Politalks.News/Rajasthan/AshokGehlot. बिहार में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल द्वारा मीडिया में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर दिए गए बयान के बाद एक बार फिर सियासत गरमा गई है. कपिल सिब्बल को पार्टी अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पार्टी के आंतरिक मुद्दों का मीडिया में इस तरह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं थी. इसको लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने एक के बाद एक पांच ट्वीट्स किए हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘श्री कपिल सिब्बल को मीडिया में हमारे आंतरिक मुद्दे का उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.’ अपने दूसरे ट्वीट में सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘कांग्रेस ने 1969, 1977, 1989, और 1996 में भी कई संकट देखे है- लेकिन हर बार हम अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में दृढ़ विश्वास के कारण मजबूत हुए हैं.’
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने तीसरे ट्वीट में कहा कि, ‘हमने प्रत्येक संकट में सुधार किया है और 2004 में सोनिया जी के कुशल नेतृत्व में यूपीए सरकार का गठन किया, हम इस बार भी इसे दूर करेंगे.’ सीएम गहलोत ने आगे कहा कि, ‘ चुनावी हार के विभिन्न कारण हैं, लेकिन हर बार कांग्रेस पार्टी की रैंक और फ़ाइल ने पार्टी नेतृत्व में अविभाजित और दृढ़ विश्वास दिखाया है और यही कारण है कि हम हर हार के बाद और मजबूत और एकजुट हुए हैं.’
अपने पांचवें ट्वीट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘आज भी, कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो इस राष्ट्र को एकजुट रख सकती है और इसे व्यापक विकास के पथ पर आगे ले जा सकती है.’
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बता दें, कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी की खबरें सामने आना अब कोई नई बात नहीं हैं. एक-दो महीने के अंतराल के बाद पार्टी के किसी न किसी नेता द्वारा पार्टी नेतृत्व या अन्य किसी कारण से कोई न कोई बयानबाजी मुखर हो ही जाती है. बता दें, कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधानसभा चुनाव और हाल में अन्य राज्यों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर मीडिया में बयान दिया है.
कपिल सिब्बल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से खास बातचीत में ये बयान दिया की, ‘देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते. यह एक निष्कर्ष है. आखिर बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी. हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए. लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी. उत्तर प्रदेश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 2% से भी कम वोट हासिल किए. गुजरात में हमारे तीन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत खो दी. हालांकि, मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इन सबकों लेकर आत्मनिरीक्षण करेगी.’