Politalks.News/Delhi. देश मे अगले लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं लेकिन सभी पार्टियां अभी से इसकी तैयारी में जुट गई हैं. पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक गहमागहमी और बैठकों के दौर को देखते हुए यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि देश में विपक्षी दलों का एक साझा मोर्चा बनाने की कोशिश हो रही है. हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी या शरद पवार में से कौन विपक्ष के इस मोर्चे का नेतृत्व करेगा. लेकिन हाल की इस राजनीतिक गहमागहमी ने अटकलों के नए दौर की शुरुआत तो कर ही दी है. इस पूरे घटना क्रम पर बीजेपी की भी पैनी नजर है. बीजेपी हाईकमान भी विपक्ष के बड़े चेहरों को अंदरखाने खुद के साथ लाने में जुटा है. अब इस अभियान में सबसे बड़ा नाम सामने आ रहा है जगन मोहन रेड्डी का.
लोकसभा चुनाव के लिए रणनीतिकार प्रशांत किशोर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हैं लेकिन इसे लेकर भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी को चिंता नहीं है. उनको पता है कि विपक्ष को एकजुट करना मेंढक तौलने जैसा है. इसके बावजूद कम से कम एक नेता ऐसा है, जिसे लेकर भाजपा में चिंता है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को लेकर भाजपा में यह चिंता है कि कहीं वे कांग्रेस के साथ या किसी दूसरे भाजपा विरोधी गठबंधन में न चले जाएं. यह चिंता इसलिए है क्योंकि प्रशांत किशोर उनके चुनाव रणनीतिकार रहे हैं. प्रशांत किशोर की टीम ने जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को पिछला चुनाव लड़ाया था. वाईएसआर कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 25 में से 22 सीटों पर जीतीं और विधानसभा में 175 में से 151 सीटों पर जीती थी.
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सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने 2014 और 2019 में भी प्रयास किया था कि जगन मोहन रेड्डी की YSR कांग्रेस मोदी सरकार का हिस्सा बने. ऐसे में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार से पहले जगह मोहन रेड्डी के साथ बातचीत फिर से शुरू की गई थी. वाईएसआरसीपी को मोदी कैबिनेट में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई थी. डील लगभग फाइनल हो चुकी थी. एक कैबिनेट पद, एक स्वतंत्र प्रभार और एक राज्य मंत्री का प्रस्ताव था. लेकिन बाद में दो कैबिनेट पदों पर चर्चा हुई और बीजेपी नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं हुआ’ एक सूत्र ने कहा है कि जगन रेड्डी के प्रस्ताव को स्वीकार न करने के फैसले ने भाजपा नेतृत्व को नाराज कर दिया. हालांकि, आंध्रप्रदेश के सीएम जगन मोहन ने कहा कि वह, ‘केंद्र के प्रति मित्रता बरकरार रखेंगे और मुद्दे-आधारित समर्थन का विस्तार करेंगे‘.
सूत्रों के अनुसार, प्रशांत किशोर के वाईएसआरसीपी को भाजपा विरोधी दलों के समूह में शामिल करने के प्रयासों ने भाजपा नेतृत्व को ‘परेशान करने वाले‘ संकेत दिए हैं. वाईएससीआरपी में सूत्रों ने माना कि 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वाईएसआरसीपी के लिए काम करने वाले पीके ने अगले लोकसभा चुनाव से पहले ‘भाजपा के खिलाफ पार्टियों के एक साथ आने का विचार रखा‘. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पीके द्वारा 2024 के आम चुनाव से पहले भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों में लगे हैं.
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आपको बता दें कि पिछले दिनों प्रशांत किशोर और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की मुलाकात के बाद सारा मामला शुरु हुआ है. भाजपा की ओर से जगन मोहन को सरकार में लाने की चर्चा शुरू हो गई. पहले भी यह चर्चा हुई है लेकिन इस बार भाजपा गंभीर है. वाईएसआर कांग्रेस के संसदीय दल के नेता वी विजयसाई रेड्डी ने माना है कि सरकार में शामिल होने के बारे में बात हुई है. हालांकि रेड्डी कहा कि, ‘इस बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का कहना है कि, ‘वे केंद्र की भाजपा सरकार के साथ दोस्ताना संबंध रखेंगे लेकिन सरकार में शामिल नहीं होंगे’. सूत्रों की माने तो जगन मोहन रेड्डी को अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक की चिंता है. अब आने वाले दिनों में ऊंट किस करवट बैठता है इस पर सभी की नजरें होंगी.