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Bengal Politics: कभी क्रिकेट के मैदान पर चौकों और छक्कों की बारिश करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर यूसुफ खान अब राजनीति में एंट्री करने जा रहे हैं. यूसुफ इस साल हो रहे लोकसभा चुनाव से अपने राजनीति की शुरूआत करेंगे. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने यूसुफ पठान को पार्टी उम्मीदवार बनाया है. यूसुफ टीएमसी के टिकट पर बहरामपुर से चुनाव लड़ेंगे. उनके सामने कांग्रेस सांसद और वर्तमान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी हैं जो 1999 से लगातार सीटिंग सांसद रहे हैं. यूसुफ के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा लेकिन एक स्टार क्रिकेटर की छवि का फायदा उठाकर टीएमसी की कोशिश कांग्रेस के 25 साल के कब्जे को खत्म करना है. बहरामपुर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होंगे.

भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान के बड़े भाई यूसुफ पठान गुजरात के वडोदरा के रहने वाले हैं. लेकिन बहरामपुर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वजह है कि बहरामपुर में मुस्लिमों की संख्या काफी ज्यादा है. यही वजह है कि यहां से अधीर रंजन को टीएमसी कभी मात नहीं दे पायी. सत्ताधारी पार्टी होने के बावजूद टीएमसी यहां कांग्रेस से कभी पार नहीं पा पायी है. मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी तादात यहां यूसुफ पठान को फायदा पहुंचा सकती है.

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वैसे देखा जाए तो टीएमसी ऐतिहासिक तौर पर कभी भी बहरामपुर संसदीय सीट को कब्जे में नहीं ले पायी है. यह सीट या तो कांग्रेस या रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के पास जाती है, जो बंगाल में वाम मोर्चा की भागीदार है. अधीर रंजन इस सीट पर पिछले 26 सालों से कांग्रेस का झंडा फहराते आ रहे हैं और यहां से अजेय हैं. अधीर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल की सुप्रीमो ममता बनर्जी के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं.

विपक्षी गठबंधन में शामिल होने के बाद जब ममता ने बंगाल की सभी 40 सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारे थे, तब चौधरी ने अधीर होते हुए ममता पर कड़ा हमला बोला था. मौजूदा समय में यहां बीजेपी के भी 18 सांसद मौजूद हैं. अधीर रंजन ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की यूसुफ पठान वाली चुनौती को स्वीकार करते हुए कह रहे हैं कि राजनीति और क्रिकेट एक जैसे नहीं हैं. हालांकि यहां यूसुफ पठान इस सीट और राजनीति दोनों के लिए नए हैं लेकिन टीएमसी उनके स्टारडम को युवाओं के बीच भुनाना चाह रही है. वहीं अधीर का लंबा राजनीतिक अनुभव पठान पर भारी पड़ता दिख रहा है.

अब देखना रोचक रहने वाला है कि जिस तरह क्रिकेट के मैदान पर गेंदबाजों की गुगली को पढ़कर यूसुफ पठान उनकी गेंदों को स्टेडियम से बाहर का रास्ता दिखाते थे, क्या उसी तरह से अधीर रंजन चौधरी की राजनीतिक गुगली पर भी शॉट मार सकेंगे.

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