मुख्यमंत्री जी ने खुद स्वीकार कर लिया कि सलाहकारों की नियुक्ति है विधायकों को झुनझुना देना- राठौड़

मुख्यमंत्री जी ने महज असंतुष्ट कांग्रेस व अन्य समर्थित विधायकों को खुश करने एवं अंतर्कलह से जूझती अपनी सरकार को बचाने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की, सलाहकार के पास सरकार द्वारा कोई पत्रावली नहीं भेजी जा सकती है और ना ही उनकी सलाह पर कोई पत्रावली चलाई जा सकती- राजेन्द्र राठौड़

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन के साथ 6 विधायकों की मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में हुई नियुक्ति की वैधानिकता को लेकर बीजेपी लगातार गहलोत सरकार पर हमलावर है. इसी बीच विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा यह स्वीकारोक्ति करना कि सलाहकार एवं संसदीय सचिवों को राज्यमंत्री/कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया जा सकता है एवं सरकार ने इसके लिए कोई लिखित आदेश भी जारी नहीं किए हैं, इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री जी ने महज असंतुष्ट कांग्रेस व अन्य समर्थित विधायकों को खुश करने एवं अंतर्कलह से जूझती अपनी सरकार को बचाने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की है तथा वास्तविकता में नियुक्त सलाहकार महज सामान्य विधायक के कार्य के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य करने में सक्षम नहीं होंगे.

इससे पहले रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री सलाहकार नियुक्ति मामले में आरोप लगाने वाले यदि थोड़ा गहराई में जाते तो उन्हें समझ में आ जाता. सीएम गहलोत ने कहा कि हम भी सरकार चला रहे हैं तो कुछ जानकारी होगी ही लेकिन बिना मतलब के इस मामले को इश्यू बनाया जा रहा है. हमें भी पता है मुख्यमंत्री सलाहकार यह संसदीय सचिव के मामले में पूर्व में कब क्या मामले आए और उसमें क्या हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट किया है कि हमने इस नियुकि के लिए अलग से वेतन भत्ते या सुविधाओं को लेकर कोई आदेश नहीं निकाला है, लेकिन विपक्ष ऐसा माहौल बना रहा है जैसे कोई जुर्म कर दिया हो.

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इधर सीएम गहलोत के बयान पर दिग्गज बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 5 (1) (c) में दिए गए प्रावधानों का स्पष्टतः उल्लंघन कर रही है. इस धारा के प्रावधानों के अनुसार किसी भी व्यक्ति/अधिकारी को कोई अधिकार नहीं है कि वह राज्य से संबंधित गोपनीय सूचनाओं को बिना अधिकारिता के अपने पास रखे और जानबूझकर ऐसे निर्देशों का पालन करे जो उसकी अधिकारिता में नहीं है. धारा 5 (2) में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति/अधिकारी ऐसी गोपनीय सूचना को अपने पास रखता है जिसकी उसकी कोई अधिकारिता नहीं है तो वह इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी माना जाएगा. ऐसे दोषी व्यक्ति/अधिकारी को 3 साल का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है.

राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा स्वीकारोक्ति करने के पश्चात् यह सिद्ध हो गया है कि उनके द्वारा नियुक्त सलाहकार के पास सरकार द्वारा कोई पत्रावली नहीं भेजी जा सकती है और ना ही उनकी सलाह पर कोई पत्रावली चलाई जा सकती है. यह महज विधायकों को खुश करने के लिए झुनझुना देना है. मुख्यमंत्री जी द्वारा नियुक्त सलाहकार केवल नाम मात्र के होंगे, सलाहकारों के पास लेटर पैड पर अपना नाम/पद अंकित करने के अलावा कोई अतिरिक्त शक्तियां नहीं होगी. सामान्य विधायक के अतिरेक इन सलाहकारों के पास कोई संवैधानिक अधिकार भी नहीं होंगे.

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वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि राजस्थान में मुख्यमंत्री सलाहकारों की असंवैधानिक नियुक्ति व संसदीय सचिवों की संभावित नियुक्ति को लेकर मैंने 22 नंवबर को संविधान के अनुच्छेद 164 (1A), अनुच्छेद 191 (1)(a), अनुच्छेद 246 के प्रावधानों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय व विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों के निर्णयों का हवाला देते हुए महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र लिखा था. तत्पश्चात् महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगने के बाद से अब सरकार संसदीय सचिवों की नियुक्ति करने का साहस नहीं जुटा पा रही है. राठौड़ ने कहा कि सलाहकार के पदों पर नियुक्ति के असंवैधानिक फैसले के बाद मुख्यमंत्री जी को यू-टर्न लेना पड़ रहा है और वह सलाहकारों को राज्यमंत्री/कैबिनेट मंत्री के स्तर की सुविधाओं के लिए लिखित आदेश भी जारी नहीं कर पा रहे हैं.

सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए बीजेपी विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की ऐसी क्या मजबूरी रही कि उन्हें मंत्रिमंडल पुनर्गठन के साथ ही 6 सलाहकारों की जरूरत पड़ गई और उन्हें सलाहकार के पद का झुनझुना पकड़वा दिया. मुख्यमंत्री जी को बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस विधायकों की पार्टी में सम्मानजनक स्थिति नहीं थी या फिर क्या विधायक का पद कम महत्वपूर्ण है? जो उन्हें सलाहकार जैसे पदों की रेवडियां बांटनी पड़ रही है.

इस मामले में सीएम गहलोत द्वारा विपक्ष पर लगाए गए आरोप पर राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री जी यह कह रहे हैं कि सलाहकारों की नियुक्तियों के मामले को लेकर विपक्ष बेवजह तूल दे रहा है और सरकार को तमाम कानूनों की पूरी जानकारी है. राठौड़ ने कहा कि हकीकत तो यह है कि अगर सरकार को संवैधानिक प्रावधानों की पूरी जानकारी होती तो आज मुख्यमंत्री जी को लोकतंत्र का उपहास करते हुए एवं आपसी कलह को शांत करने के लिए विधायकों को सलाहकार के पद पर नियुक्ति देने की जरूरत ही नहीं होती.

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