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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली में शीला दीक्षित की एकछत्र सत्ता को जड़ से उखाड़ फेंकने वाली शख्सियत. दिल्ली की दिलवाली जनता से ऐसा प्यार मिला कि लगातार तीन बार चुनावों में एकतरफा जीत हासिल कर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को कोने में बैठा दिया. कांग्रेस का तो पिछली दो बार से सूपड़ा ही साफ कर दिया. विपक्ष में एक बार तीन तो दूसरी बार केवल 7 विधायक बैठे हैं. फिर सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया कि पूरी की पूरी पार्टी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, उसके बाद राज्यसभा सांसद संजय सिंह और अब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल की सलाखों के पीछे हैं.

दिल्ली की नई शराब नीति में कथित तौर पर घोटाले को लेकर केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. इसके चलते दिल्ली और पंजाब में लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का चुनावी कैंपेन लचर हालात में नजर आ रहा है. हालांकि चुनावी प्रचार का दारोमदार उनकी पत्नी सुनिता केजरीवाल ने संभाल रखा है लेकिन वो अरविंद केजरीवाल की बराबरी नहीं कर सकती हैं.

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दिल्ली शराब नीति के बाद अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. दिल्ली एलजी की सिफारिश पर अब  केजरीवाल की NIA जांच कराने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए गृह विभाग को एक पत्र भी लिखा गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री पर ‘सिख फॉर जस्टिस’ समेत खालिस्तानी संगठनों से 133 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगा है.

वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया की शिकायत पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2014 से 2022 के बीच बैन किए गए खालिस्तानी आतंकी संगठन से 133 करोड़ रुपए पॉलिटिकल फंडिंग ली थी, ताकि देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई कराई जा सके. देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर 1993 के दिल्ली बम धमाकों का दोषी है. वह अमृतसर की जेल में बंद है. शिकायत में ये भी दावा किया गया है कि केजरीवाल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को चिट्‌ठी लिखकर भुल्लर के लिए दया की याचिका की थी.

LG को मिली शिकायत में लिखा है कि उस समय की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भुल्लर की रिहाई के लिए इकबाल सिंह दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल कर रहा था. जब उसे केजरीवाल की तरफ से चिट्‌ठी मिली तो उसने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी थी.

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वहीं एलजी कार्यालय ने गृह मंत्रालय के नाम लिखे पत्र में लिखा है कि उन्हें जो शिकायत मिली है, उसमें अपील की गई है कि आम आदमी पार्टी पर लगे इन आरोपों की गहराई से जांच की जाए. ये आरोप मुख्यमंत्री के खिलाफ लगाए गए हैं और भारत में बैन एक आतंकी संगठन से एक राजनीतिक दल को मिले फंड से जुड़े हैं इसलिए जो सबूत शिकायतकर्ता ने दिए हैं, उनकी फोरेंसिक समेत हर तरह की जांच कराई जाए. एलजी कार्यालय ने गृह मंत्रालय से अपील की है कि शिकायतकर्ता ने बेहद गंभीर और संवेदनशील आरोप लगाए हैं, लिहाजा आरोपों की जांच NIA से कराई जाए.

जिस तरह से आम आदमी पार्टी के नेताओं पर मामले दर्ज हुए हैं और उनमें से संजय सिंह को छोड़कर कोई भी कभी भी जेल से बाहर नहीं निकल सका है, ऐसे में तो यही माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल अब कभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. कम से कम लोकसभा चुनाव के परिणामों तक तो बिलकुल भी नहीं. आगामी साल में दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी हैं और पार्टी के दो से तीन बड़े नेता जेल में बंद है. ऐसी स्थिति में तो आम आदमी पार्टी का दिल्ली में सत्ता ​काबिज करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है.

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