पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. मध्यप्रदेश में हुए बड़े सियासी घटनाक्रम का असर अब पडौसी राज्य राजस्थान पर भी होता नजर आ रहा है. राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी भी पार्टी में अपनी अनदेखी के चलते बगावत कर सकते हैं. जी हां, रामेश्वर डूडी के समर्थकों से पॉलिटॉक्स की हुई खास बातचीत में इस बात का इशारा मिला है. दरअसल, रामेश्वर डूडी के समर्थकों ने डूडी को राज्यसभा टिकट या प्रदेश में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों में सम्मानित पद मिले, इसके लिए सोशल मीडिया पर एक कैम्पेन चलाया है. रामेश्वर डूडी के समर्थकों ने ट्विटर पर कांग्रेस आलाकमान का ध्यान आकर्षित करने के लिए #DudiForRajasthan हैशटेग के साथ कैम्पेन चलाया है. इसी के चलते खुद रामेश्वर डूडी पिछले 10-12 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और पार्टी नेताओं से सम्पर्क साध रहे हैं.
बता दें, प्रदेश में दिग्गज जाट और किसान नेता की छवि रखने वाले रामेश्वर डूडी ने पिछली वसुंधरा सरकार के समय, जबकि राजस्थान में कांग्रेस के महज 22 विधायक थे, तब नेता प्रतिपक्ष रहते डूडी ने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ कई मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक सरकार को कई बार घेरा और संघर्ष किया. उसके बाद हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में रामेश्वर डूडी अपनी सीट नहीं बचा पाए और हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद रामेश्वर डूडी ने प्रदेश में अपनी सरकार होने के विश्वास के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आज्ञा लेकर राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव लडने का निर्णय लिया. इसी बीच सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के चुनाव के मैदान में आने से डूडी के मंसूबों पर पानी फिर गया. यहां तक कि आरसीए चुनाव में नामांकन करने तक के लिए भी रामेश्वर डूडी को भारी संघर्ष करना पडा था.
खैर, बात आई गई हो गई और रामेश्वर डूडी एक बार फिर इस विश्वास के साथ कि कभी पार्टी को जरूर उनकी याद आएगी, शांत होकर बैठ गए. अब समय आया है जब प्रदेश से राज्यसभा के लिए तीन सीटों पर चुनाव होने हैं और साथ ही आलाकमान के निर्देशानुसार बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियां भी जल्द होने वाली हैं. ऐसे में रामेश्वर डूडी और उनके समर्थक चाहते हैं कि दोनों में से किसी एक जगह पर डूडी को भी सम्मान मिले. यहां तक कि रामेश्वर डूडी के कुछ समर्थकों ने दावा किया कि अगर इस बार भी पार्टी ने प्रदेश के प्रमुख जाट और किसान नेता रामेश्वर डूडी को सम्मान नहीं दिया तो डूडी बगावत कर सकते है.
बता दें, रामेश्वर डूडी खुद पिछले लगभग 12 दिनों से दिल्ली में है ओर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क बनाए हुए है. वहीं डूडी के समर्थकों ने उन्हें राज्यसभा टिकट या प्रदेश में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों में स्थान मिले इसके लिए सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाया है. डूडी के समर्थकों ने ट्विटर पर कांग्रेस आलाकमान का ध्यान आकर्षित करने के लिए #DudiForRajasthan हैशटेग के साथ कैम्पेन चलाया हुआ है.
रामेश्वर डूडी के समर्थकों का कहना है कि ट्विटर पर #DudiForRajasthan ट्रेंड चला कर वो पार्टी आलाकमान तक मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि आने वाले राज्यसभा चुनाव और राजनीतिक नियुक्तियों में जाट और किसान समुदाय से आने वाले रामेश्वर डूडी को जगह मिले. पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे. लेकिन चुनाव हारने से नेता की लोकप्रियता कम नहीं होती है. जब पूर्ण बहुमत में पिछली वसुंधरा सरकार थी और कांग्रेस के महज 22 विधायक थे उस समय नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने सदन में बीजेपी की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोर शोर से आवाज़ उठाई.
डूडी सर्मथकों ने आगे कहा कि पिछली बीजेपी सरकार के समय सड़क पर संघर्ष, पैदल यात्रा, अनेकों धरने देने वाले प्रदेश में 2 ही नेता थे एक रामेश्वर डूडी और दूसरे सचिन पायलट. इन दोनों ही नेताओं ने अनेकों नए नेताओं को कांग्रेस में शामिल करवाया. पिछली वसुंधरा सरकार के समय जितने भी उपचुनाव प्रदेश में हुए, सचिन पायलट और डूडी के राजनीतिक अनुभव के चलते सभी उम्मीदवारों ने सभी चुनावों में जीत हासिल की. समर्थकों का कहना है कि रामेश्वर डूडी ने आम किसान कॉम को कांग्रेस से जोडा ओर अपने दम पर बीकानेर में राहुल गांधी की ऐतिहासिक रेली करवाई जिसमें लगभग 5 लाख लोग शामिल हुए थे.
इसके साथ ही डूडी समर्थकों ने यह भी कहा कि सचिन पायलट के चेहरे को देख कर ही प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को बहुमत दिया और सरकार बनने के बाद रामेश्वर डूडी की अनदेखी शुरू हो गयी. यह अनदेखी आगामी चुनाव में पार्टी को बहुत भारी पड़ेगी. राजस्थान की किसान कॉम को रामेश्वर डूडी से बहुत लगाव है और पार्टी को अगर किसान कॉम को साथ जोडे रखना है तो रामेश्वर डूडी को राज्यसभा भेजना चाहिए. वहीं रामेश्वर डूडी बागी होंगे या नहीं, इस सवाल पर समर्थकों का कहना है कि ये तो आने वाला समय ही बताएगा.