जवाबदेही वाले पायलट के बयान पर मुख्यमंत्री गहलोत का तंज, कहा- कमियां बताने के साथ दें सुझाव भी, आलोचना का काम तो विपक्ष का है

कोटा अस्पताल में बच्चों की हुई मौतों पर पायलट ने कही थी जवाबदेही तय करने की बात, गहलोत ने कहा- पीसीसी चीफ के साथ-साथ वो उपमुख्यमंत्री भी हैं, उनको बात कहने और सुझाव देने का भी है अधिकार

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री एवं पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच की अदावत किसी से छिपी नहीं है. हाल ही में कोटा जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में सचिन पायलट के सरकार के प्रति जवाबदेही तय करने काले बयान पर तंज कसते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि उनके (पायलट) पास पार्टी अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री दो तरह की जिम्मेदारियां हैं, उन्हें कमियां बताने के साथ सुझाव भी देने चाहिए ताकि उसमें सुधार हो सके. उनकी खुद की सरकार है, विपक्ष तो केवल आलोचना करता है लेकिन पीसीसी चीफ को अधिकार है कि वो अपनी बात कहें और सुझाव भी दें.

जोधपुर से जयपुर आने के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों द्वारा पायलट के जवाबदेही वाले बयान पर सवाल पूछने पर कहा कि सचिन पायलट डिप्टी सीएम भी हैं और पीसीसी अध्यक्ष भी, अपनी बात कहने के लिए उनके पास दो अधिकार हैं. हम लोगों ने उनकी बात को गंभीरता से सुना है. पीसीसी अध्यक्ष की एक गरिमा होती है और वो जो भी बोलते हैं, इस पर अधिकारियों को चाहिए कि उनकी बातों को गंभीरता से लें और उन पर एक्शन भी लें. सरकार में कोई अधिकारी, मंत्री हो या मुख्यमंत्री सच्चाई होगी तो जांच होनी चाहिए. अगर उसमें कोई कमी बेसी भी हो तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

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सीएम गहलोत ने आगे पायलट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पीसीसी अध्यक्ष की भूमिका वो होती है जिसमें उसको खुलकर कहना चाहिए कि इसमें मुझे यहां कमी महसूस हो रही है. विपक्ष किसी बात को कहने का अधिकार रख सकता है तो सत्ता पक्ष के अध्यक्ष को भी उसका अधिकार होना चाहिए. उनकी खुद की सरकार है. विपक्ष तो केवल आलोचना करता है लेकिन पीसीसी चीफ को अधिकार है कि वो अपनी बात कहे और सुझाव भी दे. वो बताए कि क्या क्या उसमें सुधार हो सकता है. मैं तत्काल देखूंगा कि मैं क्या कर सकता हूं. अगर उसमें कोई खामियां रह गई है तो जांच करवा लेंगे. सरकार, मुख्यमंत्री व शासन को निर्देश दे सकते है.

मुख्यमंत्री गहलोत ने आगे कहा उन्हें (पायलट) सुझाव देने के साथ फीडबैक लेने का भी उन्हें पूरा अधिकार है. पक्ष और विपक्ष का मुद्दा भी यही होना चाहिए कि सुशासन कैसे हो. इसके लिए ही हम चुनकर आते है. प्रदेश को संवेदनशील, पारदर्शी, जवाबदेही प्रशासन मिले, प्रदेश की जनता यही अपेक्षा रखती है. जब उसमें कमी होती है तो लोग निराश होते है. गुड़ गवर्नेंस केवल एक व्यक्ति नहीं दे सकता बल्कि पूरी टीम मिलकर देती है. हमारी जिम्मेदारियां विपक्ष से ज्यादा बढ़ती है क्योंकि हम सत्ता में है.

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कोटा में बच्चों की मौत के मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि 2011 में सबसे पहले शिशुओं के लिए आईसीयू की व्यवस्था हमारी सरकार ने की थी. कोटा के इस पूरे मामले में बेवजह राजनीति हो रही है. एक न एक दिन सच सबके सामने आ जाएगा. राजस्थान ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार में भी इसी तरह के आंकडे सामने आ रहे है लेकिन सच कुछ और है. इस मामले में मीडियो को भी मैनेज किया गया है. दिल्ली से मीडिया को बुलाकर गुमराह किया गया.

सीएम गहलोत ने निरोगी राजस्थान को लेकर कहा कि निरोगी राजस्थान योजना के दौरान शिशुओं की मौत का मामला उठाया गया. जबकि सच ये है कि राजस्थान में शिशु और मातृ मृत्यु दर लगातार कम हो रही है. इस योजना के जरिए सरकार का लक्ष्य प्रदेश के हर व्यक्ति को स्वस्थ बनाना है. स्वास्थ्य योजनाओं को सरकार पूरी गंभीरता से सरकार लागू कर रही है. गंभीर से गंभीर बीमारियां इसी में शामिल होंगी क्योंकि गंभीर बीमारियों को जड़ से मिटाना ही हमारा उद्देश्य है.

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वहीं सीएम गहलोत ने सीमावर्ती जिलों के साथ जोधपुर में टिड्डी दल के प्रवेश पर चिंता जताते हुए कहा कि टिड्डी अब जोधपुर के बाद पाली में अभी प्रवेश कर चुकी है. पहले बाड़मेर-जैसलमेर और जालोर में टिड्डी का आतंक था, 6 महीने पहले ही कृषि मंत्री लालचंद कटारिया लगातार दौरे कर रहे थे. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह से एक बार फिर गहलोत ने आग्रह करते हुए कहा कि एनडीआरएफ के अध्यक्ष अमित शाह है. उन्हें इस मामले में एक्शन लेना चाहिए. अपने बयान को दोहराते हुए गहलोत ने कहा कि टिड्डी मामले के अलावा अकाल मामले पर भी एक लाइन अमित शाह ने नही बोली.

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