Wednesday, January 22, 2025
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संघी पृष्ठभूमि वाले मदन राठौड़ पर दांव, बीजेपी की ओबीसी वोट बैंक की मजबूती भरी सोच!

मदन राठौड़ को सामने करके बीजेपी ने फेंकी है दूर की कोड़ी, अब देखना ये है कि मदन राठौड़ ओबीसी की बहती तेज धार में बीजेपी के कमल को ​स्थिर टिका पाते हैं या फिर नहीं..

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राजस्थान में विधानसभा की 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. राठौड़ ने सीपी जोशी की जगह ली है. हाल में सीपी जोशी ने कथित तौर पर राजस्थान में आए आम चुनावों के नतीजों को आधार बनाकर प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. इससे पहले उन्होंने दिल्ली आलाकमान से मुताकात भी की थी. इसके बाद पाली के रायपुर से संबंध रखने वाले उच्च सदन के सदस्य मदन राठौड़ को राजस्थान बीजेपी की जिम्मेदारी सौंपी गयी, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया है. उप चुनाव उनके सामने पहली कड़ी चुनौती होगी.

मदन राठौड़ पाली की सुमेरपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. वह 2013 से 2018 तक सरकार के उप मुख्य सचेतक और 4 बार पाली के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनके पास लंबा संगठनात्मक अनुभव है. उन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांगा था लेकिन ऐसा हो न सका. उनका टिकट काटकर जोराराम कुमावत को दे दिया था. इसके बाद उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. बाद में उन्होंने ऐन वक्त पर पर्चा वापिस ले लिया.

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बताया जाता है दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मदन राठौड़ को फोन कर नाम वापस लेने को कहा. आदेश को सर आंखों पर रखते हुए आरएसएस के अनुशासित सिपाही के नाते राठौड़ ने तुरंत पर्चा वापस ले लिया. इसके बाद पार्टी ने उन्हें इसका ईनाम देते हुए राजस्थान से राज्यसभा भेजा और लोकसभा चुनाव के दौरान राठौड़ को बाड़मेर-जैसलमेर सीट की जिम्मेदारी भी दी गई. अब उन्हें प्रदेश बीजेपी की जिम्मेदारी सौंपते हुए अहम पद से नवाजा है.

मदन राठौड़ की पृष्ठभूमि की बात करें तो उनका जन्म 1950 में पाली जिले के रायपुर में हुआ. उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन (बीएससी गणित) किया है. 1962 ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक (RSS) बने. 1970 के दशक में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में भी कार्य किया है. इसके बाद टेक्सटाइल व्यापारी के रूप में कार्य किया था. वर्ष 2003 और 2013 में पाली की सुमेरपुर विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. हालांकि 2008 व 2018 में उन्हें टिकट नहीं मिला. 2023 में भी वे सुमेरपुर सीट से टिकट के प्रबल दावेदार रहे थे लेकिन उन्हें खाली हाथ रहना पड़ा. आम चुनाव से पहले उन्हें राज्यसभा भेजा गया और अब प्रदेशाध्यक्ष बनाने के पीछे भी बीजेपी की एक गुप्त थ्योरी छिपी हुई है.

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मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे सियासी जानकारों का मानना है कि उनके जरिए बीजेपी अपना ओबीसी वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है. मदन राठौड़ ओबीसी की जाति घांची समुदाय से आते हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर बीजेपी ने जातीय समीकरण साधे हैं और उस ओबीसी वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश की है जो राज्य में जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाता है.

राजस्थान में 50 फीसदी से अधिक वोटर्स ओबीसी में आते हैं जिसमें कई जातियां शामिल हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान भी ओबीसी मतदाताओं ने अहम भूमिका अदा की थी. ऐसे में मदन राठौड़ को सामने करके बीजेपी ने न केवल आगामी उप चुनाव, बल्कि साढ़े चार साल बाद आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए दूर की कोड़ी फेंकी है. अब देखना ये है कि मदन राठौड़ ओबीसी की बहती तेज धार में बीजेपी के कमल को ​स्थिर टिका पाते हैं या फिर नहीं.

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