मतदान के आखिरी दौर के बाद न्यूज़ चैनल्स द्वारा जारी एग्ज़िट पोल के मुताबिक एनडीए की सरकार बनती दिख रही है. एग्ज़िट पोल में किस राज्य की किस पार्टी को कितनी सीटें मिल रही है, यह भी बताया गया है. सर्वे बीजेपी को छतीसगढ़ में 8 सीटें दिला रहा है. यह आंकड़ा राजनीतिक पंडितों के गले नहीं उतर रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जब बीजेपी को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है तो पिछले पांच महीनों में ऐसा क्या हो गया कि पूरे राज्य का माहौल बीजेपीमय हो गया.
बता दें, छतीसगढ़ में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करीब 16 साल बाद सत्ता में वापसी हुई है. कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई और बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. बीजेपी को सिर्फ 15 सीट पर ही जीत नसीब हुई थी. इनमें से कई सीटें तो जोगी-बसपा गठबंधन के कारण बीजेपी के खाते में आयी थी. 2013 के चुनावों के मुकाबले यहां बीजेपी को 34 सीटों का नुकसान हुआ था.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली भारी जीत के चलते अनुमान लगाया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन यहां अच्छा रहेगा. लेकिन एग्ज़िट पोल तो इसके विपरित ही इशारा कर रहे हैं.
बीजेपी आलाकमान भी इस बार चुनाव से पहले छतीसगढ़ को लेकर असमंसज की स्थिति में था. यही वजह है कि संगठन ने इस चुनाव में अपने नौ वर्तमान सांसदों के टिकट काट उन्हें चलता किया. यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का भी टिकट काटकर राजनांदगांव से संतोष पांडे को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा.
छतीसगढ़ में चार लोकसभा सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है. इसी साल जनवरी में आदिवासी और वनवासियों को बड़ी संख्या में उनकी जमीन से विस्थापित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था. इस पर केंद्र सरकार के ठंडे रवैए के बाद यह आशंका थी कि इस बार आदिवासी समाज का वोटर अपना रुख कांग्रेस की ओर करेगा. इससे इन क्षेत्रों में कांग्रेस को फायदा होने का अनुमान लगाया जा रहा था. इसके उलट,जिन क्षेत्रों में बीजेपी का जमकर विरोध हो, वहां बीजेपी जीत रही है, यह चमत्कार नहीं तो और क्या है.
छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारी जीत तो हासिल की लेकिन पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजीत जोगी की नई-नवेली पार्टी ‘जनता कांग्रेस’ ने कई क्षेत्रों में कांग्रेस का नुकसान किया था. जनता कांग्रेस ने पांच सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं कई सीटों पर कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी की थी.
लेकिन लोकसभा चुनाव से पूर्व जोगी ने अपनी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारने का फैसला किया. इसके बाद यह साफ हो गया था कि जोगी के चुनाव से हटने का सीधा फायदा कांग्रेस को होगा. लेकिन जोगी के चुनाव में नहीं उतरने के बाद भी कांग्रेस का एग्ज़िट पोल में सफाया होना किसी जादूगिरी से कम नहीं है.