Politalks.News/Rajasthan. दो दिन की छुट्टी के बाद आज यानी सोमवार से शुरू होने वाले 15वीं विधानसभा के षष्ठम सत्र के 16वें दिन भी सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों की बैठक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जबकि सचिन पायलट समर्थक 3 विधायकों के विधानसभा में एससी, एसटी और माइनोरिटी के विधायकों को बिना माइक की सीटें देकर आवाज दबाने के आरोपों के मामले में प्रदेश की सियासत गर्माई हुई है. जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री गहलोत और उनके मंत्रियों ने इन विधायकों की नाराजगी को तवज्जो नहीं देने की बल्कि इग्नोर करने की रणनीति बनाई है, यही कारण है कि पायलट समर्थक इन विधायकों के बयानों का सरकार के किसी मंत्री या विधायक ने न तो खंडन किया है और न ही कोई प्रतिक्रिया किसी ने दी है.
मैं अपनी बात पर कायम, सुनवाई नहीं हुई तो दूंगा इस्तीफा- रमेश मीणा
वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट समर्थक रमेश मीणा, मुरारी मीणा और वेदप्रकाश सोलंकी अब भी मुखर होकर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. विधायक रमेश मीणा ने रविवार शाम सोशल मीडिया पर फिर से बयान दिया है कि प्रदेश में एससी-एसटी और अल्पसंख्यक विधायकों के साथ भेदभाव के मुद्दे को लेकर वे अपने बयान पर अब भी कायम है और वे राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखेंगे और यदि उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वे इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटेंगे. मीणा ने कहा कि विधानसभा में मैंने मुद्दा उठाया कि एससी-एसटी विधायकों को जानबूझ कर बिना माइकों वाली सीटें दी गई हैं, इसके बाद भी इन सीटों पर माइकों की व्यवस्था नहीं की गई है.
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विधानसभा की बैठने की व्यवस्था जस की तस
विधानसभा का बजट सत्र की अब करीब सात बैठकें और होनी है ऐसे में चलते सत्र में सदन में बैठने की व्यवस्था में बदलाव होना मुश्किल है. सूत्रों की मानें तो गहलोत खेमे के एक नेता ने साफ कहा कि बजट सत्र में बैठने की व्यवस्था जस की तस रहेगी, चलते सत्र में मंत्रियों-विधायकों की सीटों में कोई बदलाव नहीं होगा.
विधायकों की नाराजगी को तवज्जो नहीं देने की बनाई रणनीति
विधानसभा में उठे विवाद को 5 दिन हो गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनका खेमा इसे तवज्जो नहीं देने की रणनीति पर चल रहे हैं. इसका पता इसी बात से चल जाता है कि 10 मार्च को जब रमेश मीणा ने विधानसभा में सीट आवंटन में भेदभाव का आरोप लगाया, उसके अगले ही दिन सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा था कि रमेश मीणा का गुस्सा शांत किया जाएगा. साथ ही जोशी ने कहा था कि कोविड की वजह से सदन में बैठने की व्यवस्था इस तरह की है ताकि सब दूर दूर बैठें, इस वजह से 50 सीटों पर माइक नहीं हैं. लेकिन अब वो ही महेश जोशी पूरे प्रकरण में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से ही बच रहे हैं. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री खेमे की तरफ से बनाई गई रणनीति, कि पायलट समर्थक विधायकों के बयान को तवज्जो नहीं दें, के तहत महेश जोशी इस विवाद पर टिप्पणी देने से बच रहे हैं.
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