Politalks.News/Bharat. इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की तैयारियों को लेकर अहमदाबाद में 5 से 7 जनवरी को बीजेपी नेताओं की संघ के साथ हाईप्रोफाइल मीटिंग हैै. तीन दिवसीय इस मीटिंग में संघ परिवार के दूसरे संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. इस कॉर्डिनेशन मीटिंग में बीजेपी सरकार के कामकाज की समीक्षा की जाएगी. संघ और बीजेपी के बीच इस तरह की कॉर्डिनेशन मीटिंग अलग-अलग स्तर पर होती रहती है, लेकिन अहमदाबाद में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की मीटिंग है और केंद्रीय मंत्री समेत भाजपा के कई नेता संघ को सभी पहलुओं की जानकारी देते हैं. इस दौरान भाजपा सरकार के कई केंद्रीय मंत्री अलग-अलग दिन संघ की पाठशाला में मौजूद रहेंगे और संघ संगठनों के प्रतिनिधियों को भाजपा सरकार के कामकाज का ब्योरा देंगे.
पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने भाजपा को अन्य राज्यों में आगे बढ़ाने के लिए अपनी सक्रियता बढ़ा रखी है. इसी को लेकर संघ की ओर से केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का सिलसिला तेज हो गया है. पिछले महीने दिसंबर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल में दो दिवसीय दौरे में संकेत दे दिए थे कि ‘आरएसएस पांच राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक्टिव मोड में है‘. हालांकि संघ सबसे अधिक महत्व बंगाल को दे रहा है. बता दें कि बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत बीजेपी और संघ के लिए राजनीतिक रूप से जितनी महत्वपूर्ण है, वैचारिक रूप से भी उतनी ही जरूरी है. इसी को लेकर संघ प्रमुख भागवत ने इससे पहले सितंबर महीने में भी 4 दिन के दौरे पर बंगाल गए थे.
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संघ प्रमुख मोहन भागवत के बंगाल दौरे से स्वयंसवेकों और भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. संघ प्रमुख के बंगाल की सियासत में अपनी गतिविधि बढ़ाने के बाद भाजपा केंद्रीय आलाकमान भी सक्रिय है, अमित शाह से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेताओं ने बंगाल में दौरे कर पार्टी के लिए माहौल बनाने में जुटे हुए हैं. अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए संघ प्रमुख ने केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा के नेताओं से बंगाल समेत अन्य राज्यों का फीडबैक लेने के लिए अहमदाबाद बुलाया है. ‘संघ की पाठशाला में जाने के लिए इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रियों समेत बीजेपी के कई नेता अपने कामकाज की समीक्षा करने में लगे हुए हैं.’ इन नेताओं को संघ के दरबार में विकास कार्यों का हिसाब देना है.
गौरतलब है कि कोरोना काल में आरएसएस की यह पहली बड़ी बैठक होने जा रही है. चूंकि इस बैठक में संघ परिवार से जुड़े सहयोगी संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी ही शामिल होते हैं, ऐसे में इसका आयोजन वर्चुअल नहीं बल्कि पहले की तरह होगा.
पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा का माहौल बनाने में जुटे संघ पदाधिकारी
संघ के आला पदाधिकारी इन पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी नेताओं को दिशा निर्देश के साथ माहौल बनाने में भी जुट गए हैं. अहमदाबाद में आयोजित होने वाली इस मीटिंग में बीजेपी की तैयारियों और उसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए स्वयंसेवक संघ मंथन करेगा. इसके साथ ही भाजपा को ग्राउंड का फीडबैक भी दिया जाएगा.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस मीटिंग में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रह सकते हैं. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे. पांच से सात जनवरी के बीच तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में संघ परिवार से जुड़े तीन दर्जन से अधिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी हिस्सा लेंगे. संघ और भाजपा की ऐसी बैठकों को लेकर विपक्षी दल शुरू से ही सवाल उठाते रहे हैं.
आपको बता दें कि बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी को लेकर बीजेपी-आरएसएस की हाई प्रोफाइल बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है. मालूम हो कि जनवरी के अगले हफ्ते में जेपी नड्डा को पश्चिम बंगाल का दौरा भी करना है. पिछले कई दिनों से कोरोना पॉजिटिव होने के बाद नड्डा घर पर ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. शुक्रवार को उन्होंने अपने नेगेटिव होने की जानकारी देते हुए कहा कि अब उनका स्वास्थ्य ठीक है.
मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद आरएसएस ने बंगाल की राजनीति में बढ़ाई अपनी सक्रियता
वर्ष 2014 से केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में अपनी सक्रियता बढ़ा रखी है. इसका सबसे बड़ा कारण रहा है कि बंगाल में वामपंथियों ने संघ और भाजपा को आगे बढ़ने नहीं दिया, जिसका परिणाम हुआ कि वहां हिंदुत्व उभर नहीं पाया. इसके अलावा बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने भी हिंदू और भगवा को रोकने के लिए वामदलों की नीति अपनाई. ममता के विरोध के बाद भी स्वयंसेवक बंगाल में सियासी दृष्टि से काफी सक्रिय हुए हैं. लगभग दो वर्षों से अब बंगाल में एक नया हिंदुत्व समर्थक वर्ग बनकर सामने आया है, इसका नतीजा 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. यही वजह है कि बीजेपी के बाद अब संघ भी बंगाल होने वाले चुनाव में पूरी तरह से एक्टिव है. इसी को लेकर संघ से बीजेपी में आए नेताओं को केंद्रीय आलाकमान ने बंगाल चुनाव की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
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बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी को आरएसएस का इस बार भरपूर साथ मिलेगा, क्योंकि मौजूदा समय में संघ के 2300 मंडल हैं, प्रत्येक मंडल में दो शाखाएं, साप्ताहिक बैठक ‘मिलन‘ और मासिक बैठक ‘मंडली‘ का गठन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कर दिया है. बता दें कि शाखा के लिहाज से संघ शहरी क्षेत्रों में मौजूदगी रखता है और अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी आधी से अधिक पंचायतों में इसकी मौजूदगी हो गई है. यही वजह है कि बीजेपी की कोशिश पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होने की है, जिसमें संघ काफी अहम भूमिका अदा कर सकता है. इसी को लेकर अहमदाबाद में होने जा रही तीन दिवसीय बैठक संघ और भाजपा के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही है.