राजस्थान के सीकर संसदीय क्षेत्र से दो बार के भारतीय जनता पार्टी के सांसद रहे सुमेधानंद सरस्वती ने प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर बड़ा बयान दिया है. पूर्व सांसद ने आम चुनाव में बीजेपी की कुछ सीटों पर हार की वजह राजे का चुनाव में न होने को बताया. सीकर जिले में स्थित वैदिक आश्रम पिपराली के संत और बीजेपी नेता सुमेधानंद सरस्वती ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर कहा कि वे बड़ी लीडर हैं. पता नहीं क्यों वे चुनाव में कहीं नजर नहीं आईं. अगर वो प्रचार के लिए आतीं तो सीटों पर बड़ा फायदा मिलता.
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हाल में संपन्न हुए आम चुनाव में सीकर से बीजेपी के टिकट पर सुमेधानंद सरस्वती ने तीसरी बार चुनाव लड़ा था. लगातार दो बार जीत के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सीपीएम के अमराराम ने उन्हें करीब 73 हजार मतों से हराया. चुनावी परिणाम के करीब 20 दिनों के बाद पूर्व सांसद का लोकसभा चुनाव में हार का दर्द छलका है. यहां उन्होंने पार्टी हार की दो बड़ी वजह बताई है जिनमें से एक प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे है. पूर्व सांसद सुमेधानंद ने राजे को लेकर कहा कि वो चुनावों में क्यों नजर नहीं आईं, इसका कारण मुझे नहीं पता, लेकिन उनके आने से फायदा जरूर होता.
कास्वां का टिकट काटना महंगा पड़ा
पूर्व सांसद ने राजस्थान में बीजेपी की हार की दूसरी बड़ी वजह राहुल कास्वां को बताया है. सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि कास्वां का टिकट कटने के कारण चूरू, सीकर, झुंझुनूं और नागौर सीट पर असर पड़ा है. इसे नकारा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारी टीम लोगों को समझा नहीं सकी कि आरक्षण और संविधान को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. किसान आंदोलन का भी थोड़ा असर रहा. यहां से कुछ ही कॉमरेड आंदोलन में गए थे. उन्होंने झूठा प्रचार किया है. पूर्व सांसद ने कहा कि मैं जाटों का काफी सम्मान करता हूं, इसलिए इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.
केंद्र की योजनाओं का प्रचार नहीं कर पाए
सीकर से सांसद रहे सुमेधानंद सरस्वती ने आगे कहा कि हम अपनी ही योजनाओं का अच्छे से प्रचार-प्रसार नहीं कर पाए. जब मैं सांसद बना तो दिल्ली तक एक ही ट्रेन थी. जयपुर भी एक ट्रेन दो चक्कर लगाती थी, अब 52 ट्रेनें चल रहीं हैं. हम लोगों तक अपनी योजनाओं का प्रचार नहीं कर पाए. अग्निवीर योजना को लेकर पूर्व सांसद ने कहा कि अगर इस स्कीम में पहले ही कुछ संशोधन किए जाते तो लाभ मिलता, लेकिन आगे भी चुनाव होने हैं. पार्टी अगर योजना में कुछ बदलाव करती है, जो कि युवाओं के हित में हो तो पार्टी को फायदा होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और आरएलपी सहित कम्युनिस्टों ने अग्निवीर के खिलाफ माहौल बनाया.
क्लीन स्वीप की हैट्रिक से चूकी बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 और 2019 में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. इस बार कांग्रेस ने अन्य पार्टियों से गठबंधन कर बीजेपी के रथ को रोक दिया. बीजेपी को 11 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा. इस बार कांग्रेस ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया. बीजेपी के खाते में 14 सीटें आयीं. सीपीआईएम, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारत आदिवासी पार्टी को एक-एक सीट मिली.