गुर्जर आंदोलन: 17 को होने वाली महापंचायत अब पीलूपुरा के गांव अड्डा में होगी, बैंसला ने लगाए आरोप

गुर्जर आंदोलन के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह के साथ समाज के पदाधिकारियों की बैठक के बाद बैंसला ने प्रेसवार्ता कर लगाए आरोप, एमबीसी के 5 प्रतिशत आरक्षण को केन्द्र की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग, अब मलारनाडूंगर नहीं, पीलूपुरा में 17 को होगी महापंचायत

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Politalks.News/Rajasthan. एमबीसी आरक्षण को लेकर गुर्जर समाज एक बार फिर आर-पार के मूड है. गुर्जर सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में दिए गए पांच प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने और राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने की मांग को लेकर गुर्जर समाज आंदोलन की तैयारी कर रहा है. गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने जानकारी देते हुए बताया की इसके लिए 17 अक्टूबर को पीलूपुरा के गांव अडडा में गुर्जर महापंचायत बुलाई गई है.

बता दें, पूर्व में महापंचायत का स्थान मलारनाडूंगर तय किया गया था, लेकिन बुधवार को गुर्जर आंदोलन के मुखिया रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अध्यक्षता में गुर्जर समाज के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में महापंचायत का स्थान बदलकर पीलूपुरा के गांव अडडा किया गया है. इसी महापंचायत में आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी.

क्या चाहता है गुर्जर समाज

गुर्जर समाज की प्रमुख मांगों में एमबीसी के पांच प्रतिशत आरक्षण को केन्द्र की नौवीं अनुसूची में शामिल करने, बैकलॉग की भर्तियां निकालने, प्रक्रियाधीन भर्तियां एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियों को नियमित करने, शहीदों के परिजनों को सरकार के वायदे के अनुसार मुआवजा व अन्य मदद देने आदि शामिल हैं.

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क्या बोले गुर्जर नेता बैंसला

कर्नल किरोडी सिंह बैंसला से जब महापंचायत को आंदोलन में बदलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकते. यह समाज पर निर्भर है. महापंचायत का स्थल बदलने के साथ ही जिले के पुलिस-प्रशासन के अधिकारी चौकस हो गए हैं और गुर्जर समाज की हर गतिविधि पर निगरानी बनाए हुए हैं. एसडीएम सुरेश कुमार यादव ने भी थाने में सीएलजी सदस्यों की बैठक लेकर कानून व्यवस्था पर चर्चा की है.

बैंसला ने लगाए गहलोत सरकार पर आरोप

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राज्य सरकार पर गुर्जर समाज के साथ हुए समझौते की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सब जानती है कि हम क्या चाहते हैं, ऐसे में हम सरकार के साथ वार्ता नहीं करेंगे. डेढ़ साल से मुख्य सचिव और सरकार के बीच उच्च स्तर पर वार्ता ही हो रही है. प्रक्रियाधीन भर्तियों में गुर्जरों सहित विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल पांच जातियों को दिए गए आरक्षण का पूरी तरह पालन नहीं हो रही है.

किरोड़ी बैंसला ने कहा कि आरक्षण आंदोलन समझौते के सभी बिंदुओं की अक्षरशः पालन के इंतजार में डेढ़ साल गुजार दिए. इस बीच, विशेष पिछड़ा वर्ग को काफी हानि हुई है. हम सरकार से कोई वार्ता नहीं करेंगे. सरकार का प्रतिनिधि घर आकर वार्ता करता है तो स्वागत है. वहीं विजय बैंसला ने भी पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार गुर्जर समाज की मांगों को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से भी वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक एमबीसी की मांगों पर सरकार ने कोई कार्य नहीं किया है.

क्या है मामला

गौरतलब है कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों रैबारी, रायका, गाड़िया लुहार और बंजारा जातियों को पांच फीसद आरक्षण दिया था. करीब डेढ़ दशक के आंदोलन के दौरान राज्य सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण तीन बार कोर्ट में अटक गया. करीब डेढ़ साल पूर्व प्रदेश में सत्ता में आई अशोक गहलोत सरकार ने राज्य विधानसभा में एक संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, जिसमें कहा गया कि विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल की गई जातियों का मामला संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाए गए, इस कारण गुर्जर समाज नाराज है और माना जा रहा है कि प्रदेश में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन हो सकता है.

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