ग्वालियर राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार गुना संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. उन्होंने सबसे पहले 2002 में गुना से उपचुनाव जीता. इसके बाद 2004, 2009, 2014 में गुना से सांसद रहे. हालांकि वो इस दौरान कांग्रेस के खेमे से सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने 5वीं बार गुना संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा था लेकिन बीजेपी के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा. 2020 में हाथ का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए और राज्यसभा का सफर तय करते हुए केंद्रीय मंत्री बन गए. अब बीजेपी ने केपी यादव का टिकट काट गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. छठी बार गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का सामना कांग्रेस के राव यादवेंद्र यादव से होना है.
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वैसे गुना सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाली सीट है. पिछली बार मोदी लहर में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के केपी यादव से करीब दो लाख वोटों से हार गए थे. इस बार वे बीजेपी के खेमे से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कांग्रेस केपी यादव का टिकट कटने को मुद्दा बनाकर यादव वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी है. चूंकि गुना संसदीय क्षेत्र में यादवों का बाहुल्य है. ऐसे में केपी यादव का टिकट कटने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. उनके अनुसार, बीजेपी ने भले ही मोहन यादव को सीएम बनाया हो, लेकिन यहां से केपी यादव का टिकट काटने से यादव समाज नाराज है.
गुना लोकसभा का विधानसभा गणित
इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार का बोलबाला है. दिलचस्प यह भी है कि अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में चार चुनावों को छोड़ दिया जाए तो 13 बार जीत का परचम लहराने वाला कोई सिंधिया ही था. गुना लोकसभा से ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराज सिंधिया चार बार सांसद रह चुके हैं. उन्होंने दो बार कांग्रेस, एक बार निर्दलीय और एक बार भारतीय जन संघ के टिकट पर जीत हासिल की. विधानसभा क्षेत्र में इसका प्रत्यक्ष परिणाम देखने को मिलता है.
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गुना संसदीय क्षेत्र में गुना, शिवपुरी, व अशोक नगर जिले की 8 विधानसभाएं गुना, बमोरी, शिवपुरी, कोलारस, पिछोर, चंदेरी, मुंगावली और अशोकनगर आती हैं. कांग्रेस बमोरी व अशोकनगर सीट ही जीत पाई थी. अन्य सभी सीटों पर बीजेपी के विधायक बैठे हैं. यहां स्थानीय मुद्दों से ज्यादा प्रत्याशी अहम है.
गुना का जातीय समीकरण
गुना संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या 24 लाख 93 हजार 675 है. इसमें से 76 प्रतिशत आबादी गांवों में और 23 प्रतिशत शहरों में निवास करती है. कुल मतदाताओं की संख्या 11,78,423 है. यहां अनुसूचित जनजाति की तादाद सबसे ज्यादा 2 लाख 30 हजार से ज्यादा है. अनुसूचित जाति 1 लाख से ज्यादा, 60 हजार कुशवाहा, 32 हजार रघुवंशी, 73 हजार यादव, 80 हजार ब्राह्नण, 20 हजार मुस्लिम और 20 हजार वैश्य-जैन है. एसटी/एससी परंपरागत तोर पर कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता रहा है.
गुना लोकसभा का सियासी समीकरण
इस बार पुराना चेहरा नयी पार्टी से आया है. ऐसे में राव यादवेंद्र यादव को थोड़ा अधिक जोर लगाना पड़ेगा. वैसे बता दें कि यादव पिछला चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में सिंधिया के सामने वे थोड़ा फीका पड़ रहे हैं. वहीं सिंधिया को मोदी और बीजेपी का पूरा समर्थन मिला हुआ है. अगर कांग्रेस अपने परंपरागत मतदाताओं को अपनी तरह करने में कामयाब हो जाती है तो सिंधिया को पटखनी देना आसान हो सकता है.