Politalks.News/BengalAssembly Election. पश्चिम बंगाल में 8 चरणों मे होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जहां एक ओर भाजपा आलाकमान ने अपने हाईटेक प्रचार को लेकर रणनीति तैयार कर ली है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में न तो अंदरूनी कलह खत्म हो पा रही है न चुनावी रैलियों के लिए अभी तक कोई रणनीति बनती नहीं दिख रही. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि पार्टी से असंतुष्ट नेताओं का विद्रोह हर दिन खुलकर सामने आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी बंगाल में सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी तरह से सियासी दांव आजमा रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं में अभी तक एक राय नहीं बन पा रही है, बल्कि पार्टी नेताओं में मतभेद खुलकर सामने आने लगा है.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी में आर-पार की जंग शुरू हो गई है. वरिष्ठ कांग्रेसी और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा द्वारा बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर सवाल उठाए जाने के बाद अब बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी ने आनंद शर्मा पर पलटवार किया है. चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि आनंद शर्मा जो कर रहे हैं उससे बीजेपी को फायदा पहुंच रहा है. बता दें, अधीर रंजन चौधरी ने आनंद शर्मा पर निशाना साधते हुए चार ट्वीट किए हैं.
Know ur facts @AnandSharmaINC ji
1. CPI(M) led Left Front is leading the secular alliance in West Bengal of which Congress is an integral part. We are determined to defeat BJP's communal & divisive politics and an autocratic regime.
1/4— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) March 1, 2021
अपने ट्वीट के शीर्षक में अधीर रंजन चौधरी ने लिखा – ‘नो योर फैक्ट्स आनंद शर्मा जी’. इसके बाद अपने पहले ट्वीट में चौधरी ने लिखा कि, ‘सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है जिसका कांग्रेस एक अभिन्न अंग है.’
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सांसद चौधरी ने आगे लिखा, ‘कांग्रेस को अपने हिस्से की पूरी सीटें मिलीं हैं. लेफ्ट फ्रंट अपने कोटे से हाल में बने इंडियन सेक्युलर फ्रंट को-आईएसएफ को सीटें दे रहा है. सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन को सांप्रदायिक बताने का आपका फैसला सिर्फ बीजेपी की ध्रुवीकरण के एजेंडे को फायदा पहुंचा रहा है.’
3/4
Know ur facts @AnandSharmaINC ji-3. Those who are committed to fight against #BJP parties venomous communalism should support the Congress & campaign for the party in five states rather than attempting to undermine the party by remarks in tune with BJP’s agenda.
— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) March 1, 2021
सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अपने तीसरे ट्वीट में आनंद शर्मा पर निशाना साधते हुए लिखा कि, ‘जो बीजेपी और उससे जुड़ी पार्टियों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं उन्हें बीजेपी के एजेंडा को सूट करने वाले बयान देने की बजाय पांचों चुनावी राज्यों में कांग्रेस का समर्थन और प्रचार करना चाहिए.’
4/4
Know ur facts @AnandSharmaINC –4. Would urge a select group of distinguished Congressmen to rise above always seeking personal comfort spots & stop wasting time singing praises of PM.
They owe a duty to strengthen the Party & not undermine the tree that nurtured them.
— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) March 1, 2021
वहीं अपने आखिरी और चौथे ट्वीट में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बिना नाम लेते हुए गुलाम नबी आजाद पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेसियों को प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. बल्कि उनका फर्ज पार्टी को मजबूत बनाने का है न कि उस पेड़ को काटने का जिसने उन्हें पाला-पोसा.
आंनद शर्मा ने गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया था इंडियन सेक्युलर फ्रंट को
दरअसल, कांग्रेस वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सोमवार को बंगाल में पार्टी द्वारा इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के साथ गठबंधन किए जाने पर सवाल खड़ा किया है. शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस पार्टी चयनात्मक नहीं हो सकती है. आनंद शर्मा ने अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले आईएसएफ के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. शर्मा ने कहा हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है. ISF जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था.
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आनंद शर्मा द्वारा एआईएसएफ के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए जाने पर बंगाल कांग्रेस प्रभारी अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली में पार्टी लीडरशिप के हस्ताक्षर के बिना कोई भी फैसला व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया. अधीर रंजन ने कहा कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और व्यक्तिगत रूप से कोई फैसला नहीं लेते हैं. चौधरी ने कहा कि बंगाल में कांग्रेस की लड़ाई ममता बनर्जी और बीजेपी के खिलाफ है, यहां कांग्रेस को लेफ्ट का साथ मिला है, जबकि ममता बनर्जी को कांग्रेस-वाम गठबंधन के साथ बीजेपी और अन्य पार्टियों से भी मुकाबला करना है.
आपको बता दें, पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव चुनाव की तारीखों के एलान के बाद भी कांग्रेस हाईकमान इन राज्यों में अपने नेताओं को प्रचार में उतारने के लिए अभी तक नाम तय नहीं कर पा रहा है. जबकि बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा ने सबसे ज्यादा जोर लगाया हुआ है. वहीं कांग्रेस ने अभी तक बंगाल के लिए कोई रणनीति तैयार नहीं कि है, बल्कि आपसी लड़ाई को उजागर करके पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम जरूर किया जा रहा है.
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जहां कांग्रेस आपस में ही उलझी पड़ी है वहीं कांग्रेस ने झोंक दी है अपनी पूरी ताकत
आपको बता दें कि बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए आज भाजपा केंद्रीय आलाकमान ने अपने नेताओं की जनसभाओं को लेकर शेड्यूल भी जारी कर दिया है. जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल में 20 और असम में 6 रैली करेंगे, जबकि गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का बंगाल में करीब 50-50 चुनावी जनसभाएं करने की तैयारी कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल में चुनावी रैली की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 मार्च को करेंगे. मालूम हो कि प्रधानमंत्री अब तक तीन बार बंगाल दौरा कर चुके हैं. इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह तीन और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा चार बार दौरे कर चुके हैं.