Politalks.News/Rajasthan. गैर भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री अब JEE और NEET परीक्षा के आयोजन के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से परीक्षा कराने के आदेशों के बाद देश भर के विद्यार्थियों ने सोशल मीडिया पर कोरोना प्रकोप के इस माहौल में यह परीक्षा आयोजित नहीं करने की मुहिम चला रखी है. छात्रों की इस मुहिम को सपोर्ट करते हुए कोरोनाकाल में नीट-जेईई परीक्षाओं को टालने के मुद्दे पर सोनिया गांधी ने 7 गैर-एनडीए राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की.
सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई वर्चुअल बैठक में बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाग लिया. एक तरह से इसे केंद्र सरकार के खिलाफ सामूहिक अभियान की शुरूआत कह सकते हैं. इन सभी मुख्यमंत्रियों ने दोनों परिक्षाओं के आयोजन पर न सिर्फ सवाल उठाए बल्कि देश के सभी राज्यों से भी युवाओं के हित में खडे होने का आहवान किया.
तय करना होगा, डरना है या लडना
बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अमेरिका में स्कूल-कॉलेज खोले जाने पर बनी स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका की एक रिपोर्ट में बताया गया कि स्कूल खोलने के कारण लगभग 97,000 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. अगर ऐसी स्थिति भारत में हो गई तो क्या होगा ? ठाकरे ने दो टूक शब्दों में कहा कि हमें यह तय करना चाहिए कि हमें केन्द्र से डरना है या लड़ना है.
ममता बनर्जी बोलीं- स्थगित होनी चाहिए परीक्षा
बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी विद्यार्थियों का पक्ष लेते हुए कहा कि विद्यार्थियों के हित में परीक्षाएं स्थगित होनी चाहिए. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए.
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वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले एक बार प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलना चाहिए.
बैठक में राज्यों को अभी तक जीएसटी का पैसा नहीं मिलने पर भी रोष जताया गया. कोरोना के कारण वैसे ही राज्यों के आर्थिक हालात खराब चल रहे हैं, ऐसे में केंद्र ने राज्यों को मिलने वाला जीएसटी का पैसा भी नहीं दिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोरोना से हालात बदतर होते जा रहे हैं. हम करीब 500 करोड़ रुपए खर्च चुके हैं. हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हमारे राज्य की वित्तीय स्थिति पूरी तरह खराब हो चुकी हैं. केंद्र ने बकाया जीएसटी भुगतान नहीं किया है. हमें प्रधानमंत्री से बात करने के लिए एक साथ आना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धमाकेदार जीत के पीछे देश के युवाओं का बडा समर्थन रहा है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से JEE और NEET परीक्षा आयोजित करने के निर्णय पर अडिग रहने के चलते मोदी सरकार के खिलाफ युवाओं ने सोशल मीडिया पर अभियान चला रखा है. वहीं कोरोना काल में परीक्षा के आयोजन का विरोध करते हुए कई विद्यार्थी आॅन लाइन धरना और प्रदर्शन भी कर रहे हैं.
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गैर एनडीए दलों के लिए यह बहुत सही मौका है, जब वो युवाओें की समस्या का मुददा उठाकर उनमें अपना भरोसा स्थापित कर सकते हैं. अगर 7 राज्य अपने निर्णय पर अड गए तो मोदी सरकार के लिए तय तारीख पर परीक्षा कराना आसान नहीं होगा. अधिकांश राज्यों में कोरोना के चलते अलग-अलग समय पर लाॅक डाउन चल रहा है. इसके तहत आवागमन के साधन बंद हैं और कहीं ठहरने के लिए होटल या गेस्ट हाउस भी बंद हैं, ऐसे में परीक्षार्थियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि परीक्षा आयोजकों ने दावा किया है कि विद्यार्थी को उसके नजदीक का ही परीक्षा केंद्र दिया गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर कई विद्यार्थियों ने अपना दुखडा रोया है. सैंकडो विद्यार्थी ऐसे हैं जिनके घर से परीक्षा केंद्रों की दूरी 50 से 150 किलोमीटर तक है, ऐसे में इन परीक्षार्थियों का कहना है कि आखिर वे बिना आवगमन के साधनों के परीक्षा केंद्र तक पहुंचेंगे कैसे? अगर एक दिन पहले पहुंचते हैं तो वहां ठहरेंगे कहां?
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सोशल मीडिया पर केन्द्र सरकार से कई सवाल भी पूछे जा रहे हैं. कुल मिलाकर विद्यार्थियों में परीक्षा आयोजित कराने के निर्णय के खिलाफ जर्बदस्त रोष बना हुआ है. हालांकि परीक्षा तय समय पर कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, लेकिन युवाओं का आक्रोश प्रधानमंत्री मोदी के प्रति फूट रहा है. गैर भाजपा दलों के लिए इससे अच्छा क्या माहौल हो सकता है. ऐसे माहौल को भुनाने के लिए अब राजनीतिक वातावरण तैयार किया जाना तय हो गया है. यानि कि अब युवा अकेले अपनी लडाई नहीं लडंगे बल्कि उनके साथ कांग्रेस सहित वो सभी दल होंगे जो भाजपा का विपक्ष कहलाते हैं.