Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में मंत्रिमंडल पुनर्गठन (Cabinet Reshuffle) के बाद कांग्रेस की सियासी कलह का खत्म होना माना जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस के सियासी संकट के करीब डेढ़ साल के बाद अब पायलट (Sachin Pilot) कैंप के विधायकों को गहलोत मंत्रिमंडल (Ashok Gehlot) में एडजस्ट कर लिया गया है. साथ ही संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों में भी पायलट कैंप के सिपहसालारों मान सम्मान दे ही दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि आलाकमान के इस फैसले से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी खुश हैं. अब जो सवाल देश के सियासी गलियारों में गूंज रहा है वो ये हैं कि सचिन पायलट को क्या जिम्मेदारी दी जा रही है? सूत्रों की मानें तो आलाकमान (Sonia gandhi) इस पर होमवर्क कर चुका है और आलाकमान के पास तीन विकल्प हैं, जिन पर आगे बढ़ा जा सकता है. फिलहाल जयपुर में होने वाली कांग्रेस की महारैली के बाद ही इस पर कोई फैसला होने की चर्चा है.
पायलट की भूमिका पर आलाकमान गंभीर
सियासी कलह के करीब डेढ़ साल बाद गहलोत मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो चुका है. अब सचिन पायलट को क्या जिम्मेदारी मिलने वाली है इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. दिल्ली के सियासी गलियारों जो चर्चा है उसके हिसाब से पायलट की भूमिका को लेकर आलाकमान गंभीर है और उनके कद और मान सम्मान का पूरा ध्यान रखते हुए फूंक-फूंक कर कदम रखा जा रहा है.
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राजस्थान से जुड़े रहना चाहते हैं पायलट!
बात करें सचिन पायलट की भूमिका की तो पायलट साफ कर चुके हैं कि जो आलाकमान तय करेंगे और जो भी जिम्मेदारी उन्हें आलाकमान की ओर से सौंपी जाएगी वो उसे निभाएंगे. लेकिन साथ ही सचिन पायलट आलाकमान को यह भी बता चुके हैं की वो राजस्थान में फोकस बनाए रखना चाहते हैं. मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद मुख्यमंत्री का पद ही एक पॉजिशन थी जिस पर पायलट मान सम्मान कायम रखा जा सकता था. क्योंकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम तो पायलट रह ही चुके थे. अब पायलट का इन पदों पर आसीन होना कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज पहुंचाता. लेकिन सीएम बनाना फिलहाल तो संभव नजर नहीं आ रहा है.
AICC महासचिव बनाए जा सकते हैं पायलट
अब विकल्प नंबर दो जो आलाकमान के सामने है वो ये है कि पायलट को AICC में महासचिव बना कर बिना किसी राज्य का जिम्मा दिए सम्मान दिया जाए. जिससे वो राजस्थान पर पूरा फोकस रख सके. यानि की ‘महासचिव विदआउट पोर्टफोलियो‘. लेकिन कांग्रेस में हाल फिलहाल में ऐसा देखा नहीं गया है.
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केरल और हिमाचल में से एक राज्य की मिल सकती है जिम्मेदारी
विकल्प नंबर तीन ये है कि पायलट को दक्षिण भारत के राज्य केरल की जिम्मेदारी दी जाए. केरल में पांच साल बाद चुनाव होने हैं, ऐसे में पायलट की मंशा के अनुसार वो केरल के साथ-साथ राजस्थान पर भी अपना पूरा फोकस रख सकते हैं. इसके पीछे की एक वजह ये भी है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी फिलहाल केरल के वायनाड से सांसद हैं. इसलिए केरल की जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है. एक विकल्प ये भी है कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का प्रभारी पायलट को बनाया जा सकता है. उपचुनाव में हिमाचल में कांग्रेस ने जोरदार जीत दर्ज की है साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को यहां से उम्मीद हैं. हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला भी स्वास्थ्य कारणों से इस राज्य से मुक्ति पाने के लिए आलाकमान से गुहार लगा चुके हैं.
हालांकि यह सब बातें अभी सियासी गलियारों में लगाए जा रहे कयास हैं. हां लेकिन यह भी तय माना जा रहा है कि सचिन पायलट को जो भी जिम्मेदारी मिलेगी वो इस तरह होगी कि पायलट राजस्थान से दूर नहीं हों, क्योंकि पायलट के लिए सबसे पहली प्राथमिकता राजस्थान ही है.