Women’s Reservation Bill: लोकतंत्र के नए मंदिर यानी संसद के नए भवन में आज पहली कार्यवाही हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण को लेकर नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया. 128वां संविधान संशोधन बिल के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू किया जाएगा. इस फॉर्मूले के अनुसार, लोकसभा की 543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. यानी इन सीटों पर केवल महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी. हालांकि यह नियम 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों और इससे पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में लागू नहीं होगा. लोकसभा में इस बिल पर कल सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक बहस होगी.
लोकसभा में 543 सीटों में से 131 SC-ST के लिए आरक्षित हैं. इनका एक तिहाई यानी 44 सीटें SC-ST महिलाओं के लिए रहेंगी. तब बाकी महिलाओं के लिए 137 सीटें बचेंगी. जबकि SC-ST रिजर्वेशन की 87 सीटें बाकी रह जाएंगी. अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं. इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी. यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा. इसका सीधा मतलब ये है कि यह नियम राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.
अगले 15 सालों तक अमल में रहेगा, फिर नया बिल आएगा –
लोकसभा और विधानसभाओं में यह कानून जब लागू हो जाएगा, उसके बाद 15 साल तक अमल में रहेगा. उससे आगे रिजर्वेशन जारी रखने के लिए फिर से बिल लाना होगा और मौजूदा प्रक्रियाओं के तहत उसे पास कराना होगा. अगर 15 साल के बाद उस समय की सरकार नया बिल नहीं लाती है, तो ये कानून अपने आप खत्म हो जाएगा.
वहीं 128वां संविधान संशोधन बिल को एक तय प्रक्रिया से गुजरना होगा.. चूंकि ये संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए इसे पारित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी. सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक चूंकि विधानसभा सीटों में भी बदलाव होगा, ऐसे में आधे से ज्यादा राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी. अगर सभी राज्यों की विधानसभा प्रभावित हो रही है तो उस राज्य की विधानसभा भी सरकार से राज्य की सहमति ली जाने की मांग कर सकती है. हालांकि विधेयक में कहा गया है कि ये सीधे जनता द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधियों पर ही लागू होगा. इसका मतलब है कि ये आरक्षण राज्यसभा या सभी 6 विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा. इस विधेयक में लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और एनसीटी दिल्ली की विधानसभा शामिल है.
आगामी 5 राज्यों के विस और लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा –
विधेयक में साफ तौर पर लिखा है कि महिलाओं के लिए एक तिहाई रिजर्वेशन डिलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा. इसके 3 स्टेप्स होंगे… पहले ये बिल पारित होगा. इसके बाद जनगणना और फिर परिसीमन होगा. विधेयक के कानून बनने के बाद जो पहली जनगणना होगी, उसके आधार पर परिसीमन होगा. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2026 से पहले परिसीमन लगभग असंभव है, क्योंकि 2021 में होने वाली जनगणना कोविड-19 की वजह से अभी तक नहीं हो सकी है. एक देश एक चुनाव की अटकलों के बीच अगर आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा के चुनाव समय पर संपन्न हो जाते हैं तो इनमें महिला आरक्षण पारित होने के बावजूद लागू नहीं हो सकेगा.
भवन बदला है इसलिए भाव और भावनाएं भी बदलनी चाहिए – पीएम मोदी
संसद भवन में पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है. मुझे विश्वास है कि भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए. संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है. यह दलहित के लिए नहीं है. नारी शक्ति वंदन विधेयक पर पीएम मोदी ने कहा कि आज 19 सितंबर की यह तारीख इतिहास में अमरत्व प्राप्त करने जा रही है. आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी मांएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें. योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं. देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं.
आखिर में पीएम मोदी ने कहा कि कई सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चा हुई, काफी वाद-विवाद हुए. महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं. 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ. अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और इस कारण से वह सपना अधूरा रह गया. महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है.
बिल को विपक्ष का समर्थन, कांग्रेस ने भी दिया साथ –
महिला आरक्षण बिल को संसद में विपक्ष का भी समर्थन मिला है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें. हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे. वहीं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस बिल को समर्थन देने की हामी भरी है. इधर, तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी और बीआरएस नेता के.कविता पहले ही वुमन रिजर्वेशन बिल पेश करने की मांग कर चुकी है. कविता ने कहा था कि उनकी पार्टी का विश्वास है कि महिलाओं के लिए रिजर्वेशन के साथ-साथ कोटा पर भी काम किया जाना चाहिए. कविता लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की मांग कर रही हैं. इसी मांग को लेकर कविता ने 10 मार्च को दिल्ली में एक दिन की भूख हड़ताल भी की थी.
तीन दशकों से लंबित है संसद में महिला आरक्षण –
भारत की संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से लंबित चल रहा है. यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था. 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था. तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी. इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया. तभी से महिला आरक्षण बिल लंबित है. अब पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश कर नई शुरूआत की नींव रखी है. लोकसभा में एनडीए को स्पष्ट बहुमत है लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक को पास होने में थोड़ी बहुत दिक्कत आ सकती है.