Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की 15वीं विधानसभा छठे सत्र के तीसरे चरण की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. इससे पहले आज बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने विधानसभा में मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग करते हुए कहा कि, ‘मिलावटखोरों के खिलाफ सरकार ऐसा कानून बनाए कि उन्हें फांसी की सजा हो‘. इसके साथ ही विधायक बलजीत यादव ने राजस्थान भू-राजस्व (संसोधन) विधेयक 2021 पर बोलते हुए कहा कि, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे करवा कर आबादी क्षेत्र निर्धारित करने वाले लाल डोरे का विस्तार करके सरकार प्रदेश के गरीब किसान मजदूरों को राहत दे ताकि उन्हें पट्टा मिल सके‘.
शनिवार को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेते हुए दण्ड विधियां (राजस्थान संसोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने सदन में कहा कि सब जानते हैं कि सरस और अमूल के दूध के साथ मावा और तेल में भारी मिलावट हो रही है. मिलावटखोर आमजन को जहर बेच कर 20 से 30 लाख रुपए प्रतिदिन कमा रहे हैं इसके बावजूद भी सजा मिलना तो दूर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तक नहीं हो पाती.
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यादव ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हैरानी इस बात की है कि मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए कानून बना हुआ है फिर भी मिलावटखोरों का गौरखधंधा फलफूल रहा है. ऐसे लोगों को कानून का जरा भी डर नहीं है. कोई मिलावटी दूध का टैंकर पकड़ा भी जाता है तो एक हजार रुपए की पेनल्टी के बाद छूट जाता है. शिकायत मिलने पर कई बार विभाग यह कह कर इसे टाल देते हैं कि उनके पास अधिकारियों की कमी है. विधायक बलजीत यादव ने कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ हो तो कम अधिकारी होने पर भी मिलावटखोरों पर अंकुश लगाया जा सकता है.
लाल डोरे का विस्तार करके गरीब किसान, मजदूर को राहत दे सरकार
इसके साथ ही राजस्थान भू-राजस्व (संसोधन) विधेयक 2021 पर बोलते हुए बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे करवा कर आबादी क्षेत्र निर्धारित करने वाले लाल डोरे का विस्तार करके सरकार प्रदेश के गरीब किसान मजदूरों को राहत दे ताकि उन्हें पट्टा मिल सके. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार को सुझाव देते हुए विधायक बलजीत यादव ने कहा कि 1955-56 में बने रेवेन्यू एक्ट के बाद आज तक किसी भी सरकार ने लाल डोरे के विस्तार के बारे में नहीं सोचा. क्या पिछले 64 सालों में आबादी क्षेत्र में कोई विस्तार नहीं हुआ.
बलजीत यादव ने आगे कहा कि शहरी क्षेत्र में लोगों को उनके पुश्तैनी मकान का पट्टा देने के लिए सरकार ने वर्ष 2015 में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 61A के तहत पट्टा देने का प्रावधान किया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब किसानों को उनके आवास का पट्टा देने के लिए किसी ने सोचा तक नहीं. यादव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब किसान मजदूरों को भी उनके पुश्तैनी जमीन पर बने मकानों का पट्टा मिलना चाहिए. सरकार चाहे तो इसी विधेयक में कुछ और संशोधन करके लोगों को राहत प्रदान कर लोगों को राहत प्रदान करें या अलग से बिल लाकर प्रदेश के गरीब और मजदूर लोगों को राहत प्रदान करे.