मोदी के खिलाफ एक ‘जाजम’ पर विपक्ष की सबसे बड़ी जमात!, सिब्बल ने की विपक्षी एकता की ‘वकालात’

कपिल सिब्बल के जन्मदिन के बहाने 'सियासी दावत', बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की वकालत,15 पार्टियों के 45 दिग्गजों ने किया 'महामंथन', कांग्रेस, UPA के साथी, NDA से अलग हुई पार्टियों के दिग्गजों ने रखे विचार, गांधी परिवार की गैरमौजूदगी में सबसे बड़ी विपक्ष की जमात, 'गांधी' लीडरशिप पर उठे सवाल, लेकिन कांग्रेस की मजबूती के लिए चिंतित भी दिखे नेता

कपिल सिब्बल के जन्मदिन के बहाने 'सियासी दावत'
कपिल सिब्बल के जन्मदिन के बहाने 'सियासी दावत'

Politalks.News/Delhi. संसद के मानसून सत्र से इतर विपक्षी पार्टियां लगातार एक साथ आने की कोशिश कर मोदी सरकार को घेर रही हैं. इस सबके बीच देश की राजधानी में सोमवार रात एक बड़ी सियासी दावत हुई, जिस पर हर किसी की नज़र गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा अपने जन्मदिन के मौके पर नई दिल्ली में एक सियासी दावत दी गई, जिसमें विपक्ष के कई बड़े चेहरे शामिल हुए. बताया जा रहा है कि देश की 15 बड़ी पार्टियों के करीब 45 दिग्गज इस दावत में मौजूद थे. इस पूरी दावत का लब्बोलुआब ये है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो और एक गठबंधन बनाकर मुकाबला किया जाए. ये दावत कपिल सिब्बल द्वारा दी गई थी, जो कि जी-23 ग्रुप के सदस्य भी हैं, ऐसे में इस पार्टी की सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा है.

सियासी दावत में आए कांग्रेस और विपक्ष के महारथी
कपिल सिब्बल की इस दावत में NCP सुप्रीमो शरद पवार, RJD संस्थापक लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, लेफ्ट से सीताराम येचुरी, शिव सेना से संजय राउत, तृणमूल से डेरेक ओ ब्रायन नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, DMK के त्रिरुचि शिवा, RLD के जयंत चौधरी शामिल थे. वहीं, कांग्रेस के जी-23 ग्रुप के गुलाम नबी आज़ाद, भूपेंद्र हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, संदीप दीक्षित यहां पर मौजूद रहे. मजे की बात ये रही कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जम्मू कश्मीर दौरे पर हैं और वहां के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद दिल्ली में दावत उड़ा रहे थे. सिब्बल की दावत में मौजूद पी चिदंबरम, शशि थरूर और आनंद शर्मा तीनों नेता कांग्रेस के भविष्य को लेकर सवाल उठा चुके हैं.

आपको बता दें कि दावत में अकाली दल से इंद्र कुमार गुजराल, बीजेडी से पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह समेत वाईएसआर (कांग्रेस), टीआरएस और रालोद के नेता भी शामिल थे. यह और बात है कि राहुल गांधी के नाश्ते के न्योता पर संजय सिंह नदारद रहे. महत्वपूर्ण मुद्दों पर टीआरएस. YSRCP और बीजेडी अक्सर बीच का रास्ता ले लेते हैं.

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विपक्षी एकता, कांग्रेस की सर्जरी और मोदी के खिलाफ हुआ महामंथन!
सूत्रों की माने तो दावत में सियासी तड़का लगाते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि, ‘भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चे की जरूरत है’. सिब्बल ने विपक्ष की एकता की वकालत की. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि, ‘कपिल सिब्बल जो मुद्दे उठाते हैं पार्टी के भीतर हों या बाहर, उनसे वह सहमत हैं और वह सही मुद्दे हैं’. कपिल सिब्बल ने उस पर कहा कि, ‘वे पार्टी के वफादार सिपाही हैं, पार्टी के भीतर जो होता है वह पार्टी का विषय है, मगर पार्टी के बाहर विपक्ष को एकजुट रहने की जरूरत है‘.राजद के लालू प्रसाद यादव ने भी इस पर हामी भरी कि विपक्ष को एकजुट रहने की जरूरत है. लालू ने कहा कि, ‘यहां जो नेता बैठे हैं उनमें वो ताकत है’. कपिल सिब्बल का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि,’ वह हमेशा से ही जरूरत में काम आए हैं. जब भी कोई मुश्किल में पड़ा है तो कपिल सिब्बल को याद किया है’. सपा नेता अखिलेश यादव ने भी इस पर जोर दिया कि विपक्ष को कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे लोगों के अनुभव का सही इस्तेमाल करना चाहिए. बीजेडी के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि, ‘अक्सर कुछ मुद्दों पर उनकी पार्टी के साथ आना चाहती है, लेकिन उनको समझ नहीं आता कि कांग्रेस में इस विषय में किससे बात करें’. इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, ‘जब भी कांग्रेस मजबूत होती है तो विपक्ष भी मजबूत हो जाता है’. साथ ही उन्होंने ये सवाल भी किया कि ‘कांग्रेस की मजबूती के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं’?

कांग्रेस मजबूत हुई तो चांस है, गांधी परिवार पर उठे सवाल
सूत्रों की माने तो बैठक में विपक्ष के एक नेता ने कहा कि, ‘अगर कांग्रेस पार्टी अपने आंतरिक मुद्दे सुलझाए तो विपक्ष के पास एक बेहतर चांस हो सकता है. क्योंकि करीब दो सौ सीटों पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं. हालांकि, विपक्ष की इस साझा बैठक में कांग्रेस के किसी नेता ने अपनी पार्टी के आंतरिक मसलों पर ज़ोर नहीं दिया. अकाली दल के नरेश गुजराल ने तो सीधा हमला बोलते हुए कहा कि गांधी परिवार के ‘चंगुल’ से बाहर निकले बिना कांग्रेस का मजबूत होना मुश्किल है.

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अहमद पटेल को किया याद, राहुल की वापसी पर जोर
अकाली दल की तरफ़ से कहा गया कि, ‘किसानों के मुद्दे पर विपक्ष एकजुट हैं और वाईएसआर की तरफ़ से कहा गया कि हम देश की बेहतरी के लिए पुरानी बातों को भूलने को तैयार हैं. इस मौके पर सबने अहमद पटेल को भी याद किया और कहा कि उनकी कमी खलती है. इस सब बातों के बीच सिब्बल और G23 के बाक़ी नेता बार-बार कहते रहे कि वे सभी कांग्रेस के सिपाही हैं. लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति में ये डिनर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीतिक की एक बड़ी कहानी कह रही है. हालांकि कई नेता राहुल गांधी की वापसी के लिए जोर दे रहे थे.

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