Politalks.News/AssemblyElection2022. उत्तरप्रदेश (UttarPradesh Assembly Election 2022) और पंजाब (Punjab Assembly) समेत 5 राज्यों में चुनावी शंखनाद हो चुका है. वहीं दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा है कि अब से लेकर लोकसभा चुनाव तक 14 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें केवल उत्तर प्रदेश को छोड़ दें तो हर राज्य में कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) में आमने-सामने मुकाबला है. उत्तरप्रदेश को छोड़ कर बाकी सभी राज्यों में कांग्रेस या तो सरकार में है या मुख्य विपक्षी पार्टी है. लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) तक जितने भी राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं उन राज्यों में प्रादेशिक पार्टियां या तो हैं ही नहीं या बहुत मामूली जनाधार रखती हैं. कांग्रेस की जगह लेने के लिए हाथ पैर मार रही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की भी कोई खास हैसियत इन राज्यों में अभी नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि फरवरी-मार्च में होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में अगर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होता है तो आने वाले समय में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी. यूपी को छोड़ बाकी चार राज्यों में कांग्रेस को चमत्कार की आस भी है. दूसरी तरफ अगर चुनाव में कांग्रेस हारती है तो फिर पार्टी में ऐतिहासिक टूट भी तय है.
5 राज्यों के बाद 9 अन्य राज्यों में होने के चुनाव
मार्च में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. उसके बाद अगले साल यानी 2023 की शुरुआत पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- त्रिपुरा, मिजोरम और नगालैंड में विधानसभा चुनाव के साथ होगी. उसके बाद मई में कर्नाटक में चुनाव है और फिर साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हैं. इस तरह अगले साल कुल सात राज्यों के चुनाव होने हैं. यानी मार्च में पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद से लेकर लोकसभा चुनाव तक कुल नौ राज्यों के चुनाव होंगे.
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पूर्वोत्तर को छोड़ सभी जगह कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने
2022-23 में होने वाले इन नौ राज्यों के चुनावों में से पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों को छोड़ कर बाकी सभी छह बड़े राज्यों में कांग्रेस पार्टी या तो सरकार में है या मुख्य विपक्षी पार्टी है. पूर्वोत्तर को छोड़ दें तो बड़े राज्यों में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भाजपा की सरकार है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी है. पिछले चुनाव में भी गुजरात में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी और बराबरी का मुकाबला बना दिया था. दोनों राज्यों में इन्हीं दोनों पार्टियों का आमने-सामने का मुकाबला होगा. कर्नाटक में जरूर जेडीएस भी एक ताकत है लेकिन उसका असर एक सीमित क्षेत्र में है और मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा ही होगा. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और मध्य प्रदेश में उससे छीन कर बनाई गई भाजपा की सरकार है. इन तीनों राज्यों में कोई असरदार क्षेत्रीय पार्टी नहीं है. इसलिए मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है.
भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला
वहीं बात करें अगले महीने होने वाले पांच राज्यों के चुनाव की तो, 5 साल पहले के इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जीती थी, पंजाब और गोवा में बुरी तरह हारी थी और मणिपुर में भी बहुमत से बहुत पीछे रह गई थी. दूसरी ओर कांग्रेस उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हारी थी और पंजाब, गोवा और मणिपुर में जीती थी. हालांकि की सरकार किसकी बनी इसको लेकर चर्चा आगे करेंगे. पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में आम आदमी ने दावेदारी ठोक रखी है तो गोवा में TMC ने नया अखाड़ा खोला है. लेकिन मुकाबला तो कांग्रेस और भाजपा में माना जा रहा है.
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उत्तरप्रदेश में कांग्रेस तो पंजाब में भाजपा हाशिए पर!
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है. इस पांच राज्यों में से केवल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस हाशिए की पार्टी है. लेकिन पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में वह मुख्य विपक्षी पार्टी है. कांग्रेस को इन पांचों ही राज्यों में जीत की आस है. वहीं सियासी चर्चा यह है कि तुलना की जाए तो जिस तरह से उत्तरप्रदेश में कांग्रेस हाशिए की पार्टी है उसी तरह पंजाब में भाजपा हालत पतली है. तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा को अभी राज्य में पैर जमाने की जगह नहीं मिल पाई है. भाजपा के भाग्य का झिंका टूटा है कि कांग्रेस से ‘खुन्नस’ की वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी राजनीतिक जमा-पूंजी और परिवार का बचा-खुचा राजनीतिक भविष्य गंवा कर भाजपा को मजबूत करने में जी जान से जुटे हैं लेकिन कामयाबी मिलनी मुश्किल ही लग रही है.
गोवा में जीत के बावजूद चूकी थी कांग्रेस
बात करें गोवा और मणिपुर की बात है तो इन दोनों छोटे राज्यों में पिछले चुनाव में कांग्रेस जीती थी. गोवा में तो भाजपा बुरी तरह से हारी थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में 21 सीट जीत कर पूर्ण बहुमत की सरकार पांच साल चलाने के बाद भारतीय जनता पार्टी 2017 के चुनाव में राज्य में सिर्फ 12 सीट जीत पाई थी. दूसरी तरफ 2012 के चुनाव में नौ सीट जीतने वाली कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं. यानी भाजपा की सीट आधी हुई थी और कांग्रेस की दोगुनी हो गई थी. फिर भी भाजपा की जोड़-तोड़ के आगे कांग्रेस नहीं टिक सकी और हारी हुई भाजपा ने सरकार बना ली. गोवा में कांग्रेस की सरकार नहीं बनने को लेकर वहां पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए दिग्विजय सिंह को भी माना जाता है.
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मणिपुर में भाजपा ने जोर-जबरदस्ती कर बनाई थी सरकार
मणिपुर में जरूर भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था फिर भी उसकी सीटें कांग्रेस से बहुत कम थी. कांग्रेस हार कर भी बहुमत के पास पहुंच गई थी. उसे 60 सदस्यों की विधानसभा में 28 सीटें मिली थीं लेकिन 21 सीट जीतने वाली भाजपा ने वहां भी जोर-जबरदस्ती सरकार बना ली और उसके बाद से लगातार कांग्रेस पार्टी को तोड़ती रही है. मणिपुर में तो भाजपा को एक बागी कांग्रेसी को मुख्यमंत्री तक बनाना पड़ा था.