Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को करौली जिले में मंदिर के पुजारी की हत्या की जांच सीआईडी-सीबी से कराने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि बीजेपी दो परिवारों के झगड़े को दो समुदायों का झगड़ा बनाकर राजस्थान का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निंदनीय है कि भाजपा ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई सपोटरा के बुकना गांव की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष का रूप देने का कुत्सित प्रयास किया. इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है.
वहीं बीते बुधवार को पुजारी बाबूलाल वैष्णव को जिंदा जलाकर हत्या करने के मामले में पुलिस ने एक और आरोपी टिल्लू मीणा उर्फ दिलखुश को रविवार को गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले सपोटरा थाना पुलिस घटना के मुख्य अभियुक्त कैलाश मीणा को गिरफ्तार कर चुकी है. मामले में छह अन्य आरोपी नामजद होना बताया जा रहा है, जो कि फरार चल रहे हैं. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान गंभीर रूप से झुलसे पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने गुरुवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था.
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घटना की जांच सीआईडी सीबी से कराने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व नियोजित प्रकरण था. यह मंदिर की भूमि के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस हृदय विदारक घटना में बदल गया. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले छह अक्टूबर को इस भूमि के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था. मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव तथा राधागोपालजी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी.
कांग्रेस सरकार पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रही है-
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस सरकार मंदिर के अधीन आने वाली जमीनों पर पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रही है. वर्ष 1991 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक आदेश जारी कर मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे. वहीं कांग्रेस चाहे सरकार में रही हो या विपक्ष में उसने सदैव मंदिर की भूमि के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की है. मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने 1991 में मंदिरों की जमीन से पुजारियों के नाम हटाने का फैसला किया था. कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए 2011 में वापस इसे बहाल कर दिया था. लेकिन इसके बाद हाई कोर्ट से इस फैसले को झटका लगा फिर भी विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस पुजारियों के हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई थी.
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पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने खुद लगाई आग
उधर घटना के मुख्य आरोपी की बेटियों ने बड़ा दावा किया है. रविवार को मुख्य आरोपी कैलाश मीणा की दोनों बेटियां पुजारी के घर पहुंच गईं और दावा किया कि पुजारी ने खुद आग लगाई थी. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त हम खेत में थे और खुद अपनी आंखों से पुजारी को आग लगाते देखा. हमने उन्हें बचाने की भी कोशिश की थी.
आपको बता दें कि ये पूरा मामला जमीन पर कब्जे को लेकर है. आरोप है कि दबंगों ने जमीन पर कब्जा करने के मामले में पुजारी को जलाकर मार डाला. अब भी इस मामले में छह आरोपी फरार हैं. परिजनों की तमाम मांगों में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भी शामिल थी और प्रशासन ने इसका आश्वासन भी दिया था. लेकिन अब भी पुलिस के हाथ सभी आरोपी नहीं आ पाए हैं.
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये और एक संविदा कर्मी की नौकरी का वादा किया गया है. साथ ही प्रधानमंत्री मंत्री आवास योजना के तहत एक लाख रुपये पीड़ित परिवार को दिए जाएंगे. साथ ही साथ आरोपियों की गिरफ्तारी का भी आश्वासन दिया था. लेकिन चार दिन बाद भी बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.