Politalks.News/Rajasthan. किसान की परिभाषा को लेकर शनिवार को सदन में खूब तकरार देखने को मिली. स्पीकर डॉ. सीपी जोशी और मंत्री शांति धारीवाल के बीच सदन में शब्दों की तकरार हुई. विधायक बलवान पूनिया ने ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के जरिये कृषि विभाग द्वारा 2 सितम्बर 2021 को जारी की गई अधिसूचना पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था. इस अधिसूचना के जरिए कृषि विभाग ने कई श्रेणियों के पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधियों को कृषक परिवार में सम्मिलित नहीं माना है. कभी किसी पद पर रह चुके नेताओं और मौजूदा मंत्री-विधायकों को किसान नहीं मानने के गहलोत सरकार के फैसले पर विधानसभा में शनिवार को जमकर बहस हुई.
राज्य सरकार ने एग्रो प्रोसेसिंग पॉलिसी के तहत प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर केवल किसान कैटेगरी के आवेदकों को ही 50 फीसदी कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान किया है. इस प्रावधान में पदों पर बैठे या पदों पर रह चुके नेताओं को किसान नहीं माना है. माकपा विधायक बलवान पूनिया ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मौजूदा और पूर्व जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने पर सवाल उठाते हुए इसे बदलने की मांग की. स्पीकर सीपी जोशी ने भी सरकार को एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट की 50 फीसदी सब्सिडी के लिए विधायकों और जनप्रतिनिधियों को भी किसान की कैटेगरी में लाभ के दायरे में लाने के निर्देश दिए.
विधानसभा में एक मात्र सीपीएम बलवान पूनिया के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि, ‘भारत सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से किसान की परिभाषा में संशोधन किया गया है. धारीवाल ने बताया कि, ‘संशोधन से कोई भी परिवार कैपिटल सब्सिडी से वंचित नहीं हुआ है. किसान की श्रेणी में वही व्यक्ति और परिवार आएंगे, जिनकी आजीविका पूरी तरह कृषि से चलती है. किसान सम्मान निधि में किसान की परिभाषा में पूर्व और मौजूदा सांसद, विधायक, मेयर, जिला प्रमुख नहीं आएंगे. सरकार की मौजूदा फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी में किसान को एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर केवल किसान को ही 50 फीसदी की सब्सिडी देते हैं. विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधि खेत के मालिक हैं तो भी उन्हें किसान नहीं माना है. दूसरी कैटेगरी में आवेदकों को 25 फीसदी सब्सिडी ही मिलती है.
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हमें किसान के हक से वंचित न करें- बलवान पूनियां
माकपा विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि, ‘हमारे पास जमीन है और खेती करते हैं. कई साथी विधायक भी किसान हैं. उन्हें किसान सम्मान निधि में तय की गई परिभाषा को आधार बनाकर किसान होने के हक से वंचित मत कीजिए. किसान सम्मान निधि में किसान की पात्रता और एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वाले किसान की परिभाषा अलग होनी चाहिए.
स्पीकर जोशी के निर्देश- जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने वाला प्रावधान बदले सरकार
एग्रो प्रोसेसिंग, एग्रो बिजनेस, एग्रो एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी-2019 के तहत राज्य सरकार द्वारा कृषक को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. जोशी ने कहा कि, ‘कृषक की परिभाषा में नहीं आने पर भी राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. किसान की जो परिभाषा दी गई है, वह केवल भारत सरकार की किसान सम्मान निधि योजना पर लागू होती है. यह किसान के लिए सामान्य परिभाषा नहीं है. इसलिए जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने के बारे में जारी अधिसूचना को संशोधित किया जाना चाहिए’. जोशी ने कहा कि, ‘सरकार को निर्देश दिए जाते हैं कि वह जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने के प्रावधान को हटाकर पहले की तरह ही परिभाषित किया जाए, ताकि किसान की तरह अन्य को भी योजना में 50 प्रतिशत की सब्सिडी का लाभ मिल सके’
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इससे पहले धारीवाल और स्पीकर में यूं चले शब्दों के बाण
इसे लेकर जोशी और धारीवाल के बीच काफी देर तक तर्क-वितर्क और तकरार हुई. बार-बार स्पीकर के टोकने पर धारीवाल ने कहा कि, ‘तो क्या मैं बैठ जाऊं? इस पर स्पीकर ने भी नाराज होते हुए कहा कि, ‘आप बैठना चाहो तो बैठ जाओ. मैं आपको बैठने से थोड़े ही रोक सकता हूं’. धारीवाल ने एक ओर पासा फेंकते हुए विपक्ष की ओर इशारा कर कहा कि, ‘ये सब कह दें कि भारत सरकार की बात मत मानो’. इस पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विपक्ष की ओर से सहमति जताई कि, ‘इस मामले में भारत सरकार की गाइडलाइन फॉलो नहीं की जानी चाहिए’. इस पर धारीवाल ने कहा कि, ‘यदि सदन चाहता है तो इस पर पुनर्विचार कर लेंगे’. स्पीकर द्वारा फिर टोके जाने पर धारीवाल ने झल्लाते हुए कहा कि, ‘आपका क्या आदेश है, आप तो यह बता दो. आखिरकार स्पीकर ने कहा कि, ‘अध्यक्ष की हैसियत से उनकी जिम्मेदारी विधायकों को प्रोटेक्ट करना और सरकार को डायरेक्शन देना है’. जोशी ने कहा कि, ‘सरकार को आदेश दिए कि वह भारत सरकार की कृषक सम्मान योजना वाली परिभाषा को डिलीट करे और सभी किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की व्यवस्था करे’. धारीवाल ने फिर कहा कि, ‘आपने आदेशित किया है तो आदेश मान लेंगे. इस पर स्पीकर
ने कहा कि मैं सीनियरिटी का सम्मान कर रहा था नहीं तो मैं पहले ही आदेश दे सकता था’.
विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
राजस्थान विधानसभा का षष्ठम सत्र शनिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया. इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि 10 फरवरी 2021 से इस सत्र की शुरूआत हुई. इसमें कुल 26 बैठकें हुई. इसमें 18 सितंबर 2021 की कार्यवाही समाप्त होने तक लगभग 186 घंटे 46 मिनट विधान सभा की कार्यवाही चली