महाकुंभ में खुलकर गरजे दिग्गज, पर क्या अपनी पार्टी फोरम पर भी रखेंगे जाट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग?

राजधानी जयपुर में जाट समाज ने भरी ऐतिहासिक हुंकार, मंच पर साथ दिखे बीजेपी-कांग्रेस सहित अन्य सियासी के नेता, रामेश्वर डूडी ने उठाई जाट मुख्यमंत्री की मांग, तो हरीश चौधरी, सतीश पूनियां गोविंद सिंह डोटासरा ने जाटों की ताकत को किया नमन, ओबीसी वर्ग की 27 प्रतिशत आरक्षण, जातिगत गणना सहित अन्य मांग रखी, समाज को एकजुट रहने की अपील

rajasthan jat mahasabha
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Jat Mahakumbh in Jaipur: राजस्थान में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं और इन चुनाव में जाट समाज के लोगों को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो मिले, इसको मद्देनजर रखते हुए जाट समाज ने लाखों की संख्या में जुट सभी सियासी दलों को अपनी ताकत का अहसास कराया. जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में हुए जाट महाकुंभ में बीजेपी और कांग्रेस के दर्जनभर से अधिक नेता एक साथ एक मंच को साझा करते हुए नजर आए. यहां ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग भी रखी गई. लेकिन मंच से सबसे बड़ी मांग उठी आगामी विधानसभा चुनाव में किसान और जाट को मुख्यमंत्री बनाने की. पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी ने जाट महाकुंभ मंच से जाट मुख्यमंत्री की मांग उठाई. डूडी ने कहा कि हमारी ताकत 25% है तो नंबर दो की कुर्सी नहीं, नंबर वन यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी से कम कुछ नहीं चलेगा.

रामेश्वर डूडी ने कहा कि नंबर वन की सीट कौनसी है, नंबर वन की सीट मुख्यमंत्री की है. राजनीति के लोगों को यह बोलते हुए डर भी लगता है लेकिन रामेश्वर डूडी को डर नहीं लगता. आज मैं मांग करता हूं कि राजस्थान का आने वाला मुख्यमंत्री किसान का बेटा, जाट का बेटा होना चाहिए. डूडी ने समाज को एकजुटता का भी संदेश दिया. डूडी ने कहा कि जाटों को टांग खिंचाई की आदत छोड़नी चाहिए. अगर टांग खिंचाई नहीं छोड़ी तो तरक्की नहीं कर पाओगे. नंबर वन की कुर्सी तभी मिलेगी जब एक दूसरे की टांग खिंचाई करना बंद करेंगे.

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इस अवसर पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, बीजेपी सांसद दुष्यंत सिंह, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, वन मंत्री हेमाराम चौधरी, कांग्रेस नेता हरीश चौधरी, परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला, रामलाल जाट, लालचंद कटारिया, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत सहित राजस्थान सरकार के सभी जाट मंत्री और कांग्रेस बीजेपी के जाट विधायक इस जाट महाकुंभ में शामिल हुए.

मंच से उठी ये प्रमुख मांगें
जाट महाकुंभ में जाट सीएम के साथ साथ ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत करने, जातिगत गणना, राज्य सरकार से जाट समाज के सभी विधि सम्मत संगठनों के पदाधिकारियों को शामिल करते हुए राज्य स्तरीय गवर्निंग काउंसिल का गठन करने, ओबीसी आरक्षण की वर्तमान विसंगतियों को दूर करवा कर इसे जनसंख्या के आधार पर लागू कराने, सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने, छात्राओं की शिक्षा, छात्रावास की उचित व्यवस्था, किसानों को अनाज का उचित दाम और पानी उपलब्ध कराए जाने, वीर तेजा जी एवं महाराजा सूरजमल की मूर्तियां लगाने और विद्यानगर में समाज के पास 3000 वर्ग गज जमीन को सरकार द्वारा अलॉट करने की मांगे रखी गई है.

जाटों की ताकत को कमतर आंकने लगी सरकारें
जाट समाज के अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि सरकार जाट समाज को कम आंकने लगी थीं, इसलिए उन्हें ये ताकत दिखाई है. जाट अध्यक्ष ने कहा कि ताकत और एकजुटता दिखाने के लिए हमने महाकुंभ रखा और सब पार्टियों के नेताओं को एक मंच पर लाए. एक जमाना था कि जब केंद्र और राज्य में जाट समाज के बड़े-बड़े ताकतवर मंत्री हुआ करते थे. आज हालत यह है कि केंद्र में केवल 2 राज्य मंत्री हैं. वही हालत राजस्थान सरकार के मंत्रियों में है.

