Politalks.News/JammuKashmir. साल के अंत में दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भी रणभेरी बज सकती है. यही कारण है कि केंद्रीय गृहमंत्री एवं बीजेपी के चाणक्य अमित शाह पिछले तीन दिनों से जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं. मंगलवार को जहां अमित शाह ने महानवमी के मौके पर माता वैष्णों देवी के दर्शन किये और राजोरी में एक विशाल सभा को संबोधित किया. तो वहीं बुधवार को विजयादशमी के मौके पर अमित शाह ने राजभवन में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ अधिकारीयों के साथ सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की. इसके बाद अमित शाह ने बारामूला एक रैली को संबोधित किया. इस दौरान एक गजब का वाक्या देखने को मिला जब अमित शाह ने अपना भाषण बीच में ही रोक दिया. इसकी मुख्य वजह थी अजान. वहीं रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘क्या आतंकवाद से कभी किसी को फायदा हुआ है? जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक से अब तक 42,000 लोगों की जान जा चुकी है.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों अपने जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं. अमित शाह का ये दौरा काफी मायनों में अहम माना जा रहा है क्योंकि जम्मू कश्मीर के लिए किसी भी वक़्त चुनावी तारीखों का एलान हो सकता है. बुधवार को अमित शाह ने बारामुला में विशाल रैली को संबोधित करते हुए विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा. अमित शाह ने कहा कि, ‘जब मेरा जम्मू-कश्मीर के बारामूला का कार्यक्रम बना तब कुछ लोग कह रहे थे कि बारामूला कार्यक्रम में सुनने कौन आएगा. मैं आज उनसे कहना चाहता हूं कि इस कार्यक्रम में कश्मीर की इस खूबसूरत वादी में हजारों लोग विकास की गाथा सुनने के लिए और मोदी जी का साथ देने के लिए यहां उपस्थित हैं.’
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सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘कुछ दिन पहले महबूबा मुफ्ती का एक ट्वीट पढ़ा था कि गृह मंत्री आप आ रहे हो, तो हिसाब देकर जाना कि क्या दिया है कश्मीर को. हमने जम्मू-कश्मीर को क्या दिया है इसका मैं हिसाब देता हूं, लेकिन दशकों तक तीन परिवारों ने जम्मू-कश्मीर में शासन किया, उन्होंने क्या दिया, उसका हिसाब भी करना. हम जम्मू-कश्मीर को देश की सबसे शांतिपूर्ण जगह बनाना चाहते हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि हमें पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए. हम पाकिस्तान से बातचीत क्यों करें? हम बातचीत नहीं करेंगे. हम बारामूला के लोगों से बातचीत करेंगे. हम कश्मीर के लोगों से बातचीत करेंगे. नरेंद्र मोदी सरकार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी. हम इसका सफाया कर देंगे.’
इस दौरान एक हुए एक वाकये ने सभी का ध्यान अपनी और आकर्षति कर लिया. जब अमित शाह रैली को संबोधित कर रहे थे उस वक़्त पार में ही मस्जिद में अजान चल रही थी तो अमित शाह ने तुरंत ही अपना भाषण रोक दिया. अजान ख़त्म होने के बाद अमित शाह ने कहा कि, ‘मुझे चिट्ठी मिली कि मस्जिद में प्रार्थना का समय हुआ है, लेकिन अब वह समाप्त हो गया है. अगर आप लोग कहें तो स्पीच फिर से शुरू करूं क्या?’ अमित शाह ने आगे कहा कि, ‘मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर में सबसे पहला काम गांव तक जम्हूरियत को पहुंचाने का किया है. पहले कश्मीर में जम्हूरियत की व्याख्या थी- तीन परिवार, 87 विधायक और 6 सांसद. पीएम मोदी ने 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत को जमीन तक, गांव तक पहुंचाने का काम किया है. आज घाटी और जम्मू-कश्मीर में 30 हजार से ज्यादा लोग पंचायत, तहसील पंचायत का नेतृत्व कर रहे हैं.’
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अमित शाह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘पहले जम्मू कश्मीर टेररिस्ट हॉटस्पॉट था लेकिन आज ये टूरिस्ट हॉटस्पॉट है. क्या आतंकवाद से कभी किसी को फायदा हुआ है? जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक से अब तक 42,000 लोगों की जान जा चुकी है. पहले यहां हर साल 6 लाख सैलानी आते थे. अक्टूबर तक 22 लाख सैलानी आए हैं. इससे कई युवाओं को रोजगार मिला है. आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिला. जब लोग बदलाव का स्वागत करते हैं तो लोकतंत्र मजबूत होता है.’ इससे पहले अमित शाह ने श्रीनगर में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की. बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी शामिल हुए.’