Speculation of Charanjit Singh Channi joining BJP: पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस सरकार में सूबे के मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी प्रदेश की राजनीति से करीब करीब अदृश्य हो गए हैं. चुनाव के बाद बीते साल पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनके गांव पहुंचने के बाद सक्रिय राजनीति से चन्नी गायब ही रहे हैं. अब पंजाब के सियासी गलियारों से उड़ती हुई खबर आ रही है कि चन्नी अब पूर्व कांग्रेस नेता एवं पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह के पद चिन्हों पर चल पड़े हैं. चन्नी के जल्द बीजेपी में शामिल होने की खबरें सामने आ रही हैं. हालांकि इस बात से कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट तौर पर इनकार किया है. हालांकि सियासी गलियारों में इसके पीछे हाल में जेल से रिहा हुए नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका बताई जा रही है.
1988 के रोड रेज मामले में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई थी. इसके बाद सिद्धू पटियाला जेल में बंद थे. सिद्धू हाल में रिहा हुए हैं और आते ही उन्होंने आलाकमान से मुलाकात की है. उन्होंने दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है. इसके बाद चन्नी के बीजेपी में शामिल होने की अफवाहों को बल मिला है.
दरअसल, पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को सूबे का मुख्यमंत्री बनाया. उस समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू थे जिनकी खुद की इच्छा मुख्यमंत्री बनने की थी. चन्नी को सीएम बनने के बाद उन्होंने आलाकमान पर खुद को सीएम फेस बनाने का दबाव डाला लेकिन ऐसा हो न सका और कांग्रेस ने चन्नी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का फैसला दिया. इसके बाद सिद्धू और चन्नी के बीच अलगाववाद की दरार पैदा हो गई जो विधानसभा चुनावों में स्पष्ट तौर पर दिखाई दी. चुनाव प्रचार में खुद सिद्धू ने कोई खास रूचि नहीं दिखाई. इसका परिणाम ये हुआ कि पंजाब विस चुनावों में केवल 18 सीटों पर सिमट गई और आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई. आपसी मनमुटाव के चलते चन्नी और सिद्धू खुद अपनी सीटों पर चुनाव हार बैठे.
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इसी घटनाक्रम के बीच एक घटना और घटी जो बेहद चौंकाने वाली रही. प्रदेश के मुख्यमंत्री की सीट से हटाए जाने के बाद अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और समर्थन वाले नेताओं को लेकर नई पार्टी बना ली. इसके साथ साथ बीजेपी से नजदीकियों के गाने भी गाने लगे. विस चुनावों में वे खुद अपनी पारपरिक सीट से हार बैठे और राजनीतिक खत्म होते देख बीजेपी में जाकर शामिल हो गए. हालांकि उसके बाद से वे पंजाब की राजनीतिक मंच से पूरी तरह से मि.इंडिया बन चुके हैं. अब सिद्धू के फिर से पंजाब की राजनीति में सक्रिय होने की आबोहवा को पहचानते हुए चन्नी भी बीजेपी की शरण में जा सकते हैं.
बताया जा रहा है कि चन्नी ने हाल में कुछ बीजेपी नेताओं से मुलाकात भी की है. हालांकि, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है. प्रताप सिंह बाजवा ने बीजेपी पर फर्जी खबर फैलाने का आरोप भी लगाया है. हालांकि चन्नी को राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी देखा गया था. इसके बाद उन्होंने प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात की थी. यह मुलाकात इसलिए भी अहम थी क्योंकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि इस बैठक के जरिए पार्टी में उनके विरोधियों को संदेश दिया गया था कि उनकी अभी भी पंजाब कांग्रेस में अहम भूमिका है. यही वजह है कि कांग्रेस अब जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव में प्रचार के लिए भी चन्नी को साथ लाने के मूड में है.
इधर, सिद्धू के जेल से आने के बाद पंजाब की स्थानीय राजनीति फिर से करवट लेते हुए नजर आ रही है. सिद्धू जेल से बाहर आते ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात करने दिल्ली जा पहुंचे हैं. इसके बाद सिद्धू की सक्रियता फिर से पंजाब राजनीति में बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं. इस बात से सहमे हुए चन्नी भी अमरिंदर सिंह की तरह अपने लिए बीजेपी के गलियारे तलाश रहे हैं. हालांकि इस बारे में अभी तक किसी भी पार्टी या किसी भी नेता की तरफ से इसकी आधिकारिक या व्यक्तिगत घोषणा नहीं की गई है लेकिन देखना रोचक रहेगा कि चन्नी कांग्रेस के नेता रहे चुके अमरिंदर सिंह की राह पकड़ते हैं या कांग्रेस में रहकर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एकजुट होकर पंजाब में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने में मदद करते हैं.