delhi politics
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Delhi Election: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है. दिल्ली की सभी 70 सीटों पर अगले महीने में चुनाव होना प्रस्तावित है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप पिछले दो चुनावों में आप बड़ी भारी जीत हासिल कर चुकी है, जबकि बीजेपी अपनी स्थिति सुधारने की कोशिश में है. 2015 और 2020 में आप के हाथों अपनी जमीन गंवा चुकी कांग्रेस दिल्ली की राजनीति में फिर से पैर जमाने की कोशिश कर रही है. तीनों पार्टियां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा रही हैं और कम वोटों के अंतर वाले सीटों पर विशेष ध्यान दे रही हैं.

आम आदमी पार्टी ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है. 2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने 70 में से 67 सीटें जीत 54.6% वोट हासिल किए. 2020 में पार्टी को 62 सीटें मिलीं और वोट शेयर मामूली सा कम होकर 53.6% रह गया. भारतीय जनता पार्टी 2013 में 32 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन बहुमत से दूर रही. हालांकि, 2015 में बीजेपी की सीटें घटकर केवल तीन रह गईं, जबकि 2020 में पार्टी को 8 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल हुई. कांग्रेस के लिए पिछले दिल्ली चुनाव एक दुस्वपन की तरह रहे हैं. 2008 में 43 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2013 में केवल 8 सीटों पर सिमट गयी. वहीं 2015 और 2020 में पार्टी सिंगल सीट जीतने में भी नाकामयाब रही.

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15 सीटों पर होगी कांटे की टक्कर

इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी उन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश रही है जहां उन्हें पहले भारी समर्थन मिला था. दोनों पार्टियों उन सीटों पर भी ध्यान केंदित कर रही ळैं जहां जीत का अंतर कम था. पिछले चुनाव में 15 सीटें थीं जहां हार जीत का अंतर केवल 10 हजार से भी कम रहा था. 2015 में इन सीटों की संख्या 6 थी. 26 सीटों पर जीत का अंतर 10 हजार से 20 हजार और 14 सीटों पर यह अंतर 20 हजार से 30 हजार मतों का रहा था. इन 15 सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवार को अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 30 हजार के करीब वोट अधिक मिले और ये सभी सीटें आप ने जीतीं थीं.

कांग्रेस के वोट शेयर में सुधार, बीजेपी को लाभ

जिन सीटों पर हार जीत का मार्जिन कम रहा, उन सभी सीटों पर कांटे की टककर होना तय है. हालांकि लहर अभी भी आप की है लेकिन बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति खेल कर सकती है, इसके बावजूद कांग्रेस के बेहतर प्रदेर्शन की उम्मीद के साथ जताई जा रही है. उनके पास उन सीटों पर भी नतीजे बदलने का अच्छा मौका है, जहां आप पिछले चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल कर चुकी है. कांग्रेस और आप का वोट बैंक एक ही है, इसलिए कांग्रेस के वोट शेयर में सुधार से पार्टी का सूखा खत्म होने की संभावनाएं तीव्र हैं. साल 2020 में कांग्रेस ने 66 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसके तीन उम्मीदवारों को 20 हजार और पांच उम्मीदवारों को 10 से 20 हजार के बीच वोट मिले थे, जबकि पार्टी के 38 उम्मीदवार पांच हजार मत भी हासिल नहीं कर पाएं थे. ऐसे में कांग्रेस इस बार आप पार्टी को कड़ी टक्कर देने की कोशिश करेगी.

पाला बदलने की जुगत में हैं कई नेता

पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार जीत का अंतर 10 हजार से कम रहा था, वहां मुकाबला कड़ा होना तय है. आप ने सभी 70 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और 25 से ज्यादा वर्तमान विधायकों का टिकट काटा है. वे सभी पाला बदलने की फिराक में हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास नंबर बढ़ाने की गुंजाइश है. हालांकि मुख्य टक्कर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के बीच होना तय है.

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