इस विशेषज्ञ को अब कानून के शिकंजे से बचने की जुगत भिड़ानी पड़ रही है.

कांग्रेस के नेता और भाजपा के विरोधी इसे बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई बता रहे हैं, जिस पर लोगों को हंसी आती है. कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाई. कई नेताओं को गिरफ्तार किया. उसके बाद भी कांग्रेस के काम ऐसे ही तुष्टिकरण वाले और विरोधियों को सीबीआई से परेशान करवाने वाले रहे. अब कांग्रेस सत्ता से पूरी तरह बाहर हो चुकी है. पिछली मोदी सरकार के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह थे और वित्त मंत्री अरुण जेटली. अरुण जेटली के साथ चिदंबरम की मित्रता है, इसलिए वे कानूनी शिकंजे से बचे रहे. इस बार अरुण जेटली सरकार में नहीं है और गृह मंत्री अमित शाह बन गए हैं. अमित शाह धारा 370 हटाने का पराक्रम कर ही चुके हैं. वह कभी नहीं भूल सकते कि चिदंबरम के कारण उन्हें तीन महीने जेल में रहना पड़ा था और दो साल गुजरात बदर होना पड़ा था. इन तथ्यों को देखते हुए क्या चिदंबरम बच सकते थे? चिदंबरम जो चला रहे थे वह भी कानून का राज था और अमित शाह जो चला रहे हैं, वह भी कानून का राज है. तब अमित शाह गिरफ्तार हुए थे और अब चिदंबरम गिरफ्तार हुए हैं. यही तो समय का फेर है.

Leave a Reply