भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ऐडी से चोटी तक का जोर लगा रही है. विपक्षी गठबंधन के साथ साथ कांग्रेस ने इस बार टिकट भी काफी सोच समझकर दिए हैं. पार्टी की इस हरकत से सैंकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और दर्जनभर से अधिक वरिष्ठ नेता ने हाथ का साथ छोड़ कमल खिलाने की तैयारी कर ली है. वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनावों से सबक लेते हुए लंबे एवं विश्वसनीय घोड़ों पर ही दांव लगाया है. दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अरविंद्र सिंह लवली के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने एक बड़ा सियासी दांव चलते हुए राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा है. इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. बीजेपी ने पिछले आम चुनाव में सभी सातों सीटें कब्जे में की थी.
कांग्रेस ने दिग्गज नेता राज बब्बर को गुरूग्राम से टिकट दिया है. आम आदमी से गठबंधन के तहत कांग्रेस को राजधानी में 3 सीटें मिली हैं. गुरुग्राम में राज बब्बर का मुकाबला बीजेपी के राव इंद्रजीत से होगा. बीजेपी ने दिल्ली में मनोज तिवारी को छोड़ अन्य सभी 6 सीटों पर प्रत्याशी बदलें हैं. ऐसे में राज बब्बर के सियासी कद के सामने राव इंद्रजीत फीके पड़ते नजर आ रहे हैं.
अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर के सियासी सफर पर नजर डालें तो राजनीतिक पृष्ठभूमि ना होने के बावजूद राजनीति में आकर खूब नाम कमाया और चर्चा बटोरी. राज बब्बर ने 1989 में जनता दल के साथ राजनीति में एंट्री की. उसके बाद बब्बर तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे. राज बब्बर कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. बब्बर 1994 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने और सदन पहुंचे. यही से राज बब्बर सक्रिय राजनीति में लगातार नजर आने लगे.
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साल 1999 में राज बब्बर ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपनी जन्म भूमि आगरा से लोकसभा का चुनाव लड़ा. फिल्मी जगत में चर्चित और आगरा के निवासी राज बब्बर को लोगों ने हाथों-हाथ लिया. राज बब्बर ने बीजेपी के तीन बार के सांसद रहे भगवान शंकर रावत को हराया. 2004 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर फिर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में आगरा लोकसभा सीट से विजय हुए. उन्होंने भाजपा के मुरारीलाल मित्तल फतेहपुरिया को हराया.
उसके बाद राज बब्बर का पार्टी से मनमुटाव पड़ने लगा. मनमुटाव इतना ज्यादा हो गया कि 2006 में राज बब्बर को समाजवादी पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने 2008 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. इसी साल फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी घराने की बहू के खिलाफ उन्होंने चुनावी जंग में उतरने का फैसला किया और उप चुनाव में जीत हासिल की.
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साल 2009 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने फतेहपुर सीकरी से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उस दौर के बसपा के कद्दावर नेता रहे रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय ने राज बब्बर को चुनाव में हरा दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने गाजियाबाद से चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद साल 2015 में राज बब्बर राज्यसभा सांसद चुने गए और सदन पहुंचे.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने एक बार फिर से फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा पर बीजेपी के राजकुमार चाहर ने राज बब्बर को करीब 5 लाख वोटों से हरा दिया. इस बार राज बब्बर का सामना बीजेपी के राव इंद्रजीत से है जो मोदी लहर के भरोसे मैदान में हैं. देखना रोचक रहेगा कि हिन्दी सिनेमा जगत के अभिनेता बीजेपी उम्मीदवार को किस तरह से अपनी सियासी अदाकारी में उलझाते हैं.