Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र में जारी सत्ता का संग्राम हर पर अलग रूप अख्तियार कर रहा है. पहले शिवसेना से बागी हुए एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक मुंबई से गुजरात के सूरत पहुंचे और रातों रात वे विधायक सूरत से असम के गुवाहाटी पहुंच गए. यहीं नहीं जहां सूरत में उनके साथ करीब 16 बागी विधायक मौजूद थे तो वहीं इन विधायकों की संख्या गुवाहाटी पहुंचते ही दुगुनी से भी ज्यादा हो गई. हालाँकि दो विधायक वापस आ चुके है लेकिन शिंदे गुट की सेना टस से मस होने को तैयार नहीं है. वहीं बिना कुर्सी छोड़े मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सरकार आवास वर्षा तो छोड़ दिया लेकिन अभी भी अपनी सरकार को बचाने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि उन्होंने एक वीडियो संदेश के जरिए बागी विधायकों के मन को टटोलने की कोशिश जरूर की लेकिन वह कामयाब नहीं हुई. फिलहाल महाराष्ट्र सरकार पर तलवार लटकी हुई है, लेकिन फैसला कब होगा ये तय नहीं है.
एक तरफ शिवसेना के दिग्गज नेता संजय राउत ये दावा कर रहे हैं कि अभी भी उनके संपर्क में गुवाहाटी में बैठे बागी विधायकों में से 21 विधायक संपर्क में हैं. साथ ही राउत ने ये भी कहा कि, ‘अगर बागी विधायक वापस आते हैं और मुख्यमंत्री से उद्धव ठाकरे बात करते हैं तो हम महाविकास अघाड़ी गठबंधन से अलग हो सकते हैं.’ वहीं कांग्रेस व एनसीपी ने साफ़ कहा है कि हम उद्धव ठाकरे के साथ अंतिम समय तक हैं. ये उनके परिवार का मामला है वो जो भी फैसला लेंगे हम उनके साथ खड़े हैं. वहीं इस पुरे घटनाक्रम पर अब बीजेपी नेताओं की भी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ‘महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार इस हद तक था कि इसे लेकर वहां के विधायक शर्मिन्दा महसूस करते थे.’
महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र में शिव सेना का विद्रोह ही इस बात को लेकर हुआ कि वहां के विधायकों को पता चल गया कि यहां सरकार में किस हद तक भ्रष्टाचार हो सकता है. यही कारण है कि गुवाहाटी में बैठे विधायकों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बगावत की.’ विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘जिस तरह का घटनाक्रम वहां चल रहा है शायद उससे उद्धव ठाकरे का अहंकार भी कम हो जाएगा.’ विजयवर्गीय ने शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत पर निशाना साधते हुए उन्हें ही इस पूरी घटनाक्रम का सूत्रधार बताया. विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘संजय राउत जिस प्रकार की बकवास करते हैं, उस बकवास का परिणाम था कि वहां विद्रोह हो गया.’
वहीं गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की भी इस पुरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया सामने आई है. सीएम सावंत ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र के नेता देवेंद्र फडणवीस और हमारे सभी केंद्रीय नेता इस पर नजर रखे हुए हैं. महाराष्ट्र के हित में फैसला लेने के लिए देवेंद्र फडणवीस सक्षम है.’ वहीं केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि, ‘विधान परिषद के चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि एमवीए के वोट विभाजित थे और निर्दलीय सदस्यों ने हमारा समर्थन किया. बीजेपी के पांच उम्मीदवार जीते, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को अन्य दो दलों ने हराया. ये इनकी आपसी लड़ाई है इस पर हम कुछ नहीं कह सकते. किसी का किसी पर भी कोई नियंत्रण नहीं है. लोगों की समस्याओं के प्रति पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है. विधान परिषद चुनाव के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल साफ हो गया है. लोग सरकार से तंग आ चुके हैं. हम घटनाक्रम पर नजर रखेंगे.’
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वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम को लेकर केंद्र सरकार एवं बीजेपी भी विपक्ष के निशाने पर आ गई गई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि ‘उन्होंने महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचाने का वक्त सोच-समझकर चुना है. बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव में एक लाख वोटों से पीछे हैं इसलिए उन्होंने ये वक्त चुना है. उनके पास पैसे की कमी नहीं है और वो खरीद फरोख्त कर सकते हैं. ये हालात देखकर गणतंत्र को लेकर हमें संदेह हो रहा है. हमें न्याय चाहिए खुद के लिए भी और इस देश के लिए भी. हमें उद्धव ठाकरे के लिए और सबके लिए न्याय चाहिए.’