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मील ने राजस्थान के मंत्रियों को पावरलेस कहकर पुकारा. मील ने कहा कि राजस्थान में जाट मंत्री हैं, लेकिन उनके पास में कोई अधिकार नहीं है. कोई जमाना था जब जाट समाज के मंत्री सीएम से सामने कह देते थे कि यह गलत है, नहीं चलेगा और उनकी बात मानी जाती थी. हमारी वह ताकत खत्म हो गई है, हमें सरकारें कमजोर आंकने लग गई हैं.

पार्टी से पहले मैं समाज का व्यक्ति – डोटासरा
महाकुंभ में शामिल हुए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मैं जिस हैसियत में हूं, मेरी पार्टी के नेता और मेरी पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर भी मैं पहले समाज का हूं. डोटासरा ने समाज के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि दो बातों का ध्यान रखें, एक तो किसी भी दूसरे समाज के खिलाफ एक भी गलत शब्द नहीं निकलना चाहिए. यह प्रण लेकर हमें यहां से जाना पड़ेगा . दूसरा अगर हम किसी की मदद कर रहे हैं तो चुपचाप करें.

विश्वेंद्र सिंह ने दिया समाज को एकजुट रहने का संदेश
महाकुंभ की शुरूआत में सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भरतपुर खानदान ने हमेशा मुगलों का विरोध किया, इसलिए उनका नाम इतिहास नहीं छापा गया. महाराजा सूरजमल ने 83 युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे. अलग-अलग राजवंशों में गोद लेने की परंपरा चली लेकिन उनकी ऐसी प्रथा नहीं. विश्वेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जाट समाज ईष्र्या के कारण पिछड़ रहा है. खुद के दुख से नहीं समाज के लोग दूसरे के सुख से दुखी है. उन्होंने मंच से समाज के लोगों से निवेदन किया कि आपस में किसी तरह की ईष्र्या ना रखें. समाज में एकता होगी तो एक दूसरे की ताकत बढ़ेगी.

हमारे खून में देशभक्ति है, खून में आस्था है – पूनिया
राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष और आमेर विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि जो जाट गांव में सामाजिक सद्भाव के लिए जाना जाता था, जो परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति के लिए जाना जाता था, वही हमारा चरित्र और हमारी ताकत भी है. इसलिए छत्तीस कौम जो पंचायती राज चुनावाों में आपके पीछे खड़ी होती थी, उसमें फूट पैदा करने की कोशिश हुई है. समय की इस नजाकत को समझिए, बुद्धि कौशल का इस्तेमाल करिए.

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पूनिया ने कहा कि मैं भी स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हूं, मैंने वह सब देखा है जो एक गरीब व्यक्ति देखता है. दुख देखा, अपमान देखा, तिरस्कार देखा, विरोध देखा, संघर्ष देखा. हमारे खून में देशभक्ति है, खून में आस्था है इसीलिए मैं दो-दो बार गोलियों के बीच रामजी की कार सेवा के लिए चला गया. देश से प्यार करते हैं, इसलिए कश्मीर घाटी चला गया, 7 दिन सेंट्रल जेल में रहा. यह जज्बा पाया तो मेरे किसान कौम के खून से पाया है.

राजे नहीं पहुंची लेकिन दुष्यंत सिंह ने मंच से सुनाया संदेश
जाट महाकुंभ में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र और बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह भी शामिल हुए. वसुंधरा राजे महाकुंभ में नहीं शामिल हो सकी, इसलिए दुष्यंत सिंह उनका संदेश लेकर कार्यक्रम में आए थे. दुष्यंत सिंह को भाषण देने के लिए बुलाया गया, लेकिन तबीयत खराब होने का हवाला देकर उन्होंने बोलने से इनकार कर दिया. इसके बाद मंच से वसुंधरा राजे का संदेश पढ़कर सुनाया गया. राजे ने अपने संदेश में सालासर में देव दर्शन कार्यक में व्यस्त होने को नहीं आने का कारण बताया.

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