पॉलिटॉक्स न्यूज/बिहार. लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का दलीय पार्टी का दर्जा बचाने के लिए कांग्रेस बिहार में एक बड़ा बलिदान करने जा रही है. बिहार में पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के कहने पर कांग्रेस ने अपने कोटे की राज्यसभा सीट छोड़ दी है. यही वजह रही कि बिहार ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इससे पहले माना जा रहा था कि बिहार में खाली हो रही पांच सीटों में से एक सीट पर कांग्रेस तो एक अन्य सीट पर जदयू अपने-अपने प्रत्याशी खड़े करेगी लेकिन अब जदयू के दो उम्मीदवार बतौर सांसद उच्च सदन पहुंचेंगे. अन्य तीन सीटें एनडीए के खाते में गई हैं. हालांकि राजद ने इसकी भरपाई आगामी विधानसभा चुनाव में करने का वादा किया है.
इससे पहले माना यही जा रहा था कि बिहार की दोनों सीटों पर कांग्रेस और राजद एक-एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजेगी लेकिन लालू के कहने पर कांग्रेस अपना दावा छोड़ने को तैयार हो गई. इसके बाद राजद ने अपने कोटे से प्रेम चंद गुप्ता को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया. दूसरी सीट पर राजद के ही ऐडी सिंह बतौर सांसद उच्च सदन पहुंचेंगे. वहीं जदयू की ओर से हरिवंश एवं रामनाथ ठाकुर ने पर्दा दाखिल किया है. वहीं बीजेपी की ओर से विवेक ठाकुर राज्यसभा जाएंगे.
अब सवाल ये आता है कि आखिर क्यों कांग्रेस आने हिस्से की एक राज्यसभा सीट का बलिदान करने जा रही है. इस सवाल का जवाब इसलिए भी जानना जरूरी है कि राजद के दो प्रत्याशी उतारे जाने के बाद भी कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में इसे लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है. दरअसल राजद के आग्रह पर ही कांग्रेस अपने दावे से पीछे हटी. कांग्रेस ने ये फैसला ऐसे वक्त में किया जब आधा दर्जन से ज्यादा नेता राज्यसभा जाने की तैयारियों में जुटे थे. आम चुनावों के समय बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए शत्रुध्न सिन्हा भी उनमें से एक थे.
दरअसल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कांग्रेस को मनाने में अपनी और पार्टी की लाचारी बताई. उनका कहना है कि अगर अभी दो सदस्य राज्यसभा में नहीं गए तो सदन में राजद सदस्यों की हैसियत निर्दलीय की रह जाएगी. क्योंकि दलीय मान्यता के लिए दोनों सदनों में पांच सदस्य होने अनिर्वाय हैं. इस समय डॉ.मीसा भारती, डॉ.अशफाक करीब और प्रो.मनोज झा राज्यसभा में बतौर सांसद राजद के सदस्य हैं.
झारखंड से राजद सदस्य प्रेम गुप्ता का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. राजद के एक अन्य राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी का देहावसान हो चुका है और लोकसभा में उसका प्रतिनिधित्व है नहीं. ऐसे में मौजूदा सांसदों की संख्या केवल दो रह जाएगी और उनकी पार्टी की मान्यता खत्म हो जाएगी. ऐसे में दो नए सदस्यों के जाने के बाद राज्यसभा में राजद के पांच सदस्य हो जाएंगे. इसके साथ ही राजनीतिक दल के तौर पर राजद की मान्यता बरकरार रहेगी.
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राज्यसभा की सीट पर दावा छोड़ने का फायदा कांग्रेस को इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में निश्चित तौर पर मिलने वाला है. राजद ने भी इस बलिदान की भरपाई वि.चु. में कराने का वादा किया है. कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को उसके कोटे से अधिक सीटें मिलेंगी. पिछले बिहार वि.स.चु. में कांग्रेस को 41 सीटें दी गई थी जिस पर 27 सीटों पर जीत कांग्रेस उम्मीदवार सदन में पहुंचे थे. अब इस बलिदान के ऐवज में कांग्रेस को कम से कम 50 से 55 सीटें मिलना तय है.
हालांकि राजद के मुखजुबानी आश्वासन को पक्का नहीं कहा जा सकता. इसकी वजह है कि दिल्ली और उसके बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की मौजूदा हालत है, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी आई है. इसके बाद भी भविष्य को देखते हुए राजद कांग्रेस को खफा करना नहीं चाहेगी.