Ajit Pawar on CM Eknath Shinde: महाराष्ट्र में सत्ताधारी एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच जारी सियासी खींचतान के बीच अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेताओं खासतौर पर पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार के बीच तीखी बयानबाजी अपने चरम पर है. हाल ही में मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सरकारी आवास ‘वर्षा’ बंगले के 4 महीने का खाने का बिल 2 करोड़ 38 लाख रुपये आया है. इस पर महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने मुख्यमंत्री से यह गुस्से भरा सवाल पूछते हुए कहा कि वर्षा बंगले की चाय में कौन सा सुनहरा पानी मिलाया जाता है? पवार ने यह भी कहा कि हमने भी उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया है और मेरे कई करीबी सहयोगी मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनके शासन काल में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. वहीं कांग्रेस नेता सुरेन्द्र राजपूत ने लिखा कि महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे के सरकारी आवास के 4 महीने का खाने का बिल 2 करोड़ 38 लाख रुपये बताया गया है. ऐसे में CM शिंदे से सवाल “चाय में सोने का पानी मिलाते थे क्या?” भाजपा वालों आपने कितना खाया?
आपको बता दें कि सोमवार से शुरू हुए महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर विपक्षी दलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिंदे-फडणवीस सरकार को आड़े हाथों लिया. इस दौरान सभी विपक्षी दलों जिसमें एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा आयोजित पारंपरिक चाय पार्टी का बहिष्कार करते हुए विपक्ष ने कहा कि सरकार की शासन व्यवस्था को देखते हुए इस सरकार के दौर में किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के लोग खुश नहीं हैं. ऐसी सरकार आई है जो राज्य को कई सालों तक पीछे ले जाएगी. किसानों की थाली में संकट का कड़वा स्वाद है. तो चाय की मिठास क्यों? हम इस सरकार की ओर से आयोजित चाय पार्टी में कैसे जा सकते हैं? यह सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने चाय पार्टी का बहिष्कार किया.
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वहीं महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने शिंदे सरकार से कई कड़वे सवाल पूछे. पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद से ही आम शिवसैनिकों में भारी गुस्सा है. सत्ता बदलने के बाद से प्रदेश में एक भी नया उद्योग स्थापित नहीं हुआ है, इसके उलट यहां के उद्योग गुजरात जा रहे हैं. सत्ता पक्ष के विधायक गालियां दे रहे हैं, कोई मार रहा है तो कोई फायरिंग कर रहा है. प्रदेश में कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है. विज्ञापन के नाम पर सरकार की ओर से 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. मुंबई नगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक वहां से 8 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की खबर है. उनकी (एकनाथ शिंदे की) हंसती हुई फोटो दिखाने के लिए करोड़ों रुपए उड़ाए गए. मैंने राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया है. मेरे कई साथियों ने भी मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है. वर्षा बंगले का 4 महीने का खाने का बिल 2 करोड़ 38 लाख रुपए आया है. आखिर बारिश के बाद चाय में कौन सा सुनहरा पानी मिलाना चाहिए? या पन्ने पर सोने का काम किया गया था?
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हालांकि इस पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजित पवार को जवाब देते हुए कहा कि CM आवास पर दूर-दराज से लोग आते हैं, उन्हें चाय दी जाती है, बिरयानी नहीं. यह हमारी संस्कृति में है कि जब कोई हमारे घर आता है तो उसे चाय और पानी दिया जाता है. क्या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए? इसके साथ ही अजीत पवार ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि शिवसेना के 40 लोगों ने अलग स्टैंड लिया और उन्होंने एकनाथ शिंदे का समर्थन करने का फैसला किया लेकिन पार्टी का नाम और पार्टी सिंबल एकनाथ शिंदे को कैसे दे दिया गया? उन्होंने कहा कि मनसे का एक ही विधायक है, तो कल अगर वह अलग रुख अपनाते हैं तो क्या मनसे उन्हें पार्टी और चुनाव निशान रेलवे इंजन देगी?