Politalks.News/Rajasthan. पिछले महीने की 25 सितंबर को राजस्थान में हुए सियासी घमासान को लेकर अब भाजपा एक्टिव मोड में आ गई है. मंगलवार को राजस्थान भाजपा के दिग्गज नेताओं ने हाल ही में राजस्थान कांग्रेस के विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के नेतृत्व में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित अन्य नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि, ‘जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस ऊहापोह की स्थिति को खत्म कराएं.’ तो वहीं सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘कांग्रेस को तय करना है कि क्या यह सियासी पाखंड था या फिर इस्तीफे सच्च में दिए गए थे इसलिए स्पीकर के पास आए हैं.’
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव से पहले राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच कांग्रेस पर्यवेक्षकों द्वारा बुलाई गई बैठक सामानांतर एक अन्य बैठक भी बुलाई गई. जिसमें कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे और उन्होंने पार्टी आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा था. हालांकि तीनों नेताओं ने अपना जवाब दे दिया है लेकिन उसपर फैसला 19 अक्टूबर के बाद होना है. तो वहीं कांग्रेस विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे को लेकर सियासत गरमा गई है. मंगलवार को बीजेपी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को ज्ञापन सौंपा.
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इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई गणमान्य नेता मौजूद रहे. ज्ञापन सौंपने के बाद पत्रकारों से मुखातिब होते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि, ‘राज्य में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद अस्थिरता का माहौल है. क्योंकि यह सभी अभी मंत्री हैं. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की तरफ से अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. फैसला लेने में हो रही देरी की वजह से अव्यवस्था का माहौल बन गया है. बीजेपी ने काफी दिनों तक इंतजार किया क्योंकि हमें पता था कि अगर हम कुछ बोलेंगे तो कांग्रेस कहेगी की बीजेपी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि 23 दिन बीत जाने के बाद आज हमने एक ज्ञापन इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा है तथा मांग की है कि वो बिना देर किये कोई फैसला लें. यदि उन्हें इस्तीफे स्वीकार करने में कोई दिक्कत है तो इसे अस्वीकार करें, लेकिन इस बारे में स्थिति तत्काल स्पष्ट होनी चाहिए.’
वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘कांग्रेस को तय करना है कि क्या यह सियासी पाखंड था या फिर इस्तीफे सच्च में दिए गए थे इसलिए स्पीकर के पास आए हैं. जब उन्होंने (विधायकों ने) इस्तीफे दे दिए तो सरकार कौन चला रहा? सरकार तो अल्पमत में दिख रही है.’ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पूनियां ने आगे कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी में भीतरी घमासान चल रहा है. पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी बंटी हुई है. आपसी खींचतान के बीच गहलोत सरकार 92 विधायकों से इस्तीफे भी लिखवाकर विधानसभा अध्यक्ष को दिलवा चुकी है. गहलोत सरकार ने ही 92 इस्तीफों का दावा किया है, जो अब तक स्पीकर ने स्वीकार नहीं किए हैं. कांग्रेस सरकार और पार्टी में चल रही गुटबाजी और अंदरूनी लड़ाई जब से सरकार बनी है, तभी से चल रही है. 2020 में भी सियासी संकट के दौरान गहलोत सरकार को बाड़ेबंदी में इसी कारण जाना पड़ा था.’
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘राजस्थान में 90 से ज्यादा कांग्रेस सरकार समर्थित विधायकों एवं मंत्रियों ने इस्तीफा सौंप दिया है उसके बाद भी तबादला उद्योग चालू है. इस्तीफा देने के बाद मंत्रियों को मंत्रीपद के रूप में प्राप्त गाड़ी, आवास व सुरक्षाकर्मी जैसी तमाम सुविधाओं को तत्काल प्रभाव से छोड़ना चाहिये. ये दोहरा मापदंड बिलकुल नहीं चलेगा. जल्द जल्द से इस नौटंकी का पटाक्षेप होना चाहिए.‘ वहीं ज्ञापन एवं विधायकों के इस्तीफे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बीजेपी नेताओं से कहा कि, ‘मैं जल्द ही नियमों का अध्ययन कर ऐसा निर्णय लूंगा जिसे भविष्य में नजीर के तौर पर पेश किया जाएगा.’